हिंदी माध्यम के वावजूद गंगा सिंह मात्र 23 साल की उम्र में बने IAS अधिकारी

UPSC की परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है अगर आपका हिंदी मीडियम हो तो यह सफर और भी कठिन हो जाता है. लेकिन कुछ ऐसे कैंडिडेट भी होते हैं जो जान-बूझकर हिंदी माध्यम चुनते हैं. राजस्थान के रहने वाले गंगा सिंह राजपुरोहित साइंस स्टूडेंट थे लेकिन उन्होंने हिंदी मीडियम चुना. जब यूपीएससी परीक्षा देने की बारी आई तो उन्होंने न केवल अपना ऑप्शनल हिंदी साहित्य को बनाया बल्कि हिंदी माध्यम से परीक्षा भी दी आइए इस बारे में हम विस्तार से बताते हैं कि उन्होंने ऐसा फैसला क्यों लिया??

गंगा सिंह राजपुरोहित शुरू से थे होनहार

गंगा का जन्म राजस्थान के बाड़मेर जिले में हुई उनकी शुरुआती पढ़ाई लिखाई इसी शहर में हुई थी. गंगा बचपन से ही पढ़ाई में अच्छे थे उन्होंने दसवीं और बारहवीं दोनों ही बोर्ड परीक्षाओं में अपने स्कूल के टॉपर बने. इसके बाद गंगा के शिक्षकों ने उन्हें साइंस स्ट्रीम चुनने की सलाह दी और गंगा जोधपुर आ गए. जोधपुर आकर उन्होंने बीएससी किया फिजिक्स, केमिस्ट्री और Maths विषयों से ग्रेजुएशन पूरा करने के दौरान उनका झुकाव यूपीएससी की तरफ हुआ. ग्रेजुएशन के आखिरी साल में उन्होंने UPSC CSE परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी.

दिए हैं और भी कई परीक्षा

Delhi Track Knowledge को दिए गए इंटरव्यू में गंगा सिंह राजपुरोहित ने बताया कि यूपीएससी के और भी बहुत से एग्जाम दिए हैं साथ ही एनडीए और एसएससी की भी कई परीक्षाएं दी हैं. इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया कि काफी एग्जाम देकर मैं समझ गया था कि UPSC में किस प्रकार के प्रश्न ज्यादा आते हैं. हालांकि गंगा सिंह राजपुरोहित का कई परीक्षाओं में चयन भी हुआ पर उनकी मंजिल UPSC पास करना था और वह निरंतर प्रयास करते रहे.

गंगा ने दो अटेम्प्ट्स दिए और दोनों में ही प्री परीक्षा पास कर ली हालांकि उनकी रैंक आई सेकंड अटेम्प्ट में. गंगा सिंह राजपुरोहित ने साल 2016 में अपने दूसरे प्रयास में UPSC CSE परीक्षा में ऑल इंडिया 33वी रैंक के साथ टॉप किया था.

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