Thursday, November 30, 2023

पुत्र मोह को त्याग दे सोनिया गांधी-आरजेडी के वरिष्ठ नेता का बड़ा बयान

कांग्रेस पार्टी में लगातार कलह लगातार जारी है. पार्टी के अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी बनी हुई है लेकिन कई कांग्रेस के सीनियर नेता हाशिए पर चल रहे हैं. कांग्रेस पार्टी के शनिवार को बड़ी बैठक होने वाली है इस बैठक को लेकर आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी जो कि विपक्ष महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे हैं.

पुत्र मोह को त्याग दे सोनिया गांधी

उन्होंने कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से अपील की है कि वह पुत्र मोह को त्याग दें और लोकतंत्र को बचाने में अहम योगदान करें. आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि सोनिया गांधी के लिए फैसला लेने का वक्त आ गया है उन्हें पार्टी या पुत्र या यूं कह लें कि पुत्र या लोकतंत्र में किसी एक को चुनने का समय आ गया है.

राहुल गांधी में जनता को उत्साहित करने की क्षमता नहीं

शिवानंद तिवारी ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि राहुल गांधी एक अनिच्छुक और उदासीन नेता है. राजद के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने आगे कहा कांग्रेस पार्टी की अहम बैठक होने जा रही है मुझे नहीं पता कि उसका नतीजा क्या होने वाला है लेकिन इतना तो साफ है कि कांग्रेस की हालत फिलहाल बिना पतवार के नाम की तरह हो गई कोई भी इसका खेवनहार नहीं है.

 
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शिवानंद तिवारी ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि यह बात एकदम साफ हो चुकी है कि राहुल गांधी में लोगों को उत्साहित करने की क्षमता नहीं है. जनता की बात तो छोड़ ही दीजिए उनकी पार्टी के लोगों को ही अब राहुल गांधी पर कोई विश्वास नहीं है इसलिए लोग कांग्रेस पार्टी से अब मुंह मोड़ रहे हैं.

सोनिया गांधी कामचलाऊ अध्यक्ष: शिवानंद तिवारी

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने सोनिया गांधी के बारे में कहा कि तबीयत खराब होने के बावजूद सोनिया गांधी कामचलाऊ अध्यक्ष के रूप में किसी तरह पार्टी को खींच रही है.मैं उनकी काफी इज्जत करता हूं. मुझे याद है कि सीताराम केसरी के जमाने में एक डूबती हुई पार्टी को सोनिया गांधी कैसे संभाल लिया था और पार्टी को फिर से सत्ता में पहुंचा दिया था.

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उन्होंने कहा कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेशी मूल को लेकर उस वक्त काफी बवाल हुआ था बीजेपी की तो बात छोड़ो दीजिए कांग्रेस पार्टी में भी उनके नेतृत्व पर लोगों ने भरोसा नहीं किया था. यहां तक कि एनसीपी के मुखिया और महाराष्ट्र के राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार ने भी सोनिया गांधी के विदेशी मूल होने की वजह से पार्टी छोड़ दी थी.

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