पिता के मौत के बाद अरूण ने 80 रुपए उधार लेकर शुरू की दुकान, दुनिया का चमकता सितारा है आज

आज हम इस आर्टिकल के जरिए एक ऐसे लड़के के बारे में बताएंगे जिसके पिता के निधन के बाद 80 रुपये उधार लेकर एक दुकान दिया लेकिन उसे बिल्कुल नहीं पता था कि वह अपने परिवार को कैसे पालेगा। उसके सामने इतना बड़ा संकट आ खड़ा हुआ था। पिता की तेरहवीं करने के बाद अरुण नाम के इस लड़के ने अपनी दर्जी की दुकान को ही चलाने का फैसला किया।आज अरुण बजाज को विश्व के इकलौते स्विंग मशीन आर्टिस्ट कहा जाता है इन्हें लोग नीडलमैन ऑफ इंडिया के नाम से भी जानते हैं।।

अरुण को मिला है राष्ट्रपति पुरस्कार

जब उन्होंने उधार लेकर अपनी दर्जी की दुकान चलाने का सोचा तब उन्हें यह नहीं पता था कि 1 दिन उनका नाम गिनीज बुक में भी दर्ज होगा। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी से लेकर राष्ट्रपति भी अरुण बजाज के कलाकारी के फैन है। इस अनोखे हुनर के लिए अरुण बजाज को राष्ट्रपति सम्मान से भी नवाजा गया। आपको बता दें कि 36 साल की उम्र में अरुण बजाज सेलिब्रिटी आर्टिस्ट का खिताब हासिल कर चुके हैं। वह दुनिया के एकमात्र ऐसे स्विंग मशीन आर्टिस्ट है जिनके सुई धागे से बनाई गई पेंटिंग का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, यूनिक वर्ल्ड ऑफ रिकॉर्ड, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज है।

रील के लिए 80 रुपए उधार

16 साल की उम्र में उनके पिता के निधन के बाद उनके सामने आर्थिक संकट खड़ी हो गई थी। अरुण बताते हैं कि पिता की निधन के बाद मुझे नहीं पता था कि घर का गुजारा कैसे होगा। मेरे सामने बहुत दिक्कतें थी पापा के निधन के बाद जब मैंने दुकान खोली तो 80 रुपये की रिल उधार लेकर आया। घर का खर्चा चलाने के लिए मैंने लोगों के लिए अचकन, शेरवानी बनाने और एंब्रॉयडरी का काम करने का फैसला लिया। क्योंकि मार्केट में यह काम बहुत कम लोग करते थे। तीन-चार साल तक मैंने यह काम किया। इसके बाद में दलेर मेहंदी, गुरदास मान जैसे कई पंजाबी गायक की ड्रेस डिजाइन करने लगा। मैं इस काम में तो बहुत अच्छा करा था लेकिन कहीं ना कहीं मेरी स्केचिंग और पेंटिंग का शौक पीछे छूट गया था।

एक मीडिया चैनल से बात करते हुए अरुण ने बताया कि एक दिन मुझे रात में सपना आया कि मैं सिलाई मशीन से गुरु नानक देव का पोर्ट्रेट बना रहा हूं। मुझे नहीं पता था कि यह सिलाई मशीन से पॉसिबल है भी या नहीं अगले दिन मैंने सोचा क्यों ना इसे बनाकर देखा जाए। एक हफ्ते की कड़ी मेहनत के बाद जब मैं वह पोर्टेट बना कर उठा तो मेरे सामने एक अलग ही तरह का पोर्टेट था। लोगों ने भी उसे बहुत सराहा। वह तस्वीर मेरे दोस्त को इतनी पसंद आई कि वह विदेश लेकर चला गया। इसके बाद अरुण ने ऐसे कई पोर्टेट बनाए जिससे लोगों ने काफी सराहा।

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लोन लेकर शुरू किया काम

अरुण बजाज इस काम को करना चाहते थे लेकिन उनके पास इसके लिए पैसे नहीं थे। शादी के बाद उनकी पत्नी ने उन्हें लोन लेने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि इस काम को आगे बढ़ाया जा सके। उसके बाद अरुण बजाज ने कुछ ऐसा ही किया। उन्होंने पाकिस्तान से एक फोटो मंगाकर महाराजा रंजीत सिंह का दरबार बनाया जिसे देखकर पाकिस्तान वाले भी हैरान रह गए। अरुण बजाज का यह पोर्टेट पंजाब के एक वीआईपी ने तकरीबन 11 लाख रुपए में खरीदा। इसके बाद उनका हौसला इस कदर बढ़ा कि उन्होंने भगवान कृष्ण की एक ऐसी ही शानदार तस्वीर बनाई। इस भगवान कृष्ण की पेंटिंग को कई विदेशियों ने खरीदने के लिए संपर्क किया लेकिन उन्होंने बेचने के बजाय देश को समर्पित करने का निर्णय लिया।

प्रधानमंत्री मोदी भी अरुण बजाज की कला के मुरीद

आपको बता दें कि अरुण बजाज ने एक शानदार पेंटिंग बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी थी। इसके बाद अरुण बजाज ने प्रधानमंत्री मोदी से मिलने की इच्छा जताई। इसके बाद प्रधानमंत्री से अरुण बजाज की मुलाकात भी हुई उस वक्त अरुण बजाज ने बताया कि वह दुनिया में अकेला आर्टवर्क का कलाकार है यह सुनकर प्रधानमंत्री मोदी और भी खासा प्रभावित हुए।

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