बिहार के इस गांव में नहीं मनाई जाती है होली, पकवान बनाने पर भी है रोक, बेहद अनोखी है प्रथा

Bihar News: अभी देश में होली को लेकर पूरे देश में उत्साह देखने को मिल रहा है और लोग होली के त्यौहार का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. लेकिन बिहार में एक ऐसा गांव है जहां 250 साल से होली का त्यौहार नहीं मनाया जाता है.बिहार के इस गांव में होली का त्यौहार नहीं मानने के पीछे एक बहुत बड़ा कारण है.

मुंगेर के इस गांव में नहीं मनाई जाती है होली(Bihar News)

मुंगेर के साजुआ गांव में होली नहीं मनाई जाती है. यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर कोई यहां होली का त्योहार मानता है तो इस गांव पर विपदा आ जाती है इसलिए यहां होली का त्यौहार नहीं मनाया जाता है. इस गांव में लगभग 2000 लोग रहते हैं और यहां के लोग 250 साल से होली का त्यौहार नहीं मानते हैं.

यहां नहीं बनाई जाती है मालपुआ या मिठाई

होली के अवसर पर ना यहां मालपुआ बनता है और ना ही मिठाई बनाई जाती है. लोग होली के त्योहार पर रंग गुलाल से बेहद दूर रहते हैं. उनका कहना है कि अगर गलती से भी किसी ने होली खेल लिया तो उसके ऊपर विपदा आ जाती है.

इस गांव के लोगों का कहना है कि 250 साल पहले इसी गांव में सती नाम की महिला के पति का होलिका दहन के दिन निधन हो गया था. कहां जाता है इसके बाद वह महिला अपने पति के चिता के साथ जल गई थी.

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इस गांव में मानी जाती है सती की कहानी

लेकिन ग्रामीणों ने महिला को अपने पति के साथ सती होने की इजाजत नहीं दी और महिला को कमरे में बंद करके पति को अंतिम संस्कार के लिए ले गए. लेकिन आरती से बार-बार लाश गिर जा रहे थे जिसके बाद पत्नी दौड़कर आरती के पास पहुंच गई और उसके बाद उसने कहा कि मैं अपने पति के साथ सती होना चाहती हूं.

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सती की यह बात सुनकर गांव वालों ने गांव में ही चिता तैयार कर दी. तभी अचानक पत्नी के हाथों की उंगली से आग निकलती है. उसी आग में पति-पत्नी साथ-साथ जल जाते हैं. उसके बाद कुछ गांव वालों ने गांव में सती का एक मंदिर बनवा दिया और सती को सती माता मानकर पूजा करने लगे. तब से इस गांव में होली नहीं बनाई जाती है.

गांव के लोग का कहना है कि अगर कोई भी आदमी होली के दिन मालपुआ बनता है तो उसके घर में खुद व खुद आग लग जाती है. यही वजह है कि कोई भी इंसान होली नहीं मानता है.

ग्रामीणों का कहना है कि यहां पर कई जाति के लोग रहते हैं. लेकिन किसी भी जाति के लोग होली का त्यौहार नहीं मानते हैं. सालों से होली नहीं मानने की प्रथा चली आ रही है और यही वजह है कि लोग होली के दिन रंग गुलाल भी नहीं उड़ाते हैं.

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