क्या मोदी विरोधी तीसरा मोर्चा मे नीतीश भी होंगे शामिल, मुलाकात से सियासत गरमाई

राजनीति मे जब भी दो नेताओंं की मुलाकात होती है, इसका एक अलग ही सियासी अर्थ निकाला जाता है। मेल मिलाप और मुलाक़ात का यह दौर कब सियासत मे नया रंग जमा दे यह कोई नहीं कह सकता। इन दिनों बिहार की राजनीति मे मुलाक़ात की राजनीति शुरू हो गई है। और इस मुलाक़ात को मोदी विरोधी तीसरे मोर्चा के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।

मोदी विरोधी तीसरा मोर्चा बनाने के प्रयास मे जुटे ओमप्रकाश चौटाला से नीतीश कुमार की मुलाकात राजनीति मे एक अलग ही हलचल शुरू हो गई है। इधर लालू यादव ने क मुलायम और शरद यादव से मुलाक़ात की है। तो इधर मोदी और योगी से ‘हम’ के संतोष मांझी की मुलाकात का भी एक मतलब निकाला जा रहा। दिखने मे सब बेहद सामान्य सी मुलाकातें है लेकिन हर मुलाकात के अपने सियासी मायने हैं।

लालू प्रसाद यादव हो गए हैं काफी एक्टिव

बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव का एक अलग ही महत्व है। दोस्त और दुश्मन दोनों गुट के वे अलग ही तरह का महत्व रखते हैं। बिहार की राजनीति पर आज भी लालू यादव का प्रभाव है। लालू का साथ और लालू के डर के बीच पूरी राजनीति टिकी हुई है। पिछले विधानसभा चुनाव में जब लालू जेल मे थे तब भी एनडीए के हर मंच पर लालू यादव को केंद्र मे रखकर ही चुनावी चर्चा होती रही। विकास का मुद्दा हवा था, लालू का जंगलराज एनडीए का प्रमुख हथियार था।

अब जब से लालू जमानत पर बाहर आए हैं, उनके खिलाफ बयानबाजी करके भाजपा के कई नेता खुद को चर्चा मे बनाये रखना चाहते हैं । इधर लालू प्रसाद यादव के लिए भी राजनीति दवा का काम करती है। इन दिनों दिनों हर मुलाकात के बाद उनमें लालू यादव मे एक नया जोश आता दिख रहा है। उन्होने मुलायम के घर और उसके बाद शरद यादव के घर जाकर मुलाक़ात की और नया ही सियासी रंग जमा दिया है। भाजपाई को इन मुलाकातों में चतुराई दिख रही हैं और उनकी जमानत रद करने की कोशिश मे हैं। जबकि लालू समर्थक इन मुलाकातों को सामान्य बता रहे हैं।

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जाति आधारित जनगणना के मुद्दे पर नीतीश कुमार और बीजेपी मे मे तनी

नीतीश कुमार और बीजेपी मे जाति आधारित जनगणना के मुद्दे पर सीधा विरोध नज़र आ रहा है जबकि विपक्षी से इस मसले पर उनके सुर मिलते नज़र आ रहे हैं। नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मिलने के लिए समय भी मांगा है। उन्होंने स्थानीय भाजपा नेता से भी कहा है कि वह भी उनका साथ दे। कहा जा रहा कि इस मुद्दे पर भाजपा से असहमत नीतीश मोदी के खिलाफ तीसरे मोर्चे की कवायद में जुटे ओमप्रकाश चौटाला से गुरुग्राम जाकर मिल आए है। इस मुलाक़ात के बाद भाजपा असहज हो गई है। इधर नीतीश कुमार का जनता दरबार और जनता के बीच भ्रमण भी चौंकाने वाला है। नीतीश कुमार पर जमकर बरसने वाले लालू और तेजस्वी के बोल भी नरम पड़े हुए हैं।

हम व वीआइपी भी अपने जोगाड़ मे

हम व वीआइपीभी मौन नहीं है, वो भी राजनीतिक दांव खेलने मे लगी हुई है। दोनों की निगाहें यूपी के विधानसभा चुनाव पर टिकी हैं और दोनों भाजपा कोटे से सीटें हासिल करने की जुगत में हैं। इधर हम के युवराज यानी जीतनराम मांझी के पुत्र और प्रदेश सरकार में मंत्री संतोष मांझी ने योगी से मुलाकात की है और प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें 40 मिनट का समय देकर कई नए चर्चे को बल दे दिया है। संतोष मांझी की इन मुलाकातों ने न केवल उनका राजनीतिक कद बढ़ाया, बल्कि यूपी में हिस्सेदारी की आस भी बढ़ गई है। अब देखना है कि ये मुलाकातें भविष्य में कोई गुल खिलाती हैं या सामान्य सी होकर गुम हो जाती हैं।

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