Trending News: आपने अपने बड़े बुजुर्गों से कहते हुए सुना होगा कि जिसका भी जन्म होता है उसकी मृत्यु निश्चित है. मृत्यु को टाला नहीं जा सकता है और मृत्यु सबसे बड़ा सच है. हिंदू धर्म शास्त्र में अंतिम संस्कार को लेकर कई तरह की बातें बताई गई है जिसमें से एक है कि सूर्यास्त के बाद और मध्य रात्रि से पहले अंधेरे में ना तो शव यात्रा निकाली जाती है और ना ही किसी का अंतिम संस्कार होता है. वहीं दूसरी तरफ हिंदू धर्म शास्त्र के बिल्कुल विपरीत किन्नर अपने शव यात्रा को निकलते हैं. किन्नर की मौत होने के बाद अंतिम संस्कार आधी रात को किया जाता है और लोगों के मन में सवाल उठता है कि ऐसा क्यों होता है.
बेहद रोचक होती है किन्नरो की जिंदगी(Trending News)
पैदा होने के बाद से लेकर मृत्यु काल तक किन्नरो का जीवन बहुत ही रोचक होता है. किसी के घर में अगर बच्चा पैदा होता है तो लोग कहते हैं कि किन्नर का आशीर्वाद लो इससे बच्चे का भविष्य अच्छा होगा. क्या आप जानते हैं किन्नर के मौत होने के बाद उसके साथ के सभी लोग खुशी मनाते हैं और एक दूसरे को कपड़े बाटते हैं तथा नाचते गाते हैं.
जानिए क्या है किन्नर के अंतिम संस्कार से जुड़ा नियम
ज्योतिषाचार्य पंडित शत्रुघ्न झा ने कहा कि इसके पीछे एक बहुत ही रोचक कारण है. पंडित शत्रुघ्न झा ने कहा कि किन्नर अपना पूरा जिंदगी लोगों के ऊपर निछावर करते हैं और समाज का सेवा करते हैं. मौत के बाद भी वह समाज का ही चिंता करते हैं. किन्नरो का कहना है कि उनका किन्नर के रूप में जन्म लेना एक बहुत बड़ा श्राप है और यह जीवन उनके लिए नर्क के जैसा होता है.
अशुभ माना जाता है किन्नर का शवयात्रा देखना
जब भी किसी किन्नर की मौत होती है तो वहां खुशी मनाई जाती है और किन्नर लोग यह मानते हैं कि किसी की मौत हो गई तो उसे इस नरक भरी जिंदगी से मुक्ति मिली. किन्नर समुदाय का कहना है कि अगर कोई भी किन्नर समुदाय का आखिरी यात्रा देखा है तो उसे श्राप लगता है. यही वजह है कि रात में सबके सोने के बाद किन्नर का शव यात्रा निकाला जाता है.
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