Paras milk: अमूल और मदर डेयरी का नाम तो आपने सुना होगा। जी हां भारत के तमाम राज्यों में इसका बिक्री होता है। घर-घर में लोग इसका उपयोग करते हैं लेकिन आप अगर दिल्ली में रहते हैं तो आपको पारस दूध का नाम जरुर याद होगा। दिल्ली और उसके आसपास के एरिया में पारस मिल्क का कारोबार दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है।
पारस मिल्क आजकल इतनी ज्यादा पॉपुलर हो गई है कि वह अमूल और मदर डेयरी जैसे कंपनियों को करी टक्कर देने लगी है। आज कंपनी हर दिन लगभग 36 लाख लीटर दूध बेचने लगी है। आज कोई बड़ी कंपनियों को टक्कर देने वाली पारस मिल्क की शुरुआत मात्र 60 लीटर दूध के साथ हुआ था। सबसे बड़ी बात है कि इस दूध के शुरू होने के पीछे किसी बिजनेस घर आने का हाथ नहीं है बल्कि एक साधारण सा दूध वाला इस मिल्क कंपनी का शुरूआत किया था और आज इस क्षेत्र में बहुत बड़ा नाम बन गया।
जानिए कैसे शुरू हुई थी यह कंपनी(Paras milk)
वेद राम नागर नाम का एक व्यक्ति का जन्म 1933 में हुआ था। जब वह 27 साल के थे तब से दूध बेचने का काम शुरू कर दिया और 1960 तक वे जबरदस्त ठंड में भी साइकिल से जाकर घर-घर दूध बेचते थे। यह काम वह किसी मजबूरी में नहीं करते थे बल्कि अपनी खुशी से करते थे।
उस समय में भी वेद रामनगर 40 से 50 लीटर दूध रोजाना बेच लेते थे। उसके बाद उन्हें समझ आया कि वह अधिक लोगों तक अपने शुद्ध दूध को पहुंचाएं इसलिए उन्होंने 1980 में एक फॉर्म की शुरुआत की।
60 लीटर दूध से 36 लाख लीटर दूध तक का सफर
1984 में उन्होंने दूध और दूध से बने कई तरह के प्रोडक्ट्स की एक यूनिट स्थापित की। साल 1986 में उन्होंने अपने फार्म का नाम VRS फूड रख दिया। तब वह मात्र 60 लीटर दूध ही लोगों तक पहुंच पाए थे। धीरे-धीरे उन्होंने अपना प्रोडक्शन बढ़ाना शुरू कर दिया और 1987 में गाजियाबाद के साहिबाबाद में उन्होंने अपना एक बड़ा मिल्क प्लांट को स्थापित किया।
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इसके बाद 1992 में गुलावती में एक और बड़ा मिल्क प्लांट लगाया गया। फिर उन्होंने पारस मिल्क के नाम से दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में दूध सप्लाई करना शुरू कर दिया। कभी वह मात्र 60 लीटर दूध बेचते थे और आज वह 36 लाख लीटर दूध रोजाना बेचते हैं।
पिता के बाद अब बेटे बढ़ा रहे हैं पिता की कंपनी
दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्र में जब इस कंपनी ने अपना पैर पसार लिया उसके बाद 2004 में उन्होंने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में मिल्क प्लांट लगाया। यहां पर भी उन्होंने अपने क्षेत्र का विस्तार किया। साल 2005 में वेदराम नगर की मृत्यु हो गई।
उसके बाद उनके बेटों ने इस कंपनी का नाम वेदराम एंड सन प्राइवेट लिमिटेड रख दिया। दूध के अलावा यह कंपनी हेल्थ केयर रियल एस्टेट शिक्षा और फार्मा सेक्टर में भी पैर पसार रही है। पिता के विरासत को बेटे तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं।
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