आने वाले है ‘ग्रीन पेट्रोल-डीजल’ का जमाना, भारत के पास है इसका प्रचुर भंडार; जाने

Green Hydrogen in india: बदलते भारत की तस्वीर में अब एक नई उपलब्धि जुड़ जाएगी, जिसे ग्रीन फ्यूल यानी रिन्यूएबल एनर्जी के तहत तैयार किया जाएगा। बता दे इसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने एक कार्यक्रम के दौरान साझा की है। इस दौरान उन्होंने बताया है कि ग्रीन हाइड्रोजन भविष्य में ईंधन विकल्प के तौर पर जल्द मौजूद होगा। ग्रीन फ्यूल को रिन्यूएबल एनर्जी के तहत तैयार किया जाएगा, जल्द ही यह फॉसिल फ्यूल की कीमत पर उपलब्ध होगा, लेकिन ग्रीन हाइड्रोजन यानी ग्रीन फ्यूल क्या है? भारत सरकार इसे कैसे तैयार करने की तैयारी कर रही है? आइये हम आपको इस बारे में विस्तार से बताते हैं।

क्या है ग्रीन हाइड्रोजन यानी ग्रीन फ्यूल?

ग्रीन हाइड्रोजन क्या है? यह सवाल केंद्रीय मंत्री की घोषणा के बाद से लगातार सर्च किया जा रहा है। ऐसे में बता दे की हाइड्रोजन सबसे हल्के पदार्थ और मीथेन जैसी नेचुरल गैस को कहा जाता है।ये इनका अधिक स्वच्छ विकल्प है। वही आप जल्द ही हाइड्रोजन का इस्तेमाल ईंधन के रूप में किया जा सकेगा। पृथ्वी पर हाइड्रोजन के एटम अलग-अलग स्रोत में मिलते हैं। उदाहरण के तौर पर पानी, पौधे, जानवर और मनुष्य सभी हाइड्रोजन के स्रोत है।

पानी से हाइट्रोजन को कैसे करे अलग?

सबसे पहले बात करते हैं पानी से हाइड्रोजन को अलग करने की। इसके लिए इलेक्ट्रोलिसिस का प्रयोग किया जाता है, इसमें अपनी H2O को O2 से H2 में जोड़ लिया जाता है। इस तरह से फ्यूल के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला हाइड्रोजन अलग हो जाता है। इस प्रक्रिया में पानी में बिजली को दौड़ा कर दोनों को अलग किया जाता है। यह बिजली फॉसिल फ्यूल यानी जीवाश्म ईंधन की मदद से बनाई जाती है, जिसका मतलब है हाइड्रोजन ऊर्जा का एक साफ स्त्रोत होगा। इस दौरान उसे बनाने की प्रक्रिया में कार्बन उत्सर्जन हुआ, क्योंकि उसे बनाने के लिए बिजली का प्रयोग किया गया। वह फॉसिल फ्यूल से बनी थी। अब अगर वह बिजली रिन्यूएबल एनर्जी से बनी है, तो उसकी मदद से हाइड्रोजन के मॉलेक्युलिस को पानी में ऑक्सीजन से अलग करेंगे, तो वह ग्रीन हाइड्रोजन बन जाएगा।

क्या है ग्रीन हाइड्रोजन यानी ग्रीन फ्यूल का भविष्य?

मालूम हो कि पृथ्वी पर मौजूदा समय में 75% ऐसे तत्व है, जो हाइड्रोजन के स्रोत है। साथ ही यह बहुत ज्यादा ज्वलनशील भी होते हैं, जिसका मतलब है कि इसका इस्तेमाल आराम से ईंधन के रूप में किया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर जैसे-जैसे दुनिया भर के तमाम देशों में फॉसिल फ्यूल को खत्म करने और ऊर्जा के साफ स्रोतों को बढ़ावा देने की मांग उठ रही है। ऐसे में जल्द ही हाइड्रोजन फ्यूल पेट्रोल और डीजल की जगह ले लेगा।

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इसे बनाने में लगने वाली बिजली पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा से हासिल की जाएगी। हाइड्रोजन फ्यूल बनाने की पूरी प्रक्रिया कार्बन उत्सर्जन मुक्त या बहुत कम उत्सर्जन वाली मशीन होगी। इसलिए इसे भविष्य का ईंधन कहा जा रहा है। हालांकि इसमें एक बहुत बड़ी परेशानी यह है कि यह पूरी प्रक्रिया बहुत अधिक खर्चीली है, जिसका अब तक कोई समाधान नहीं मिला है। हालांकि किफायती ऑप्शन तलाशनी का प्रयास जारी है।

भारत में क्या है ग्रीन फ्यूल की संभावनाएं(Green Hydrogen in india)?

बता दे कि भारत में सौर ऊर्जा से बिजली पैदा की जाने की अपार संभावना है। वहीं निजी कंपनियां तो इसे लेकर तेजी से काम भी कर रही है। साथ ही सरकार भी सोलर पैनल के जरिए एनर्जी पैदा करने के मामले में बढ़ावा देते हुए कई अलग-अलग तरह की सोलर एनर्जी स्कीम भी चल रही है। भारत में 12 महीने में से 9 से 10 महीने सूरज की पर्याप्त रोशनी रहती है, जो हमारे लिए इस मामले में काफी अच्छी बात है। देश के तमाम हिस्सों में बड़े स्तर पर सौर ऊर्जा के उत्पादन का इस्तेमाल ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए किया जा सकता है।

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