बेटे के शहीद होने के बात भी नहीं टूटी यह मां, 400 ग़रीब बच्चों को दे रही है शिक्षा

फ़ौज में जाने वाले सिपाही की ज़िंदगी के कई पहलू होते हैं. वह सोच-समझकर ऐसे प्रोफ़ेशन में जाता है, जहां उसे अपनी मौत की संभावनाओं का पता होता है. साथ ही, एक सिपाही के जीवन से जुड़े उसके परिवार की कहानी भी बड़ी ही दिलचस्प होती है.

एक फ़ौजी जब देश के लिए शहीद होता है, तो पूरे देश का सिर उसके सम्मान में फ़ख्र से ऊंचा होता है. हालांकि उसके परिवार के लिए बहुत नाज़ुक समय भी होता है. ऐसी ही एक मां है, जिसने अपने बेटे को खोने के बाद ख़ुद को बिखरने नहीं दिया और कुछ ऐसा किया, जिसकी हमेशा मिसालें ही दी जाएंगी. सविता जी अपने बेटे की शहादत के बाद बच्चों को पढ़ाने का काम कर रही हैं. 

400 गरीब बच्चों को शिक्षित कर रही हैं सविता तिवारी

गाज़ियाबाद के इंदिरापुरम में रहने वाली शहीद स्क्वॉड्रन लीडर शिशिर तिवारी की मां, सविता तिवारी ग़रीब और वंचित बच्चों को शिक्षित करने का नेक काम कर रही हैं. अपने बेटे के शहीद होने के बाद उन्होंने यह काम शुरू किया. 

उन्होंने कहा, “अपने बेटे को खोने के बाद उनकी याद में मैंने यह काम शुरू किया ताकि गरीब बच्चे पढ़-लिख कर अपनी आर्थिक हालात में सुधार ला सकें”. वो करीब 400 बच्चों को मुफ़्त में शिक्षा दे रही हैं. वह सप्ताह में 5 दिन 4 से 5 घंटे तक बच्चों को पढ़ाती हैं. इन मासूम बच्चों को कचरा उठाता देख सविता ने उनकी इस हालत में सुधार लाने के बारे में सोचा.

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हफ्ते में 5 दिन पढ़ाती हैं सविता तिवारी

आपको बता दें कि शिशिर तिवारी के पिता शरद तिवारी वायु सेना से ग्रुप कैप्टन पद से रिटायर हैं। मां कविता तिवारी ने बेटे के शहीद होने के बाद खुद को जैसे-तैसे संभाला, बाद में इन्होंने समाज को एक नई दिशा देने की ठानी। सविता तिवारी जी का कहना है कि उन्होंने बेटे की याद में समाज को शिक्षित करने का जिम्मा उठाया, ताकि गरीब बच्चे पढ़ लिख कर काम शुरू कर सकें। वैसे तो बेसहारा बच्चों के लिए यह काम सविता तिवारी जी काफी लंबे टाइम से कर रही हैं परंतु बेटे के जाने के बाद यह अपने काम के प्रति पूरी तरह से समर्पित हो गई थीं। यह गरीब और बेसहारा बच्चों को एक हफ्ते में 5 दिन 4 से 5 घंटे तक पढ़ाती हैं। आर्थिक रूप से कमजोर लगभग 400 बच्चों को यह मुफ्त में शिक्षा प्रदान कर रही हैं।

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