Thursday, December 7, 2023

बिहार मे धान बेचने के लिए अब रसीद की जरूरत नहीं, नीतीश सरकार की नई पहल

धान किसानों की परेशानी को दूर करने और पारदर्शिता के साथ खरीद का लक्ष्य पूरा करने के लिये राज्य सरकार ने किसानों को बड़ी राहत दी है. अब कोई भी किसान बिना जमीन के कागजात दिखाये अपने धान की बिक्री कर सकेगा. किसानों को एलपीसी की तो जरूरत ही नहीं है रसीद भी नहीं है तो चलेगा केवल खेत का रकबा और खाता खसरा साइट पर डाल दीजिए आप धान बेचने को अधिकृत हो जाएंगे.

गैर रैयतों को भी शपथ पत्र साइट पर डालने की जरूरत नहीं पड़ेगी लेकिन अगर आपने इसमें कुछ गलत किया तो जांच की प्रक्रिया में फसेंगे किसान ही. राज्य सरकार धान की सरकारी खरीद की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए रोज बेहतर उपाय कर रही है. एलपीसी की बाध्यता खत्म करने के बाद रसीद को लेकर समस्या आई तो सरकार ने इसे भी ऑप्शन में डाल दिया यानी आपके पास रसीद एलपीसी है तो दे दीजिए नहीं है तो भी कोई बात नहीं.

खाता खसरा नंबर भरना होगा

बिहार सरकार की इस नई पहल में ऑनलाइन आवेदन में किसानों को अपने खेत का रकबा यानी (खेत का क्षेत्रफल) और खेत का खाता खसरा नंबर भरना होगा. इसी के साथ सरकार ने गैर रैयत किसानों को भी काफी सहूलियत दी है उन्हें अब इसका शपथ पत्र देने की कोई जरूरत नहीं है कि वह किस की जमीन के कितने रकबे में खेती कर रहे हैं. बस धान बेचते समय क्रय केंद्र पर ही रखने की जानकारी सादे कागज पर भरकर खुद के हस्ताक्षर से एजेंसी को दे देनी है.

 
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बिहार के अधिकांश किसानों की जमीन उनके पूर्वजों के नाम पर है ऐसे में जिसके नाम रसीद है वह अब जिंदा नहीं है तो उनके वंशज से धान खरीद का प्रावधान ही नहीं है. दरअसल एलपीसी की बाध्यता खत्म होने के बाद रसीद को लेकर किसानों में समस्या होने लगी थी पहले रसीद देखकर किसान की परिवारिक सूची के आधार पर एलपीसी बन जाता था. इसी परेशानी को देखते हुए बिहार सरकार ने नई पहल की किसान खुद अपना डिक्लेरेशन साइट पर देंगे कि उन्होंने इस खसरा नंबर के इतने रकबे में उन्होंने खेती की है उसी आधार पर एजेंसियां उन का धान खरीदेंगे.

एलपीसी की अनिवार्यता खत्म करने के बाद अब सरकार ने की नई व्यवस्था

  • धान बेचने के नये नियम में दोनों को किया गया आप्शनल
  • किसानों को केवल खेत का खाता, खेसरा और रकबा देना होगा
  • क्रय केन्द्रों पर सादे कागज पर लिखकर देना होगा रकबा, खाता, खेसरा उस पर किसान का हस्ताक्षर होना अनिवार्य
  • बिहार सरकार की नई पहल 15 हजार किसानों ने आवेदन भी कर दिया.

गलत किया तो होगी कानूनी कार्रवाई

बिहार सरकार की इस नई व्यवस्था में हो सकता है कुछ शरारती तत्व इस नई व्यवस्था का दुरुपयोग करें लेकिन किसानों को बड़ी राहत भी मिलेगी. शरारती तत्वों से दुरुपयोग रोकने के लिए बिहार सरकार ने बाद में जांच की भी व्यवस्था की है. अगर कोई दूसरे का खाता खसरा नंबर दे दिया तो उस पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है.

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