बीमा कंपनियाँ कैसे तय करती है चोरी हुई कार की कीमत, इंश्योरेंस लेते समय ‘इंश्योरेंस डिक्लेयर्ड वैल्यू’ का रखें ध्यान

Insurance Declared Value: हर इंसान का सपना होता है कि वह अपने लिए एक कार खरीदें. जब भी कोई अपने लिए गाड़ी खरीदता है तो सबसे पहले उसे सेफ्टी का ख्याल आता है. सेफ्टी के लिए हम गाड़ी का इंश्योरेंस करवाते हैं. आज हम आपको गाड़ी के सेफ्टी से जुड़े कुछ सवालों के जवाब देने वाले हैं, जिसे लेकर अधिकतर लोग कंफ्यूज रहते हैं.

जानिए क्या होता है इंश्योरेंस डिक्लेयर्ड वैल्यू

गाड़ी का बीमा करते समय इंश्योरेंस डिक्लेयर्ड वैल्यू शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. शॉर्ट में इसके लिए IDV शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. आसान शब्दों में कहा जाएं तो IDV को कार की बाजार की कीमत के रूप में समझा जाता है. यानी कि मौजूदा समय में आपकी गाड़ी की कितनी कीमत मिल सकती है. यदि आपकी कार चोरी हो जाती है या ज्यादा क्षतिग्रस्त हो जाती है तो बीमा कंपनी आपको कितनी उच्चतम राशि देगी.

इंश्योरेंस को प्रभावित करता है IDV (Insurance Declared Value)

जैसा कि हमने पहले बताया कि इंश्योरेंस के वक्त आईडीबी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और इसके बारे में नहीं जानना आपके लिए नुकसानदायक होगा. IDV इंश्योरेंस को भी प्रभावित करता है. इसमें कई कारक काम करते हैं.

कार की उम्र

बता दें कि कार की उम्र उसकी IDV की प्रमुख निर्धारकों में से एक होती है. जैसे की- जैसे कर के बाजार मूल्य समय के साथ कम होता जाता है उसकी IDV भी कम होती जाती है. नई कार की तुलना में पुरानी कार की IDV कम होती है.

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कार का प्रकार

भारत में कई तरह के कार मौजूद है जिसमें सेडान, हैचबैक, कंपैक्ट SUV, एसयूवी और MUV शामिल है. ऐसे में हर किसी के लिए अलग-अलग IDV निर्धारित किया जाता है.

पंजीकृत शहर

आपकी गाड़ी किस शहर में पंजीकृत है यह भी आपकी IDV को प्रभावित करता है.

एसेसरीज(Insurance Declared Value)

नई गाड़ी खरीदने समय कुछ लोग अतिरिक्त एसेसरीज खरीदते हैं तो IDV गणना के दौरान इन सामानों के मूल्य में कितनी उम्र और कामकाजी स्थिति के आधार पर इसका हिसाब लगाया जाता है.

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