Supreme Court on Private Hospitals: 27 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट अस्पतालों के जरिए वसूले जाने वाले मनमाने पैसों पर नाराजगी व्यक्त किया है. सुप्रीम कोर्ट ने 14 साल पुराने कानून ” क्लीनिक एस्टेब्लिशमेंट” नियमों को लागू करने में केंद्र की असमर्थतता को लेकर काफी नाराजगी जताई है. नियमों के अंतर्गत राज्यों से सलाह के बाद महानगरों शहरों और कसबो में बीमारियों के इलाज और उपचार के लिए एक स्टैंडर्ड रेट का नोटिफिकेशन जारी करना अनिवार्य है.
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो सुनवाई के दौरान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसने बार-बार राज्यों को इस मुद्दे के बारे में लिखा है लेकिन राज्यों के तरफ से कोई जवाब नहीं आया है. सुनवाई के समय अदालत ने कहा कि नागरिकों को स्वास्थ्य सेवा का मौलिक अधिकार है और केंद्र सरकार अपने जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकती. अदालत ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को कहा कि वह एक महीने के अंदर स्टैंडर्ड रेट का नोटिफिकेशन जारी करने के लिए राज्यों के स्वास्थ्य सचिव के साथ एक बैठक आयोजित करें.
सुप्रीम कोर्ट ने किया सीजीएसएच लागू करने की बात: Supreme Court on Private Hospitals
सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर केंद्र सरकार इस समस्या का समाधान ढूंढने में असफल होती है तो हम देश भर के मरीजों के इलाज के लिए सीजीएसएच निर्धारित स्टैंडर्ड को लागू करने के लिए याचिका करता की याचिका पर विचार करेंगे. आपको बता दे की हेल्थ केयर हर नागरिक के लिए जरूरी पहलुओं में से एक है लेकिन अक्सर ऐसा देखा जाता है कि प्राइवेट अस्पताल मरीजों से मनमाना फीस वसूलते हैं जिसके वजह से मरीज काफी परेशान होते हैं.
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जानिए किसने तैयार की थी याचिका
मिली जानकारी के अनुसार वकील दानिश जुबेर खान के जरिए ” veterinas forum for transparency in public life ” मैंने एक जनहित याचिका दायर किया था और इसमें क्लिनिक एस्टेब्लिशमेंट नियम 2012 के नियम 9 के संदर्भ में मरीजों से ली जाने वाली फीस के दर निर्धारित करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी. इस नियम के अनुसार सभी अस्पतालों को मरीजों को सर्विस चार्ज की जानकारी स्थानीय भाषा के साथ अंग्रेजी में भी देना होगा.
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