Indian Railways: जम्मू कश्मीर से पंजाब के होशियारपुर तक रविवार को बिना ड्राइवर के चल रही मालगाड़ी को रोकने में रेलवे अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए. एक तरफ जहां अधिकारियों को किसी बड़े हादसे की आशंका सता रही थी वहीं दूसरी तरफ इस टेंशन में अधिकारी थे कि कैसे ट्रेन को रोका जाए.
जम्मू कश्मीर के कठुआ में रविवार को यह गलती तब हुई जब पत्थर से लदी मालगाड़ी को लोको पायलट ने अपनी ड्यूटी समाप्त होने के बाद स्टेशन पर खड़ा कर दिया लेकिन वह हैंडब्रेक लगाना भूल गया और भी कुछ अन्य नियमों का पालन नहीं हुआ. इसके बाद ट्रेन स्टेशन से निकल गई और देखते ही देखते रफ्तार पकड़ ली. उसके बाद इसे पंजाब के होशियारपुर में रोका जा सका.
रेलवे ने दिया जांच का आदेश : Indian Railways:
इस तरह लगभग 80 किलोमीटर का सफर मालगाड़ी ने बिना ड्राइवर के ही तय कर लिया. मालगाड़ी पर हजारों टन का सामान लगा हुआ था. रेलवे के द्वारा मिली जानकारी के अनुसार मैन्युअल में त्रिस्तरीय सुरक्षा मानकों की अनदेखी के वजह से ऐसा हादसा हो गया.
80 किलोमीटर बिना ड्राइवर के सफर तय करने वाली मालगाड़ी को रेलवे के अधिकारियों ने बड़ी मस्तसक्त से रोका. इसके लिए ट्रेन के आगे बालू से भरी बोरियां रखनी पड़ी. ट्रेन में हजारों टन माल लदा था जिसके चलते भी ढलान पर वह तेजी से आगे बढ़ती रही। रेलवे ने अब तक किसी पर एक्शन नहीं लिया है और इस मामले में जांच का आदेश दिया है.
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रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दिया कि जम्मू के कठुआ में सुबह 6:00 बजे ड्यूटी समाप्त होने पर ड्राइवर ने के पत्थर से लदी डीएमआर मालगाड़ी को स्टेशन पर खड़ा कर दिया था. मालगाड़ी में लगे दोनों इंजन भी बंद थे. रेलवे मैनुअल के अनुसार ऐसी स्थिति में इंजन व डिब्बे के पहियों में चार-चार लकड़ी के गुटके लगाए जाते हैं जिससे ढलान में मालगाड़ी आगे चलना शुरू न करें. इसके साथ ही पहियों को सेफ्टी जंजीर से बांधा जाता है और इंजन का अडॉप्टर गिरा कर ब्रेक लॉक कर दिया जाता है जिससे मालगाड़ी में ब्रेक लगा रहे.
पहले भी हुआ है ऐसा हादसा
आपको बता दे महाराष्ट्र और यूपी के मथुरा में पहले ऐसे मामले सामने आ चुके हैं. 2017 में महाराष्ट्र के वाडी स्टेशन पर चेन्नई मुंबई ट्रेन का बंद इंजन खुद चलने लगा था, बिना ड्राइवर के इंजन 13 किलोमीटर चलती रही. उसके बाद रेलवे के एक स्टाफ ने बाइक से इसका पीछा किया और इंजन को नलवार के पास रोकने में सफल रहा.
वहीं पिछले साल सितंबर में मथुरा ईएमयू बिना ड्राइवर के खुद ही प्लेटफार्म पर चढ़ गई थी, उस वक्त जांच में ऐसा पाया गया था कि इंजन पर चढ़ने वाला रेलवे कर्मचारी नशे में था और मोबाइल देख रहा था.
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