इरफान खान ‘भगवान श‍िव’ के लिए व्रत रखना चाहते थे, ख्‍वाहिश सुन दंग रह गया था सारा परिवार

बॉलीवुड के लोकप्रिय अभिनेता इरफान खान जिन्होंने बेहद कम समय में अपने अभिनय से लोगों का जीत लिया था, उन्होंने पिछले साल 29 अप्रैल को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। लंबे समय से बीमारी से जंग लड़ने के बाद इरफान खान इस दुनिया से दूर चले गए । इरफान खान भले ही आज इस दुनिया में नही हो मगर उनके चाहने वाले,फैन्स, दोस्त, बॉलीवुड के सितारें उन्हें आज भी बेहद याद करते है। इरफान के मौत के एक साल पूरे होने पर उनकी पत्नी सुतापा सिकंदर ने एक इंटरव्यू के दौरान इरफान खान से जुड़ी कई बातें बताई। तो चलिए आज हम उन बातों को आपसे साझा करते है।

जीवन के आखिरी सालों में इरफान रखना चाहते थे व्रत :-

मूल रूप से राजस्थान के एक मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखने वाले इरफान खान की बीवी सुतापा सिकंदर एक हिन्दू परिवार से हैं। सुतापा ने अपने इंटरव्यू के दौरान बताया कि इरफान ने एक दिन यह कहकर पूरे परिवार वालों को हैरान कर दिया कि वह भगवान शिव के लिए हर सोमवार को व्रत रखना चाहते हैं। सुतापा ने बताया कि इरफान कभी भूखे नही रह पाते थे जिस कारण उन्होंने कभी अपने जीवन में व्रत नही रखा इसके बावजूद अपने जीवन के आखिरी दो सालों में इरफान व्रत रखने के लिए बेहद बेताब थे।

धर्म को लेकर खुले विचार रखते थे इरफान :-

एक बेहद फेमस मीडिया हाउस को इंटरव्यू देते हुए सुतापा ने बताया कि इरफान खान धर्म को लेकर बेहद खुले विचार रखते थे।
उन्होंने बताया कि एक बार इरफान खान ने उन्हें समझाया था कि रोजा रखने के लिए इंसान का मुसलमान होना जरूरी नही जिसके बाद सुतापा ने हर साल रमजान के महीने में रोजा रखना शुरू कर दिया।

इरफान सोमवार चाहते थे फ़ास्ट :-

सुतापा ने आगे अपने इंटरव्यू में बताया कि इरफान कभी भी भूखा नही रह पाते थे और इसी कारण उन्होंने कभी व्रत या रोजा नही रखा। मगर अपने जीवन के आखिरी दो सालों में इरफान व्रत रखने को लेकर काफी बेचैन थे। उनके इच्छा ने परिवारवालों को उस वक़्त दंग कर दिया जब उन्होंने कहा था कि वह सोमवार को फ़ास्ट रखेंगे क्योंकि वह दिन शिव जी का होता हैं।

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इरफान के लिए धर्म का मतलब आध्यात्म था :-

सुतापा ने आगे बताया कि जब इरफान ने अपनी यह इच्छा जाहिर तब उनके यहां कई परिवार थे और सब उनकी बात सुनकर हैरान रह गए थे। सुतापा का कहना है कि अगर आज इरफान जिंदा होते तो वह शायद अपना ही कोई धर्म बना लेते और उनके लिए धर्म का सीधा मतलब आध्यात्म से था। अगर वह कैंसर जैसी बीमारी से जूझ नही होते, तो वह शायद कुछ ऐसा ही करते और फिल्मी दुनिया को छोड़ खुद की खोज में निकल जाते।

आखिरी सालों में लिया उपनिषदों का ज्ञान :-

सुतापा आगे बताती हैं कि इरफान ने अपने जीवन के आखिरी दो सालों में उपनिषदों का ज्ञान लिया था। इरफान कभी भी बहुत धार्मिक नही रहे मगर उन्होंने रामकृष्‍ण परमहंस और विवेकानंद को पढ़ा। साथ ही वह ओशो और महावीर को भी खूब पढ़ते थे।

भेदभाव से परे थे इरफान खान :-

अपने और इरफान खान के बारे में बताते हुए सुतापा ने बताया कि उनकी और इरफान की मुलाकात नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में हुई थी जहां उनदोनों को प्यार हो गया था। सुतापा का कहना हैं की इरफान ने कभी भी औरत मर्द, जाति-धर्म को लेकर भेदभाव नही किया। उन्होंने कभी भी किसी भी टैग पर विश्वास नही क़िया

इरफान का ताल्लुक शाही परिवार से था :-

बहुत कम लोग ही यह जानते होंगे कि इरफान खान शाही परिवार से ताल्लुक रखते थे। इरफान ने खुद एक इंटरव्यू में इसका खुलासा करते हुए बताया था कि उनकी माँ सईदा बेगम टोंके जिले के शाही हाकिम परिवार से थी और उनके पिता यासीन अली खान का टायर का बिज़नेस था। इसी तरह उनका जन्म साहबजादे इरफान अली खान के रूप में हुआ। लेकिन इरफान को शुरू से ही शाही रसूख पसंद नही था ना ही उन्हें धर्म के बंधन में बंधना पसंद था इसलिए उन्होंने अपने नाम से साहबजादे को हटा दिया था।

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