Gulshan Kumar: बहुत कर ली पूजा…और ताबड़तोड़ 16 गोलियों के साथ खत्म गुलशन कुमार, दर्दनाक था मौत का मंजर

Gulshan Kumar Special Story: म्यूजिक इंडस्ट्री की सबसे कामयाब कंपनी टी-सीरीज की नींव रखने वाले गुलशन कुमार किसी पहचान के मोहताज नहीं है। गुलशन कुमार की जिंदगी प्रेरणा से भरी है, लेकिन उनकी मौत किसी दर्दनाक कहानी से कम नहीं है। ऐसे में आइए हम आपको दिल्ली के दरियागंज में जूस की दुकान लगाने से लेकर म्यूजिक इंडस्ट्री पर राज करने वाले गुलशन कुमार के बारे में कुछ दिलचस्प बातें बताते हैं और साथ ही बताते हैं कि कैसे दुश्मनों ने उन पर ताबड़तोड़ 16 गोलियां चलाकर उन्हें मौत की नींद सुला दिया था।

Gulshan Kumar

कभी दिल्ली में जूस की दुकान चलाते थे गुलशन कुमार

गुलशन कुमार का जन्म 5 मई 1951 को नई दिल्ली के एक आर्थिक रूप से कमजोर पंजाबी परिवार में हुआ था। गुलशन कुमार के पिता चंद्रभान की दिल्ली के दरियागंज में जूस की दुकान थी। इस दुकान पर गुलशन कुमार भी उनके साथ काम किया करते थे। हालांकि जब वह जूस की दुकान पर काम करते हुए उब गए, तो उन्होंने अपनी आवाज में एक कैसेट रिकॉर्ड की ओर उसे 7 रुपये में बेच दिया। गुलशन कुमार ने इस कैसेट के बाद ही सुपर कैसेट इंडस्ट्रीज लिमिटेड की नींव रखी और एक वक्त आया जब यह देश की सबसे बड़ी म्यूजिक कंपनी बन गई। इस म्यूजिक कंपनी के तहत ही t-series की स्थापना हुई और आज लोग इसे इसी नाम से जानते हैं।

T-Series के साथ हुई कामयाबी की शुरुआत

गुलशन कुमार के T-Series की पहचान देश के हर कोने में होने लगी। इसके बाद उन्होंने अपने कारोबार को बढ़ाने का फैसला किया और फिर मुंबई शिफ्ट हो गए मुंबई आए। गुलशन कुमार ने T-Series की स्थापना 11 जुलाई 1983 को की थी, लेकिन कंपनी को पहला ब्रेक 1988 में मिला था, यानी 5 साल बाद…। फिल्म कयामत से कयामत तक में इस फिल्म का पहला गाना रिलीज हुआ। फिल्म के 80 लाख कैसेट बिके। इसके बाद साल 1990 में रिलीज हुई आशिकी के म्यूजिक एल्बम ने चौतरफा हंगामा मचाया‌।

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आशिकी फिल्म के म्यूजिक एल्बम की बुलंदी से गुलशन कुमार का नाम कैसेट इंडस्ट्री में किंग के तौर पर लिया जाने लगा। साल 1997 तक टिप्स और सारेगामा को पकड़ते हुए टी-सीरीज ने म्यूजिक के 65 फ़ीसदी शेयर मार्केट पर कब्जा कर लिया। हर फिल्म में टी सीरीज के म्यूजिक राइट्स मिलने लगे। गुलशन कुमार की यही कामयाबी उनकी बेरहम मौत की वजह भी बनीं।

16 गोलियां दाग गुलशन कुमार को उतारा था मौत के घाट

साल 1997 के 12 अगस्त के उस दिन पूरी मायानगरी हिल गई थी। इस घटना ने देश के हर हिस्से में सनसनी फैला दी थी। सुबह 10:40 पर गुलशन कुमार को सरेआम 16 गोलियां दागकर मौत के घाट उतार दिया गया था। हर कोई इस घटना से दहल गया था। 42 साल के गुलशन कुमार पूजा की थाली लेकर अपने घर से निकले थे। उस वक्त घड़ी में 10:10 हो रहे थे। वह रोजाना की तरह जीतनगर स्थित शिव मंदिर जा रहे थे।

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इस मंदिर को गुलशन कुमार ने ही बेहद खूबसूरत तरीके से महंगे टाइल्स लगवा कर बनवाया था। गुलशन कुमार का यह रूटीन था और अंडरवर्ल्ड इस बात के बारे में जानता था। मुंबई पुलिस द्वारा गुलशन कुमार की मौत की घटना को लेकर बताई गई रिपोर्ट के मुताबिक जब गुलशन कुमार मंदिर से पूजा करके लौट रहे थे, तो उस समय 10:40 हो रहे थे। वह अपनी मारुति कार की तरफ बढ़ रहे थे। कि तभी उनकी कनपटी पर एक शख्स ने आकर रिवाल्वर लगा दी। गुलशन कुमार ने पूछा कि- क्या कर रहे हो तो उस शख्स ने जवाब में कहा- बहुत कर ली पूजा, अब ऊपर जाकर करना… इसके बाद उस आदमी ने पहली गोली चलाई।

मदद के लिए इधर-उधर भागते रहे गुलशन कुमार

पहली गोली गुलशन कुमार के माथे को छूती हुई निकल गई। इसके बाद उन्होंने भागने की कोशिश की। इस दौरान पास में मौजूद एक घर में उन्होंने मदद की गुहार भी लगाई, लेकिन दरवाजा बंद कर लिया गया। दूसरे घर के भी दरवाजे बंद मिले। गुलशन कुमार के ड्राइवर रूपलाल ने हमलावर ऊपर कलश फेंका… तो दो गोलियां उसके पैर पर मार दी। गुलशन कुमार ने बचने की बहुत कोशिश की, लेकिन दोनों हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलियां चला दी और उन्हें वहीं मौत के घाट उतार दिया।

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गुलशन कुमार की पीठ और गर्दन पर कुल मिलाकर 16 गोलियां लगी थी। महज 2 मिनट में इस पूरी वारदात को अंजाम दिया गया। पुलिस 30 मिनट बाद मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक सब कुछ खत्म हो गया था। गुलशन कुमार को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक वह इस दुनिया को अलविदा कह चुके थे।

Kavita Tiwari