चिराग पासवान ने चाचा पशुपति कुमार पारस के छुए पैर, तो चाचा ने भतीजे को लगा लिया गले; देखें

Chirag Paswan Touch Pashupati Kumar Paras Feet: बिहार की राजनीति में बदलते समीकरण नजर आने लगे हैं। दरअसल एनडीए की बैठक में लोक जनशक्ति रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस इस समय चर्चा का विषय बने हुए हैं। इस बैठक के दौरान दोनों के मिलन की कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जिसके बाद चाचा-भतीजे की जोड़ी को लेकर एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में सुगबुगाहट शुरू हो गई है।

चिराग ने छुए चाचा पारस के पैर

बता दे लगभग 2 साल पहले पशुपति पारस ने चिराग पासवान को छोड़कर बाकी सांसदों के साथ अलग होने का फैसला कर लिया था। तब से ही चाच- भतीजे दोनों की राहें अलग हो गई थी। दोनों एक-दूसरे के बारे में कई बार तीखी बयानबाजी भी कर चुके थे, लेकिन 18 जुलाई को हुई एनडीए की बैठक में एक बार फिर चाचा भतीजे के मिलन का नजारा नजर आया, जहां पहले चिराग पासवान ने अपने चाचा पारस के पैर छुए तो वही चाचा ने भी भतीजे को गले से लगा लिया। इस नजारे के साथ ही ये सवाल शुरू हो गए हैं कि क्या चाचा पारस और भतीजे चिराग के बीच सब ठीक हो गया है? क्या पासवान परिवार फिर से एक हो जाएगा? क्या पार्टी फिर से एक खेमे में नजर आएगी?

चाचा पारस और भतीजे चिराग का हुआ मिलन?

एनडीए की बैठक में चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस दोनों के गले मिलने का नजारा देख सभी लोग हैरान रह गए। दोनों ने गले मिलने के सवाल पर कहा कि- वह एक परिवार के सदस्य हैं। हालांकि इस दौरान भी दोनों के तेवर कुछ तल्ख नजर आए। इस बैठक में पहुंचने के बाद पहले चिराग ने चाचा पारस के पैर छुए, तो वही उन्होंने भी भतीजे को गले लगा लिया। जिसके साथ ही दोनों के रिश्ते को लेकर सवाल उठने लगे कि, क्या एक बार फिर पासवान परिवार साथ नज़र आने वाला है, क्योंकि एनडीए में शामिल होने के तुरंत बाद चिराग पासवान का यह बदला रूप देख हर कोई हैरान हो रहा है।

किसका होगा हाजीपुर सिघांसन?

ऐसे में चिराग पासवान की ओर से यह पहले ही साफ कर दिया गया है कि हाजीपुर से वही चुनावी मैदान में उतरेंगे। एक मीडिया चैनल से बातचीत के दौरान चिराग पासवान ने कहा कि- एलजेपी रामविलास का ही उम्मीदवार हाजीपुर सीट से लोकसभा चुनाव में एनडीए की तरफ से मैदान को संभालेगा। ऐसे में जिस दम के साथ चिराग पासवान यह दावा कर रहे हैं, उससे यह साफ जाहिर होता है कि हाजीपुर में उनकी पार्टी की पकड़ काफी मजबूत है।

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चाचा-भतीजे के रिश्ते पर उठे सवाल

एनडीए की बैठक में हुए चाचा-भतीजे के मिलन पर अब सवालों की लगातार बौछार हो रही है। ऐसे में जहां एक ओर दोनों एक परिवार से होने की बात कहते हुए अपना पक्ष जाहिर करते नजर आ रहे हैं। तो वहीं दूसरी तरफ पशुपति कुमार पारस का कहना है कि वह हाजीपुर से सीटिंग सांसद है और उनके नेता स्वर्गीय रामविलास पासवान ने साल 2019 में हाजीपुर सीट के लिए उन्हें चुना था। ऐसे में वह किसी और को यह सीख नहीं देंगे। बात यहीं खत्म नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने कहा कि वह स्वर्गीय रामविलास पासवान की राजनीतिक पार्टी के उत्तराधिकारी है और मरते दम तक हाजीपुर सीट नहीं छोडेंगे। इससे तो यह साफ जाहिर होता है कि हाजीपुर सीट एक बार फिर चाचा-भतीजे के रिश्ते मे कड़वाहट की वजह बन सकती है।

क्या एक होगा पासवान परिवार और पार्टी

बता दें कि Chirag paswan और Pashupati paras राजनीतिक और पारिवारिक तौर पर पहले ही अपनी राहें अलग अलग कर चुके हैं। ऐसे में उनका मिलना तो संभव नहीं है। वहीं केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने मीडिया चैनल से बातचीत के दौरान यह भी साफ कर दिया है कि चिराग पासवान उनके परिवार के सदस्य हैं। वहीं दूसरी ओर चिराग पासवान भी अपने चाचा को परिवार का सदस्य ही बताते हैं, लेकिन जिस हिसाब से दोनों के बीच एक ही सीट को लेकर कड़वाहट नजर आ रही है यह उनके इस बयान के बिल्कुल उलट है। वहीं दूसरी ओऱ पशुपति पारस का कहना है कि चिराग ऩए उनका दिल तोड़ा है, लेकिन दिल टूटता है तो मिल ही जाता है।

पशुपति पारस का कहना है कि चिराग पासवान जमुई से सांसद है। चुनाव में उन्हें वहीं से उतरना भी चाहिए। जनता उन पर विश्वास करती है, ऐसे में वह अपनी जनता से विश्वासघात क्यों कर रहे हैं? वहीं दूसरी ओर चिराग पासवान का इस बात को लेकर कहना है कि वह अपने पिता की परंपरागत सीट हाजीपुर को किसी भी हाल में नहीं छोड़ेंगे, लिहाजा उन्हें उस से उतरने का अधिकार भी है। ऐसे में भले ही सार्वजनिक मंच पर चाचा-भतीजे की जोड़ी एक-दूसरे से गले मिलती नजर आ रही हो, लेकिन हाजीपुर को लेकर दोनों के बीच घमासान आने वाले समय में बड़े विवाद की वजह बन सकता है।

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