इस महिला IAS अफसर की ईमानदारी के कायल हैं लोग, प्रधानमंत्री भी कर चुके हैं सराहना

कहते है जब इंसान अपने जीवन में कामयाबी हासिल कर लेता है तो वो निश्चिन्त हो जाता है। उसे लगता है की अब उसने अपने जीवन में वो मुकाम हासिल हर लिया जिसकी उसे जरूरत थी अब उसके बाद क्या मेहनत करना। अक्सर ये देखा जाता है कि कामयाब होने से पहले हर इंसान अपनी मंजिल को पाने के लिए जी-तोड़ मेहनत करता है. मगर मुकाम हासिल होने के बाद भी हर कोई उतनी ही लगन से मेहनत करे ये ज़रूरी नहीं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपने जीवन में वो मुकाम हासिल करने के बाद भी अपने कार्यों को पूरी ईमानदारी के साथ पूरा किया है। इतना ही नही उनके इस काम की सराहना आम लोगों से लेकर देश के प्रधानमंत्री भी कर चुके हैं।

सूखी नदी को किया पुर्नजीवित

इस शख्स का नाम कंचन वर्मा है और पेशे से यह एक आईएएस ऑफिसर हैं। साल 2005 के बैच से निकली कंचन वर्मा की जिस भी शहर में पोस्टिंग हुई उन्होंने वहां अपने पूरे मन और मेहनत से काम किया। हर प्रोजेक्ट में अपना 100 प्रतिशत देकर अपना नाम बनाया। बतौर आईएएस वह यूपी के कई जिलों में जिलाधिकारी भी रह चुकी हैं। हर जगह अपना बेस्ट देने वाली कंचन ने उस वक़्त खूब मुश्किलों का सामना किया जब उन्होंने साल 2012 में फतेहपुर की सूखी नदी को पुर्नजीवित करने का काम अपने हाथों में लिया था।

आपको बता दें की उस वक़्त कंचन वर्मा को फतेहपुर के डीएम का पद सौंपा गया था। जिले की बागडोर हाथ में थामते ही इनहोने खेडरी नदी और ठिठोला झील को पुर्नजीवित करने का काम शुरू किया और इसके लिए उन्होंने करीब 23 करोड़ की योजना पास कराई। इस नदी के जीवित होने से कई तरह के फायदे लोगों को मिलें। करीब 27 हेक्टेयर में फैली इस नदी पर लोगों ने खेती का काम शुरू किया और साथ ही वहां के स्थानीय मजदूरों को रोजगार भी मिला।  यह कंचन की मेहनत का ही नतीजा था कि सालों से सूखी पड़ी नदी फिर से बहने लगी थी।

प्रधानमंत्री भी कर चुके हैं सराहना

केवल फतेहपुर ही नही बल्कि कंचन ने मिर्जापुर का डीएम बन वहां की शिक्षा व्यवस्था में भी काफी बदलाव किए। मिर्जापुर की जिलाधिकारी बनते ही कंचन ने सबसे पहले वहां के विद्यालयों का निरीक्षण शुरू किया और करीब 350 टीचरों के खिलाफ रिपोर्ट भी पेश की। बच्चों की पढ़ाई को लेकर चिंतित कंचन ने खुद ही शिक्षिका बन बच्चों को विद्यालय में मैथ्स और अंग्रेजी पढ़ाना शुरू किया।इतना ही नही अपनी जिम्मेदारियों से अलग हटकर करीब दर्जनों गाँव को खुले में शौच से मुक्त भी करवाया।  उन्होंने ईंट भट्ठों पर शौचालय बनाने के बाद भी उन्हें एनओसी देने का प्रावधान किया. उन्हें साल 2016 में सिविल सर्विस डे के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुखी झील व नदी को फिर से ज़िंदा करने के लिए कॉमनवेल्थ असोसिएशन एंड मैनेजमेंट इंटरनेशनल इनोवेशंस आवर्ड दिया।

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