Sagar Ratna Success Story: कहां जाता है कि अगर इंसान मन से कोशिश करें तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं होता. ऐसे ही कहानी है जयराम बानन सागर रत्न रेस्टोरेंट के मालिक का. कभी पिटाई के दर से उन्होंने अपना घर छोड़ दिया था लेकिन हार मानने के बजाय उन्होंने मेहनत पर भरोसा किया और करोड़ों रुपए की फूड चेन खोल दिया. आज वह करोड़ों रुपए इस फूड चेन के बिजनेस से कमाते हैं.हालांकि यहां तक का सफर उनके लिए आसान नहीं था.
इस वजह से जयराम ने छोड़ा था घर
मैंगलोर के पास स्थित उडुपी के एक मिडिल क्लास फैमिली में जन्म लेने वाले जयराम के पिता ड्राइवर थे. जयराम के पिता बहुत ही गुस्सैल स्वभाव के थी और वह अपने पिता से बहुत डरते थे. जयराम एग्जाम में फेल हो गए और उन्हें डर था कि उनके पिता उनकी पिटाई करेंगे. पिटाई के दर से उन्होंने 13 साल की उम्र में ही अपना घर छोड़ दिया और घर से भागते समय पिता के पॉकेट से कुछ पैसे निकाल लिए. 1967 में वह मुंबई आ गए थे.
ढाबे में धोए थे जूठे बर्तन(Sagar Ratna Success Story)
जयराम जब मुंबई में आए तो उनके पास कोई भी काम नहीं था. यहां पर उनको जाने वाला एक छोटा सा रेस्टोरेंट चलाता था जिसमें वह काम करने लगे. वह लोगों के झूठे बर्तन धोते थे और महीने में 18 रुपए की सैलरी कमाते थे. 6 साल तक उन्होंने बर्तन धोने का काम किया उसके बाद वेटर से उन्हें रेस्टोरेंट में मैनेजर बना दिया गया और उनकी सैलरी ₹200 हो गई.
दोस्तों से उधार लेकर शुरू किया काम
1974 में वह दिल्ली आ गए और खुद का बिजनेस शुरू करने के बारे में सोचा. वह दिल्ली में खुद का रेस्टोरेंट चलाना चाहते थे इसलिए उन्होंने केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड का कैंटीन चलाना शुरु किया. उन्होंने पहले निवेश ₹2000 का किया और 1986 में साउथ दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी में अपना पहला रेस्टोरेंट खोला. इस रेस्टोरेंट में पहले ही दिन उन्होंने 408 रुपए कमाए थे.
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धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाई और लोगों की संख्या बढ़ने लगी. इसके बाद उनकी कमाई भी बढ़ने लगे और उनके बनाए गए डोसे को खूब पसंद किया जाने लगा. आज कनाडा सिंगापुर बैंकॉक जैसे देशों में भी उनका आउटलेट चलता है और उनका सालाना टर्नओवर 300 करोड़ के ऊपर पहुंच गया है. उन्हें नॉर्थ का दोसा किंग के नाम से भी जाना जाता है.
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