संभाले परचून दुकान की दुकान, ठुकराई UPSC की नौकरी, ऐसे संघर्षशील हैं अपने राष्‍ट्रपति राम नाथ कोविंद

राष्‍ट्रपति राम नाथ कोविंद बुधवार को अपराह्न एक बजे बिहार पहुंचे। पटना एयरपोर्ट पंहुचते ही राज्‍यपाल फागू चौहान एवं मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार सहित बिहार विधानसभा अध्‍यक्ष विजय चौधरी एवं मंत्रियों व नेताओं ने उनका जोरदार स्‍वागत किया। बता दे कि राष्‍ट्रपति राम नाथ कोविंद गुरुवार को बिहार विधानसभा भवन में होनेवाले शताब्दी समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे।

राष्‍ट्रपति राम नाथ कोविंद

राष्‍ट्रपति कोविंद बिहार से गहरे रूप से जुड़े हुए हैं। आठ अगस्‍त 2015 से 25 जुलाई 2017 को राष्‍ट्रपति बनने से पूर्व तक वे बिहार के राज्यपाल पद पर थे। उनके जीवन से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जो प्रेरणादायक हैं। वे अपने छात्र जीवन में खाली वक्त में पिता की परचून की दुकान संभालते थे। उन्‍होंने बतौर वकील सुप्रीम कोर्ट व दिल्‍ली हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की थी। अपने युवावस्था में वे भारतीय सिविल सेवा के लिए चुने गए थे, लेकिन उन्होंने इसे ज्वाइन नहीं किया नौकरी ठुकरा दी थी। उनके जीवन से जुड़ी कई ऐसी रोचक बातें हैं, जिनके बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं।

बचपन में पिता की परचून दुकान संभालते थे

राष्‍ट्रपति राम नाथ कोविंद

राष्‍ट्रपति रामनाथ काेविंद के पिता मैकूलाल यूपी के कानपुर जिले के अपने गांव परौख में परचून की दुकान चलाते थे। उनके पिता लोगों को आयुर्वेदिक दवाएं भी देते थे। रामनाथ कोविंद अपने बाल्यावस्था में स्कूल से लौटने के बाद पिता की दुकान सम्भाला करते थे। कोविंद और उनके परिवार ने काफी संघर्ष के दिन देखे हैं। उनके परिवार के पास खेती के लिए जमीन नहीं हुआ करती थी। राष्‍ट्रपति के भाई प्यारेलाल के पास आज भी परचून की एक दुकान है।

यूपीएससी की नौकरी ठुकराई, वकील बने

राष्‍ट्रपति राम नाथ कोविंद

राष्‍ट्रपति रामनाथ काेविंद ने अपनी शुरुआती पढ़ाई संदलपुर प्रखंड के विद्यालय में से पूरी की थी। डीएवी कॉलेज से बी.कॉम व डीएवी लॉ कॉलेज से उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। दिल्ली में रहकर उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा जैसे कठिन परीक्षा की तैयारी की तथा तीसरे प्रयास में परीक्षा पास भी कर ली। उनका चयन संबद्ध सेवाओं (Allied Services) के लिए हुआ। लेकिन उन्‍होंने यह नौकरी ठुकरा दी और 1977 से 1993 तक 16 सालों तक दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस करते रहे। साल 1978 में वे सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड बने। 1977 से 1979 तक दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार के वकील तथा 1980 से 1993 तक सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के परमानेंट काउंसलर रहे।

स्कूटर से किया था पहला चुनाव प्रचार

राष्‍ट्रपति राम नाथ कोविंद

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पहली बार साल 1990 में बीजेपी के टिकट पर घाटमपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। चुनाव प्रचार के लिए उनके पास सन्साधन नहीं थे, वे बड़ी गाड़ी का इंतजाम नहीं कर पाए थे और तब उन्‍होंने अपनी स्कूटर से ही गांव-गांव प्रचार किया था। इस चुनाव मे उन्हें हार मिली। अप्रैल 1994 में वे पहली बार उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्‍य बने। इसके बाद वे दो बार 12 वर्षों तक राज्यसभा सदस्‍य रहे। साल 1994 में वे राज्‍यसभा सदस्‍य थे, लेकिन उनकी सादगी की मिसाल यह थी कि वे कानपुर में कल्याणपुर में करीब एक दशक तक किराए के ही एक घर में रहे थे।

परिवार के लोग प्यार से कहते हैं ‘लल्ला’

राष्‍ट्रपति राम नाथ कोविंद

रामनाथ कोविंद अपने परिवार में सबसे छोटे हैं। उनका परिवार उन्हें ‘लल्ला’ कह कर पुकारता है। माता-पिता के निधन के बाद उनकी भाभी विद्यावती ने उन्हे पाला, ज्न्हिें वे मां की तरह सम्मान देते हैं। रामनाथ कोविंद को भाभी विद्यावती के हाथ की बनाई कढ़ी-चावल बहुत पसंद हैं।

Manish Kumar