अगर मन में विश्वास हो और कुछ कर जाने की ललक हो तो आपको अपनी मंजिल तक पहुंचने से कोई नही रोक सकता है। कड़ी मेहनत और लगन की मदद से किसी भी परिस्तिथियों को पार किया जा सकता है और इसी कड़ी में आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे शख्स की कहानी जिसके आत्मविश्वास ने उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाया और साथ ही उसे जीत भी दिलाई है।
मूल रूप से गुजरात के सूरत से ताल्लुक रखने वाले सफीन हसन ने अपनी जिंदगी में बेहद सी मुश्किलों का सामना किया है। लेकिन फिर भी उन्होंने हार नही मानी और साल 2017 में उन्होंने दूसरे एटेम्पट में ही सिविल सर्विसेज की परीक्षा को पास किया और 570वां रैंक हासिल किया है।
माँ-बाप ने खो दी नौकरी :-
बेहद ही मध्यम वर्गीय परिवार के रहने वाले सफीन के माता-पिता सूरत के एक डायमंड यूनिट में काम करके अपना और अपने परिवार का ध्यान रखते थे। सब कुछ ठीक ही था कि अचानक उनके सर पर एक मुश्किल आन पड़ी और घर की हालत बेहद खराब हो गई। दरअसल सफीन के माता पिता की नौकरी चली गई और पैसों की कमी के कारण उनकी स्तिथि बहुत नाजुक हो गई। जिसके बाद घर चलाने के लिये उनके पिता ने इलेक्ट्रीशियन का काम शुरू किया और माँ घर घर जाकर रोटियां बनाती थी। इतना ही नही सर्दियों के मौसम में दोनों चाय एयर अंडे बेच कर अपना पालन पोषण करते थे।
मुश्किलों से लड़ कर भरी सपनों की उड़ान :-
अपनी जिंदगी की हर छोटी बड़ी चीजों के लिए साफ़िन ने बेहद मुश्किलों का सामना किया है लेकिन कभी उनका हौसला कम नही हुआ। तमाम मुश्किलों से लड़ कर वह अपने सपनों को हकीकत बनाने में लग गए। अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी कर उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग में अपना एडमिशन लिया।
डीएम को देखकर हुए थे प्रभावित :-
साफ़िन के मन में यूपीएससी की परीक्षा को पास करने की ललक तब आई जब उन्होंने अपने गांव में डीएम को देखा था। दरअसल उस वक़्त उनके गांव में डीएम दौरे पर आए थे और तब ही साफ़िन ने यह फैसला लिया कि वह भी अपनी जिंदगी में कुछ ऐसे ही बनेंगे।
दुर्घटना के बाद भी नही टूटी हिम्मत :-
अपने सपनों को उड़ान देने के लिए साफ़िन दिल्ली रवाना हुए लेकिन पैसों की कमी के कारण उन्हें गुजरात के एक पोलारा परिवार की मदद लेनी पड़ी। फिर अपनी तैयारी कर साफ़िन ने यूपीएससी में अपना पहला एटेम्पट दिया। हालांकि पहली परीक्षा के बाद साफ़िन का एक्सीडेंट हो गया जिसमें वह बेहद बुरी तरह से घायल हो गए और बहुत दिनों तक अस्पताल में उनका इलाज चलता रहा। लेकिन उन्होंने हिम्मत नही हारी और फिर दूसरी बार एग्जाम दिया जिसमे उन्हें सफलता हासिल हुई और उन्होंने ऑल इंडिया 570वां रैंक प्राप्त किया।
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