जब पद्मश्री अवार्ड लेने पहुंची ट्रांसजेंडर लोक गायिका, राष्ट्रपति जी की ही उतारने लगी नजर, देखें VIDEO

मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लोक गायिका मंजम्मा जोगती को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा । कला के क्षेत्र में उनके भव्य योगदान के लिए जोगति को इस पुरस्कार से नवाजा गया है । आपको बता दें कि मंजम्मा जोगती ने इस पुरस्कार को बड़े ही खास अंदाज में राष्ट्रपति से स्वीकार किया है।

उनकी इस खास अंदाज का एक वीडियो भी सामने आया है जहां पर मंजम्मा जोगती पुरस्कार लेते समय राष्ट्रपति के सामने एक बड़े ही खास अंदाज में अपनी साड़ी के पल्लू से उनकी नजर उतारती दिखाई दे रही है। सोशल मीडिया पर यह वीडियो खूब चर्चा में है जहां पर लोगों का मानना है कि मंजम्मा जोगती राष्ट्रपति को इस अंदाज में शुभकामनाएं दे रही है । इस वीडियो में राष्ट्रपति भी उनके इस खास अंदाज से काफी खुश नजर आ रहे हैं ।

कर्नाटक जनपद अकादमी की पहली ट्रांसजेंडर अध्यक्ष है

मंजम्मा जोगती
मंजम्मा जोगती

आपको बता दें कि मंजम्मा जोगती कर्नाटक जनपद अकादमी की पहली ट्रांसजेंडर अध्यक्ष है। कर्नाटक जनपद अकादमी लोक कला रूपों के लिए राज्य सरकार की शीर्ष संस्था है । मंजम्मा जोगती की उम्र करीब 60 साल है और उनको यह पुरस्कार उनके लंबे सामाजिक और आर्थिक संघर्ष के बाद मिला है । किशोरावस्था में मंजम्मा जोगती की पहचान मंजूनाथ शेट्टी के नाम से एक महिला के रूप में होने लगी थी, जिसके बाद उनके परिवार ने उन्हें जोगप्पा के रूप में दीक्षा लेने के लिए होसपेट के पास हुलिगेयम्मा के मंदिर में ले जाया गया । इस मंदिर में ट्रांसजेंडर का एक समुदाय है जिसने खुद को देवी रेणुका येलम्मा की सेवा में समर्पित कर दिया है । ऐसा मानना है कि इस समुदाय के सदस्यों का देवी रेणुका येलम्मा से विवाह हो चुका है और यह सब विवाहित मानी जाती है ।

काफी संघर्ष भरा रहा ज़िंदगी

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मंजम्मा जोगती ने अपनी निजी जिंदगी में काफी कष्ट झेले हैं । उन्होंने गरीबी और सामाजिक बहिष्कार तो सहा ही है पर इसके साथ साथ बलात्कार का भी शिकार बनी है । इन सबके बावजूद मंजम्मा जोगती ने कला के क्षेत्र में अपने अन्य कला रूपों का योगदान बखूबी दिया है । उन्होंने जोगति नृत्य और जनपद गीतो, कन्नड़ भाषा के सोनेटस में विभिन्न महिला देवताओं की प्रशंसा में महारत हासिल की है । आपको बता दें कि 2006 में मंजम्मा जोगती को कर्नाटक जनपद अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और 13 साल बाद यानी कि 2019 में उन्हें उस संस्था का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था । फिर 2010 में कर्नाटक सरकार से उन्हें वार्षिक कनाडा राज्योत्सव पुरस्कार मिला ।

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