क्रिकेट जगत में IPL हमेशा से युवाओं के लिए एक बेहतरीन मंच रहा है. यहां से कई युवा खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा के दम पर सभी का दिल जीत लिया. कई खिलाड़ी IPL से निकलकर भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा तक बने. हार्दिक पांड्या इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं. किसी से छिपा हुआ नहीं है कि हार्दिक ने इस मुकाम पर पहुंचने के लिए कितना संघर्ष किया है. कभी उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वो क्रिकेट किट तक खरीद सकें. मैगी खा कर उन्होंने जिंदगी के कई महत्वपूर्ण समय बिताया. परिवार की आर्थिक मदद के लिए वो गांव-गांव जाकर क्रिकेट खेलते थे.
बिहार के पटना में जन्मा एक रिक्शे वाले का बेटा हार्दिक के नक्शे कदम पर चल रहा है. उसकी आंखें हार्दिक की तरह IPL के रास्ते टीम इंडिया का हिस्सा बनने का सपना देख रही हैं. यह कहानी है रौशन कुमार की, जो बिहार अंडर-17 में जगह बनाने में सफल रहे, मगर उनका संघर्ष खत्म नहीं हुआ. आगे के सफ़र के लिए वो संघर्षरत हैं.
8 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था
रोशन कुमार अपने अब तक के सफ़र के बारे में बात करते हुए कहा कि उनका जन्म बिहार की राजधानी पटना में हुआ. वह बड़े होते इससे पहले उनके परिवार को निजी कारणों से शहर छोड़ना पड़ा. पटना से निकलने के बाद रोशन का परिवार हरियाणा के फ़रीदाबाद पहुंचा.
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यहां उनके पिता ने घर चलाने के लिए काम की तलाश शुरू की. तमाम कोशिशों के बावजूद कुछ नहीं मिला तो उन्होंने रिक्शा चलाना शुरू कर दिया. घर की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि रोशन अपनी पढ़ाई जारी रख पाते. जैसे-तैसे वो दसवीं तक ही स्कूल जा सके. वो 8 साल के थे, जब उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था.
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पहले रोशन गली के लड़कों के साथ क्रिकेट खेला करती थे. उनको क्रिकेट खेलता देख आसपास के लोग अक्सर उनके पिता संजय को तंज कसते थे. लोग कहते थे पूरा दिन क्रिकेट खेलता रहता है. पढ़ाई में इसका मन नहीं लगता. मगर, उनके पिता ने कभी लोगों की बातों की परवाह नहीं की और हमेशा रोशन को सपोर्ट किया.
बिहार अंडर-17 में जगह बना चुके हैं रोशन कुमार
पहले वो जिला स्तर ट्रायल में सफल रहे. इसके बाद बिहार अंडर-17 में जगह बनाने में कामयाब रहे. इन सफलताओं के बाद लग रहा था कि रोशन के अच्छे दिन अब शुरू होने वाले हैं, मगर उन्हें अभी और संघर्ष करना था. बिहार अंडर-17 में उनका चयन तो किया गया, मगर अधिक मैच खेलने को नहीं मिले.
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फिलहाल यह युवा मैदान पर नियमित रूप से पसीना बहा रहा है. रोशन के पास अभी भी इतने पैसे नहीं है कि वो किसी क्रिकेट एकेडमी में दाख़िला ले सकें. मगर, उसे खुद के हुनर पर पूरा भरोसा है. यही कारण है कि उसे जहां भी जगह मिलती है, वो प्रैक्टिस शुरू कर देते हैं. इस उम्मीद के साथ कि उसे कभी न कभी अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा. कभी न कभी किसी कोच की नज़र उस पर पड़ेगी. वो भी किसी न किसी दिन क्रिकेट अकादमी पहुंचेगा और हार्दिक पांड्या की तरह आईपीएल से होते हुए भारतीय क्रिकेट टीम तक पहुंचेगा.
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