करोड़पति नाई, कभी 5 रुपए में करता था गुजारा, आज ROLLS-ROYCE जैसी लग्जरी कारों में चलता है

जब भी हम किसी अमीर लोगों को देखते हैं तो हमारे मन में यही ख्याल आते है कि कितनी अच्छी किस्मत होती है उनकी। हम ऐसे क्यों नही है, हमारी किस्मत ऐसी क्यों नही है। अक्सर हम इन चीजों के आड़ में उनकी मेहनत और लगन को अनदेखा कर देते है। हम उनकी लक्ज़री जीवन को तो देखते है पर उनके मेहनत को नजर अंदाज कर देते है। इनकी कहानी जानने के बाद पता चलता है कि इनकी सफल जिंदगी के पीछे किस्मत नही बल्कि उनकी मेहनत और लगन है। ऐसा ही एक शख्स हैं जिसने अपनी कड़ी मेहनत से ना सिर्फ अपनी जिंदगी को बेहतर किया है बल्कि आज वो एक करोड़पति भी हैं।

हम बात कर रहे कर्नाटक के बेंगलुरु में रहने वाले रमेश बाबु जिन्होंने अपनी मेहनत से खुद को बड़ा आदमी बनाया। वह अपने शुरुआती दिनों में सुबह लोगों के घरों में अखबार पहुंचाने का काम किया करते थे। इतना ही नही उनकी माँ दूसरों के घरों में काम किया करती थी। उन्होंने अपनी माँ की मेहनत को इनाम देते हुए खुद के दृढ़ निश्चय और मेहनत से एक ऐसा मुकाम हासिल किया है, जिसे आम लोग सपने मे देखते है। आज उनके पास करोड़ों की गाड़ियां हैं और रॉयल रॉयस भी है।

आज उनके पास करोड़ों की गाड़ियां

उनके पास आज ना सिर्फ रोल्स रॉयस हैं बल्कि कुल 378 गाड़ियां है, जिनमें से 120 लक्ज़री कारें हैं। बहुतों के मन में ऐसा सवाल होगा कि आखिर रमेश बाबू ऐसा क्या करते है कि उनके पास करोड़ों की गाड़ियां है तो हम आपको बतादें की रमेश बाबू एक नाई हैं। अब कई लोग यह भी सोच रहे होंगे कि एक हेअरकट के केवल 150 रुपयें चार्ज करने वाले रमेश बाबू के पास इतनी महंगी गाड़ियां कैसे!

कार रेंटल बिजनेस से हुई कमाई

तो आपको यह जानकर हैरानी होंगी की सलून के बिज़नेस के साथ ही रमेश बाबू एक कार रेंटल बिजनेस भी चलाते हैं. उनका यह बिजनेस मार्सिडिज़ बेंज़, BMW, Audi, जैगुआर जैसी लग्जरी गाड़ियां रेंट पर देती है. उनका कहना है कि ऐसी लक्ज़री ब्राण्ड नही है जो उनके पास ना हो। रमेश बाबू बताते हैं कि सैलून बिजनेस से वो संतुष्ट नहीं थे. उन्हें कुछ करना था और बहुत सफल बनना था. 1993 में उन्होंने खुद की एक मारुति ओम्नी लोन पर खरीदी थी. लेकिन, पर्सनल यूज के लिए खरीदी इस कार के लिए उनके पास पैसे तक नहीं थे. 3 महीने तक उन्होंने लोन रिपेमेंट नहीं कर पाए थे.

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ऐसे मिला ये आइडिया

रमेश बाबू की किस्मत तब बदली जब उनकी मम्मी एक महिला के घर पर काम करती थी और उस महिला ने एक सलाह दिया। उस सलाह ने रमेश की पूरी जिंदगी बदल डाली। दरअसल, उस महिला ने रमेश को कार किराये पर चलाने का आइडिया दिया था. अपने शुरुवाती दिनों में रमेश ने खुद ही कार किराये पर चलाई और धीरे-धीरे वह इस बिजनेस में माहिर होते गए. साल 2011 में रमेश ने अपने बिजनेस को दूसरों से अलग करने का ख्याल किया और रॉल्स रॉयस खरीदने का सोचा। अब वह इस कार को एक दिन के लिए किराये पर देने का 50,000 रुपये वसूलते हैं.

रमेश बाबू का मानना है कि भले ही वो कितने बड़े मुकाम पर क्यों ना पहुंच जाए पर सैलून का काम ही उनका मेन बिजनेस है. इसीलिए आज करोड़ों की कार में चलने के बाद हेयरकटिंग का काम भी कर रहे हैं. अभी रमेश बाबू का अपनी कार की रेंज में तीन और कार जोड़ना चाहते हैं. इन तीनों मे से एक स्ट्रेच लिमोज़िन भी है , जिसकी कीमत 8 करोड़ रुपये है.

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