जब लालू यादव पत्रकार बन आधी रात लाल कृष्ण आडवाणी को किया था फोन, ये थी वजह

राजनीती हमेशा से ही बहुत दांव पेच का विषय रही है, कहते है राजनीती मे कब क्या हो जाए कोई नहीं कह सकता। लालू प्रसाद यादव बिहार के प्रमुख नेताओं मे से एक गिने जाते हैं। अपनी चतुरता और साहस के बदौलत उन्होंने राजनीती मे फर्श से अर्श का सफर किया है। उन्होने अपनी आत्मकथा ‘गोपालगंज से रायसीना: मेरी राजनीतिक यात्रा’ में एक बहुत ही दिलचस्प घटना का जिक्र किया है। उन्होंने इस सम्बन्ध मे हर घटना को बारीकी से बताया है।

कुछ दिन पहले पीएम नरेन्द्र मोदी ने कई महत्वपूर्ण अधिकारियो के साथ राम मंदिर को लेकर एक अहम समीक्षा बैठक की जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हुए थे। राम मंदिर आंदोलन कि शुरुआत आज से 31 साल पहले 1990 मे बीजेपी के वरिष्ठ और कद्दावर नेता रामकृष्ण आद्वानि के नेतृत्व मे हुआ था। जब आडवाणी ने सोमनाथ मंदिर से रथ यात्रा की शुरुआत की थी तब उन्हें बिहार मे गिरफ्तार कर लिया गया था, जिसके बाद केंद्र मे वीपी सिंह की सरकार गिर गई थी।

1990 ही वाह साल था उस समय लालू यादव बिहार के मुख्य्मन्त्री बने थे। उन्होंने पहले ही बड़े अफसरों को आडवाणी को गिरफ्तार करने के आदेश दे दिए थे लेकिन बड़े अधिकारियो ने ऐसा ना करने की सलाह दी थी, क्योंकि इससे राज्य का माहौल बिगड़ सकता था । लालू प्रसाद यादव अपनी बात पर अडिग थे और उन्होंने केन्द्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद को पहले ही इस बारे मे सूचित कर दिया था।

इसलिए किया था फोन

लालू यादव हर हाल मे आडवाणी के रथ को रोकना चाहते थे। जब लाल कृष्ण आडवाणी समस्तीपुर के सर्किट हाउस मे रुके हुए थे तो लालू यादव ने अधिकारियो के निर्देश दे दिया था कि वे कहीं जाने ना पाए। लालू यादव ने रात के दो बजे पत्रकार बनकर सर्किट हाउस फोन किया और यह पता करने कि कोशिश कि आडवाणी के साथ कौन कौन हैं। आडवाणी के सहयोगी ने बताया कि फिलहाल वे आराम कर रहे हैं और उनके समर्थक जा चुके हैं। लालू यादव ने इस मौके का पूरा फायदा उठाया और उन्होने तुरंत ही अधिकारियो को आडवाणी को गिरफ्तार करने के आदेश दिए। आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद केंद्र कि राजनीती मे भुचाल आ गया और वीपी सिंह कि सरकार गिर गई।

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