हर पिता के लिए वह पल गौरव का होता है जब खुद साफ सफाई का काम करके अपने बेटे- बेटी को एक योग्य इंसान बनाए, और एक दिन बेटा भारतीय सेना में अधिकारी बन कर लौटे। हम बात कर रहे हैं वसीला गांव के रहने वाले सफाई कर्मचारी विजेंद्र कुमार के बेटे सुजीत चंदौली की। सुजीत चंदौली वसीला गांव से भारतीय सेना में अधिकारी बनने वाले पहले व्यक्ति हैं।
मैंने झाड़ू उठाई लेकिन मेरा मेरा बेटा बंदूक लेकर देश की सेवा करेगा यह कहते हुए सफाई कर्मचारी विजेंद्र कुमार करीब 10 साल पहले का समय याद करते हैं। जब अपने बेटे को पढ़ाई के लिए राजस्थान भेजते वक्त सेना का अधिकारी बनने की बातें करते थे। उस समय उत्तर प्रदेश के चंदौली निवासी बिजेंदर की उनकी बातों पर गांव के लोग हंसी में उड़ा देते थे।
लेकिन अब विजेंद्र कुमार के बेटे सुजीत चंदौली ने उनका यह सपना पूरा कर दिखाया है। उस वक्त विजेंद्र कुमार की आंखों में आंसू और चेहरे पर मुस्कान थी जब शनिवार को उनके बेटे देहरादून को इंडियन मिलिट्री एकेडमी से ग्रेजुएट होते देख रहे थे। सुजीत अपने छोटे भाई बहनों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उनके छोटे भाई बहन प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारियों में लगे हैं।
पिता को गर्व
टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत के दौरान विजेंद्र ने कहा कि मैंने झाड़ू उठाई लेकिन मेरा बेटा अब बंदूक लेकर देश की सेवा करेगा वह सेना में अधिकारी बनेगा। कोरोना गाइडलाइंस की वजह से कैडेट्स के परिजन को समारोह में शिरकत करने की इजाजत नहीं मिली। सुजीत का परिवार पासिंग आउट परेड देखने के लिए पूरा दिन TV से चिपका रहा।
इस दौरान सुजीत चंदौली ने कहा कि इस मौके पर अपनी माता-पिता के चेहरे पर गर्व की झलक देखना मिस किया। उन्होंने बताया कि उनका छोटा भाई आईआईटी में पढ़ना चाहता है जबकि दो बहनो में से एक IAS और दूसरी डॉक्टर बनना चाहती है। सुजीत को उम्मीद है कि उनकी इस उपलब्धि से उनके क्षेत्र के अन्य युवाओं में भी सेना की वर्दी पहनने की इच्छा होगी।
सुजीत के पिता विजेंद्र ने बताया कि उनकी पत्नी गांव में अकेले ही रहती है। वह आशा कार्यकर्ता है। मैं अपने तीन बच्चों को लेकर वाराणसी में ही रहता हूं जिससे उन्हें पढ़ाई की बेहतर सुविधाएं मिल सके। वह बीच में गांव आते जाते रहते हैं लेकिन उन्होंने यह इस बात को तय कर लिया है कि बच्चे की बेहतर भविष्य के लिए जितना संभव होगा उतना करूंगा।