मां ने चावल बेच दिलवाईं किताबें, आंखे नम कर देगी 1 पैर से चलने वाली बिहार की सीमा मांझी की कहानी

Story of Bihar Seema Manjhi: बिहार जिसे लेकर फिल्मों में एक डायलॉग बड़ा ही फेमस है कि- बिहार के हर घर से एक आईएएस ऑफिसर निकलता है… इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो नहीं पता, लेकिन बिहार के लोगों की सोच में कितना दम है इस बात की मिसाल बिहार की बेटी सीमा मांझी पेश करती नजर आ रही है। बिहार की सीमा मांझी की कहानी आज उन लाखों करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा है, जो अपनी शारीरिक दिव्यांगता को दरकिनार कर कुछ कर दिखाने का जज्बा रखते हैं।

कौन है सीमा मांझी

10 साल की सीमा मांझी का नाम इस समय सोशल मीडिया पर लगातार सुर्खियां बटोरता नजर आ रहा है। इतना ही नहीं फिल्मी दुनिया से लेकर राजनीतिक जगत तक हर कोई उनकी मदद के लिए आगे भी आ रहा है। ऐसा क्यों और क्या है सीमा मांझी की भावुक कर देने वाली कहानी? आइए हम आपको डिटेल में बताते हैं…

bihar ki beti seema

भावूक कर देगी सीमा मांझी की कहानी

सीमा मांझी महज 10 साल की है और खास बात यह है कि वह नक्सल प्रभावित इलाके जमुई के खैरा प्रखंड स्थित फतेहपुर गांव में रहती है। सीमा मांझी महज 4 साल की थी जब ईट के भट्टे पर गिर जाने के दौरान ट्रैक्टर उनके बाएं पैर पर चढ़ गया। इसके बाद उनके पैर में फ्रैक्चर आ गया, जिसके बाद डॉक्टरों ने उनका पैर काटने की सलाह दी। एक हादसे ने मासूम सीमा मांझी से उनका पैर छीन लिया, लेकिन उनके हौसले जस के तस बरकरार है। नन्ही सी सीमा मांझी ने अपनी जिंदगी के लिए कुछ ऐसे सपने देखें, जिनके लिए उड़ान भरना उनके लिए थोड़ा मुश्किल था लेकिन नामुमकिन नहीं… और यह बात खुद सीमा ने साबित की।

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सपनों के दम पर सीमा ने भरी उड़ान

सीमा मांझी दूसरे बच्चों की तरह ही स्कूल जाने की इच्छा रखती थी। ऐसे में उनका सपना है कि वह पढ़ लिखकर टीचर बना चाहती है। साथ ही शिक्षा के जरिए अपने जैसे दूसरे बच्चों की जिंदगी में आने वाली परेशानियों को दूर कर करना चाहती है। सीमा के सपनों को उड़ान उनकी मां के हौसले ने दी। चावल बेचकर उनकी मां ने उनके लिए किताबें खरीदी और फिर बेटी को स्कूल भेजना भी शुरू कर दिया। स्कूल में एक शिक्षक की नजर जब सीमा मांझी पर पड़ी, तो उसने भी शिक्षा विभाग को इसकी जानकारी दी।

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मदद के लिए सरकार ने बढ़ाया हाथ

एक पैर से स्कूल जाने वाली सीमा के पिता किरण मांझी दूसरे प्रदेश में मजदूरी कर परिवार का गुजर-बसर चलाते हैं। ऐसे में वह अपनी मां और अपने बाकी चार भाई बहनों के साथ रहती है। उनकी मां भी गांव में मजदूरी करती है और मजदूरी के पैसों से ही बड़ी मुश्किल से परिवार का गुजर-बसर होता है।

बीते दिनों सीमा मांझी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसके बाद उनकी मदद के लिए बिहार के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी आगे आए। नीतीश सरकार के मंत्री ने ट्वीट कर सीमा के लिए लिखा- अब सीमा चलेगी भी और पढ़ेगी भी… जमुई जिला अंतर्गत खैर प्रखंड के फतेहपुर गांव की रहने वाली मेधावी बच्ची सीमा के समुचित इलाज की जिम्मेदारी अब महावीर चौधरी ट्रस्ट उठाएगा।

 इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर सुमित कुमार सिंह ने के विधानसभा क्षेत्र से यह मामला जुड़ा है, जिसकी जानकारी डीएम को भी दे दी गई है। जल्द से जल्द सीमा बिटिया को पटना ले जाया जाएगा, जहां कृत्रिम पैर के प्रत्यारोपण के बाद वह अपने पैरों पर चल सकेंगे और शिक्षा हासिल कर सकेंगे।

सीमा की मदद के लिए आगे आये सोनू सूद

वही अब सीमा की मदद के लिए बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद भी सामने आए हैं और उन्होंने सीमा के लिए ट्वीट कर लिखा- अब यह अपने एक नहीं दोनों पैरों पर कूदकर स्कूल जाएगी… टिकट भेज रहा हूं, चलिए दोनों पैर पर चलने का समय आ गया है।

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