चीनी बॉर्डर पर 1200 मीट्रिक टन लोहे के कचरे से बनेगी मजबूत सड़क, दुनिया देखेंगी अब बदलता मजबूत भारत

Steel Slag Road In India: बदलते भारत के साथ देश की सड़कें, एक्सप्रेसवे और नेशनल हाईवे भी बदलते जा रहे हैं। ऐसे में जहां एक ओर एक्सप्रेसवे को लेकर हाईवे तक तमाम तरह की सड़कें कंक्रीट के इस्तेमाल से बनाई जा रही है, तो वही अरुणाचल प्रदेश में भारत सरकार एक ऐसी खास मजबूत सड़क का निर्माण कर रही है, जिसे लोहे के कचरे से तैयार किया जाएगा। स्टील उत्पादन के दौरान निकले कचरे से बनी यह सड़क ना सिर्फ आम सड़कों के मुकाबले ज्यादा मजबूत होगी, बल्कि यह किफायती भी होगी।

वही इस सड़क को लेकर केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है कि भारत ने दुनिया की नवीनतम स्टील रोड तकनीक विकसित की है। अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के नजदीक मजबूत और अधिक टिकाऊ रोड बनाने के लिए स्टील सिलेक्ट का इस्तेमाल किया जा रहा है। रोड कंस्ट्रक्शन के लिए स्टील स्लैग के उपयोग के साथ-साथ CSIR केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित तकनीक से इस मजबूत रोड का निर्माण किया जाएगा।

क्या है स्टील ब्लैक के इस्तेमाल के 2 बड़े फायदें?

इस मजबूत स्टील फ्लैग रोड की सबसे खास बात यह है कि इस सड़क के निर्माण के 2 बड़े फायदे हैं, क्योंकि रोड मजबूत बनाने के साथ-साथ स्टील प्लांट द्वारा उत्पन्न फ्लैट की समस्या का भी इसके निर्माण के साथ समाधान हो जाएगा। वही नई दिल्ली में CSIR-CRRI का दौरा करने पर केंद्रीय मंत्री का कहना है कि स्टील स्लैग के उपयोग वाली सड़कें ना केवल पारंपरिक रूप से पक्की होंगी, बल्कि यह दूसरी सड़कों की तुलना में 30% कम बजट से तैयार होंगी। इसके साथ ही यह है उनसे ज्यादा टिकाऊ भी होंगी और साथ ही यह सड़के मौसम की अनिश्चितता को भी आसानी से झेलने में भी सक्षम होंगी।

फ्री में स्लैग देगा टाटा स्टील

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह का स्टील स्लैग को लेकर यह भी कहना है कि बीते साल जून में गुजरात और सूरत प्रोसीड्स स्टील स्लैग रोड(Steel Slag Road In India) बनाने वाला देश का पहला शहर बना था। वहीं अब इसके बाद सीमा सड़क संगठन ने अरुणाचल प्रदेश में भारत चीन सीमा पर टिकाऊ और बेहद मजबूत सड़क बनाने के लिए स्टील सिलेक्ट के उपयोग का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि स्टील स्लैग की आपूर्ति टाटा स्टील द्वारा मुफ्त में की जा रही है। भारतीय रेलवे द्वारा जमशेदपुर से अरुणाचल प्रदेश तक यह स्टील पहुंचाई जाएगी। बता दें कि स्टील प्लांट में स्टील बनाने की प्रक्रिया के दौरान कच्चे माल से निकली अशुद्धियों को स्लैग कहा जाता है और इसी का इस्तेमाल इस सड़क को बनाने में किया जाएगा।

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1200 मीट्रिक टन स्टील स्लैग से होगा सड़क का निर्माण (Steel Slag Road In India)

बता दें कि 1200 मैट्रिक स्टील स्लैग को झारखंड से अरुणाचल प्रदेश पहुंचाया जाएगा। नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत ने इसे लेकर कहा कि- सीएसआईआर-सीआरआरआई स्टील स्लैग रोड तकनीक रणनीतिक सीमा क्षेत्रों में लंबे समय तक चलने वाली हेवी-ड्यूटी सड़कों का निर्माण करेगी। खास बात ये है कि ये सीमा सड़क संगठन (BRO) के लिए एक वरदान साबित होगी।

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