कभी CID और सावधान इंडिया मे किया करता था काम, आज पटना मे Actor Chaiwala नाम से बेच रहा चाय

Actor Chai Wala Fame Vikas Aryan : देशभर के तमाम हिस्सों में इन दिनों अपनी एजुकेशन, अपनी डिग्री के नाम पर चाय की दुकान खोलने का जैसे ट्रेन चल गया है। इस लिस्ट में एमबीए चायवाला, बीबीए चायवाला, बीकॉम चायवाला, पटना ग्रेजुएट चाय वाली जैसे कई लोगों का नाम शामिल है। वहीं अब चाय की दुकानों की इस लिस्ट में एक और चाय वाला का नाम जुड़ गया है… ये नाम है एक्टर चायवाला का, जिसकी दुकान इस समय चर्चाओं में बनी हुई है। बता दे एक्टर चायवाला ने बिहार के मुजफ्फरपुर के मिठनपुरा रोड पर आदित्य विजन के नजदीक अपनी चाय के स्टॉल खोली है। एक्टर का नाम विकास आर्यन है, जो इस समय अपनी ‘एक्टर चायवाला’ की दुकान को लेकर चौतरफा सुर्खियों में है।

विकास आर्यन ने खोली ‘एक्टर चायवाला’ की दुकान

चाय की दुकान खोलने को लेकर इन दिनों विकास आर्यन काफी सुर्खियों में छाए हुए हैं। बता दे विकास आर्यन एक टीवी एक्टर है, जो कुमकुम भाग्य, पवित्र बंधन, क्राइम पेट्रोल, सावधान इंडिया जैसे कई टीवी सीरियल्स में नजर आ चुके हैं। हालांकि इन दिनों वे अपने एक्टिंग करियर को छोड़ अपनी चाय की दुकान पर फोकस कर रहे हैं। विकास आर्यन का कहना है कि अपने एक्टिंग करियर के स्ट्रगल के दौरान अपना खर्चा चलाने के लिए उन्होंने मुंबई में एक ढाबा शुरू किया था।Actor Chai Wala Fame Vikas Aryan

एक्टिंग छोड़ लौट आये बिहार

उनका ढाबा अच्छा चलता था, लेकिन कुछ समय बाद माता-पिता की तबीयत खराब होने के कारण उन्हें बिहार वापस लौटना पड़ा। ऐसे में बिहार वापस आने के बाद उन्होंने बिहार में अपनी चाय की दुकान खोलने का फैसला किया। चाय की दुकान खोली तो उस समय नाम को लेकर काफी सोचा, तब दिमाग में एक्टर चायवाला का नाम आया। विकास ने कहा कि ये नाम अब उनकी दुकान की और उनकी काम की पहचान बन गया है। उनका सपना इस ब्रांड की दुकान को देश के हर जिले में खोलना है।Actor Chai Wala Fame Vikas Aryan

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कहां से मिली एक्टर चाय वाला खोलने का आईडिया

विकास आर्यन का कहना है कि चाय आज हमारे समाज का वह हिस्सा बन गई है, जिससे हर किसी के दिन की शुरुआत होती है। चाय बनाने के लिए आपको किसी भी तरह की ट्रेनिंग लेने की जरूरत नहीं होती। हर इंसान ने अपने जीवन में कभी न कभी चाय जरूर बनाई होती है। चाय बनाना हर कोई जानता है, इसलिए मैंने भी चाय की दुकान खोलने का फैसला किया। मुंबई में उनके ढाबे के बगल में एक पांडे जी का ढाबा हुआ करता था, जो रोजाना 300 कप चाय बेचा करता था। उसके चाय के मुनाफे को देखते हुए उन्होंने अपनी चाय की दुकान खोलने का फैसला किया था।

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