अब सांसद नहीं रहे राहुल गांधी, जाने कौन और कैसे करता है एक सांसद की सदस्यता रद्द?

Rahul Gandhi disqualified from Lok Sabha: देश की राजनीति में सबसे लंबे दौर तक सत्ता में रहने वाली देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता आज रद्द कर दी गई है। अब वह सांसद नहीं बल्कि पूर्व सांसद हो गए हैं। बता दें कि राहुल गांधी की सदस्यता को सूरत की एक कोर्ट के मानहानि केस में दिए गए फैसले की वजह से रद्द किया गया है।

गौरतलब है कि सूरत की एक कोर्ट ने मोदी सरनेम पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई है। हालांकि सजा के तुरंत बाद ही कोर्ट ने उन्हें 1 महीने की जमानत भी दे दी है, लेकिन इसके बाद उनकी संसद सदस्यता को रद्द कर दिया गया है। ऐसे में अब आपके मन में भी यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर एक सांसद की सदस्यता ऐसे अचानक कैसे छीन सकती है? किस कानून के तहत इस तरह अचानक एक सांसद की सदस्यता को रद्द किया जा सकता है? आइए हम आपको डिटेल में बताते हैं।

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किस परिस्थिति में रद्द की जा सकती है सांसद की सदस्यता

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1991 की धारा 8(1) और (2) के तहत यह प्रावधान दिया गया है कि अगर कोई सांसद या विधायक हत्या, दुष्कर्म, भाषा, धर्म और क्षेत्र के आधार पर शत्रुता फैलाने का आरोपी पाया जाता है या फिर किसी आतंकवादी गतिविधि या संविधान को अपमानित करने जैसे अपराधिक मामलों में लिप्त पाया जाता है, तो संसद और विधानसभा से उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द की जा सकती है।

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बता दें कि इसके अलावा इसी अधिनियम की धारा 8(3) में यह प्रावधान दिया गया है कि इन सभी मामलों में अपराध के अलावा अगर किसी अपराध में विधायक या सांसद को दोषी ठहराया जाता है, तो उसे 2 साल या उससे अधिक की सजा भी दी जाती है। इस मामले में विधायक या सांसद की सदस्यता तो रद्द होती ही है, बल्कि उसके साथ-साथ उसके 6 साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी जाती है। हालांकि अगर उसे यह सजा निचली अदालत से मिलती है, तो ऊपरी अदालत इस सजा पर रोक भी लगा सकती है और साथ ही वह सांसद या विधायक की सदस्यता को रद्द करने के फैसले को भी रद्द कर सकती है।

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अब सांसद नहीं रहे राहुल गांधी

फिलहाल राहुल गांधी की सदस्यता सूरत के एक कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले के बाद रद्द हो गई है। राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता को निचली अदालत के फैसले की वजह से खत्म किया गया है। इसका यह बिल्कुल मतलब नहीं है कि राहुल गांधी की सदस्यता अब वह वापस हासिल नहीं कर सकते। राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी चाहे तो अब गुजरात हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को चुनौती दे सकते हैं।

ऐसे में अगर हाई कोर्ट निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखता है, तो राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं, लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट इस फैसले को रद्द नहीं करता तो राहुल गांधी सांसद पद पर नहीं रहेंगे और वहीं सुप्रीम कोर्ट इस फैसले को रद्द कर देता है, तो राहुल गांधी एक बार फिर से संसद में बतौर सदस्य वापसी कर सकते हैं।

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