कौन है मनीराम? जिन्होंने 10 फेल होने के बाद भी कबाड़ से बनाया इलेक्ट्रिक रेल इंजन

Maniram Made Rail Engine From Junk: कुछ कर दिखाने का जज्बा अक्सर इंसान को कामयाबी की उस उपलब्धि तक पहुंचा देता है, जहां उसके नाम के चर्चे चौतरफा सुर्खियां बटोरते हैं। ऐसे में आज हम जिस शख्स के कारनामे की बात कर रहे हैं वह नाम राजनांदगांव के डोंगरगढ़ ब्लॉक के बेलगांव निवासी मनीराम लहरे का है, जिन्होंने अपने स्वर्गवासी पिता के सपने को पूरा करने के लिए कबाड़ से इलेक्ट्रिक इंजन बना दिया है। खास बात यह है कि उनका यह इंजन बिजली पावर से पटरी पर सरपट स्पीड में दौड़ने में सक्षम है। कौन है मनीराम लहरे, जिन्होंने कबाड़ से इलेक्ट्रिक इंजन बनाया है। आइए हम आपको डिटेल में बताते हैं।

कबाड़ से बनाया इलेक्ट्रिक इंजन

मनीराम ने कबाड़ से इस इलेक्ट्रिक इंजन का निर्माण किया है। बता दे इस इंजन की लंबाई 2 फिट और ऊंचाई 7 इंच है। यह रेल पटरी पर दौड़ने वाली ट्रेन को बड़े इंजन की तरह ही खींचने में सक्षम है। मनीराम के इस इलेक्ट्रिक रेल इंजन की चर्चा मौजूदा समय में रेलवे के बड़े-बड़े आला अधिकारियों के बीच खासा चर्चाएं बटोर रही है। नागपुर मॉडल के अफसरों के लिए इस बात पर यकीन कर पाना मुश्किल हो रहा है कि उन्होंने बिना किसी तकनीकी ज्ञान के इस इंजन का निर्माण किया है। हालांकि आपको यह भी बता दें कि मनीराम 10वीं फेल है।

पिता का सपना पूरा करने के लिए बनाया इलेक्ट्रिक इंजन

मनीराम का कहना है कि उनके पिता स्वर्गीय फागूराम लहरे रेलवे में डीजल लोको पायलट थे। उनकी हमेशा से यह ख्वाहिश थी कि नौकरी में रहते हुए वह इलेक्ट्रिक इंजन वाली ट्रेन को ऑपरेट करें। इसके लिए उन्होंने ट्रेनिंग भी ली थी, लेकिन इस दौरान वह बीमार पड़ गए और इसी के चलते उन्हें घर लौटना पड़ा। बीमार होने के बाद उनका यह सपना अधूरा रह गया। मनीराम ने बताया कि उनके पिता चाहते थे कि घर का छोटा बेटा अच्छे से पढ़ाई करें और रेलवे में नौकरी कर इलेक्ट्रिक इंजन से चलने वाली ट्रेन चला कर उनके सपने को पूरा करें, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।

लॉकडाउन में बनाया इलेक्ट्रिक इंजन

कोरोना महामारी के दौरान 2 साल तक लगे लॉकडाउन में लोगों ने कई अलग-अलग तरह की चीजों का इंवेंशन किया। दरअसल लॉकडाउन के दौरान लोग घर पर सिमट कर रह गए थे। ऐसे में हर किसी के जेहन में अलग-अलग तरह के ख्याल आए और उन्होंने अपने ख्यालों को हकीकत का अमलीजामा पहनाया। ठीक इसी तरह मनीराम के ख्याल में भी घर में पड़े कबाड़ से ट्रेन के इंजन को बनाने की तकनीक आई और उन्होंने इसे बनाकर अपने पिता को समर्पित किया।

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मनीराम ने इस इलेक्ट्रिक इंजन का निर्माण लोहे और प्लास्टिक के सामान को इकट्ठा कर किया है। इसके लिए कुछ मटेरियल उन्होंने अपने परिचितों से भी जुगाड़ किया है। इस इलेक्ट्रिक इंजन को बनाने में उन्हें कुल 4 महीने का समय लगा है। उन्होंने बताया कि इस को हू-ब-हू इंजन का रूप देने के लिए उन्होंने जटकन्हार रेलवे स्टेशन में खड़ी ट्रेन को देख-देख कर इसे डिजाइन किया है। वह हमेशा उस ट्रेन को देखने जाया करते थे। मनीराम ने अपने इंजन को तैयार करने के बाद इसे दौड़ाने के लिए 12 फीट की पटरी भी बनाई है।

सांसद से लेकर डीआरएम तक ने किया सम्मानित

मनीराम की इस खास उपलब्धि के लिए उन्हें डीआरएम से लेकर संसद तक ने सम्मानित किया है। हाल ही में मुजरा रेलवे स्टेशन में नए प्लेटफार्म का लोकार्पण कार्यक्रम किया गया था। इस दौरान सांसद संतोष पांडे और रेलवे के नागपुर डिवीजन के डीआरएम भी मौके पर मौजूद थे। इस कार्यक्रम में मनीराम के इंजन को भी प्रदर्शित किया गया, जिसे देखने के बाद सांसद और डीआरएम ना सिर्फ सम्मानित किया, बल्कि बिना किसी तकनीकी ज्ञान के किए गए उनके इस इन्वेंशन की जमकर तारीफ की।

कबाड़ के किन पार्ट्स से बना है इलेक्ट्रिक इंजन

मनीराम ने इस इंजन का निर्माण किसी बड़ी ट्रेन के इंजन को ध्यान में रखते हुए ही किया है। इसके निर्माण में उन्होंने हर बारीकी का खास तौर पर ख्याल रखा है। इंजन के सस्पेंशन से लेकर पहिए, पायदान, बफर रेल गार्ड्स, स्प्रिंग, ब्रेक शू, माइक्रो प्रोसेसर, सीबीसी, कप्लर से लेकर हॉर्स पाइप तक सबकुछ लगाया गया है। इसके साथ ही घाट पर चढ़ने के दौरान फिसलन से बचाव के लिए सामने पहिए पर रेत प्लोइंग पाइप भी लगाया गया है। इस इलेक्ट्रिक ओएचई केबल से जोड़ने के लिए पेंट को भी इसमें अटैच किया गया है।

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