क्या मंत्री मुकेश सहनी का बंगला दोहराएगा अपना इतिहास, जितने भी मंत्री इसमे रहे नहीं किए कार्यकाल पूरा

बिहार में मॉनसून सत्र के दौरान एनडीए के घटक दल वीआईपी लगातार अपने ही सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं। विधानसभा में सोमवार को विधायक दल की बैठक का बहिष्कार तक किया गया। इसके बाद देर शाम के वक्त मुकेश सहनी पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के आवास पर पहुंचे। हालांकि मांझी के साथ अपने मुलाक़ात को उन्हें सामान्य मुलाक़ात बताया है। मुकेश सहनी अपनी ही पार्टी को लेकर लगातार अक्रामक रुख अपनाए हुए है। अब इस पर भाजपा के सासंद अजय निषाद ने कहा है कि मुकेश सहनी के चले जाने से एनडीए का कुछ नहीं बिगड़ेगा। ये सब तो सियासत की बातें हुई लेकिन इसके साथ ही अब मुकेश सहनी के सरकारी बंगला 6 स्ट्रैंड रोड की चर्चा भी शुरू हो गई है।

ऐसा रहा है इस बंगले का इतिहास

साल 2010 के बाद से ऐसा कोई भी मंत्री नहीं है जो इस बंगले मे रहते हुए अपने मंत्री पद के कार्यकाल को पूरा कर पाए हो, किसी ना किसी वजह से उन्हें मंत्री का पद छोड़ना पड़ा है। 2010 में अवधेश कुशवाहा को यह बंगला आवंटित किया गया था लेकिन उनका एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वह घुस लेते हुए दिख रहे थे।इसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

फिर साल 2015 में महागठबंधन की सरकार बनी जिसके बाद यह बंगला पूर्व मंत्री आलोक मेहता को आबंटित हुआ लेकिन ढ़ाई साल में ही जदयू-राजद का गठबंधन टूट गया और आलोक मेहता इस तरह मंत्री पद का अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। इसके बाद यह बंगला पूर्व मंत्री मंजू वर्मा को दिया गया, लेकिन बालिका गृह काण्ड का खुलासा हुआ जिसमें उनके पति सबसे बड़े आरोपी थे जिसके बाद मंजू वर्मा को इस्तीफा देना पड़ा। फिर साल 2020 में सरकार बनने के बाद यह बंगला पशु और मत्सय मंत्री मुकेश सहनी को आवंटित हुआ है, इनका भी पार्टी से उनके मतभेद बराबर सामने आ रही है।

मुकेश सहनी ने ये कहा

अब सियासी गलियारे मे इस बात पर चर्चा तेज हो गई है कि क्या मुकेश सहनी सरकार के खिलाफ कोई कदम उठाने वाले हैं, इधर मुकेश सहनी ने सरकार से इस्तीफे के सवाल को पूरी तरह नकार दिया है। सहनी ने यह भी कहा है कि ये उनकी सरकार है ऐसे मे वह इस्तीफा क्यों देंगे? वहीं उनके एक साथी विधायक द्वारा मुकेश सहनी के बहिष्कार के फैसले पर सवाल उठाया गया जिसके बाद सियासत मे बराबर उथल पुथल मची हुई है।

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