लालू यादव को मिलेगी सजा या होंगे बरी; जाने CBI के आरोप में कितना है दम, इतने दिनों में हो जाएगा साफ

जमानत पर जेल से बाहर आए लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ सकती है। कहा जा रहा कि दो माह के अंदर चारा घोटाला डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपये अवैध निकासी मामले में फैसला आ सकता है। हाईकोर्ट की तरफ से CBI को हर रोज़ सुनवाई करने के आदेश दिए गए हैं। सभी जरुरी दस्तावेज अदालत को सौंप दिए गये हैं । और कहा जा रहा कि ये दस्तावेज लालू प्रसाद की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं।

सजा होने की अधिक संभावना

रांची सिविल कोर्ट के सीनियर क्रिमिनल लॉयर अविनाश पांडेय कहते है कि इस मुकदमे मे लालू प्रसाद यादव तथा घोटाले के अन्य आरोपी को सजा होने की अधिक संभावना दिखती है। गौरतलब है कि यह केस अब अपने आखिरी चरण में है और अभियुक्त को उनकी सफाई में अगर कुछ कहना है तो उन्हें इसके लिए मौका दिया जायेगा। इसके बाद यह तीव्र सम्भावना जताई जा रही कि अदालत अपना फैसला सुनायेगी।

अब तक मे अभियोजन पक्ष की तरफ से बतौर सबूत कई दस्तावेज अदालत में पेश किए जा चुके हैं। अभियोजन पक्ष की तरफ से विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने बहस के दौरान लालू यादव पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा कि जब लालू प्रसाद सीएम थे तो उन्हें इस पद पर रहते हुए घोटाला की जानकारी थी लेकिन फिर भी उन्होंने जान बूझकर ढील दी और पशुपालन विभाग के अधिकारियों को घोटाला करने से रोकने की कोशिश नहीं की।

उन्होने बहस के दौरान ही लालू यादव पर यह भी आरोप लगाया कि इसके एवज में ने मोटी रकम भी ली। इसलिए इसमें जितना पशुपालन विभाग के अधिकारी जितने दोषी है उतने ही दोषी सीएम रहते लालू प्रसाद भी हैं। सीबीआई ने घोटाले से संबंधित दस्तावेज अदालत को पहले ही दे दिया है। बहस के दौरान अभियोजन पक्ष ने लालू यादव पर् और भी कई संगीन आरोप लगाये हैं।

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छह माह में सुनवाई होगी पूरी

सीबीआइ के विशेष जज एसके शशि की अदालत में डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी मामला 47ए/96 के की सुनवाई की रही है। बता दे कि कोरोना संक्रमण से उत्पन्न हुई स्थिति के कारण पिछले दो वर्षो से सुनवाई नहीं हो पा रही थी। लेकिन हाईकोर्ट द्वारा छह माह में सुनवाई पूरी करने के आदेश के बाद दोबारा से त्वरित गति से हर रोज केस की सुनवाई की जा रही है । बता दे कि अभी केस की ऑनलाइन सुनवाई ही हो रही है।

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