कभी गरीबी के चलते अनाथालय में गुजारना पड़ा था बचपन, अपने मेहनत बदौलत आज है IAS

आपने हमेशा परेशानियों से जूझते लोगों की कहानी पढ़ी होगी मगर आज हम आपको एक ऐसे शक्श की कहानी से रूबरू कराने जा रहे है जो बचपन से ही एक अनाथालय में पले बढ़े लेकिन फिर भी कड़ी मेहनत कर सफलता हासिल की और वह आज एक आईएएस अधिकारी है।आप इस कहानी को पढ़ एक बार के लिए हैरान जरूर हो सकते है, मगर ये कहानी बिल्कुल सच्ची है। इस होनहार और मेहनती शख्स ने ये साबित कर दिया कि जीवन में सफलता हासिल करने के लिए किसी भी सहारे की जरूरत नही पड़ती। अगर आपके मन में मेहनत करने की सच्ची इच्छा है तो आप अपने जीवन में हर मुकाम हासिल कर सकते हैं।

अनाथालय में रहकर आईएएस बनने वाले इस शख्स का नाम मोहम्मद अली शहाब है जिन्होंने भले ही गरीबी के कारण अपना जीवन अनाथालय में बिताया हो मगर मन में कुछ कर जाने की इच्छा इस कदर उनका जुनून बनी कि उन्होंने सारे अभावों को पीछे छोड़ आईएएस अधिकारी का औदा हासिल कर लिया।

आपको बता दें की मोहम्मद ने साल 2011 में यूपीएससी की परीक्षा पास की और ऑल इंडिया 226वां रैंक हासिल किया। अंग्रेजी में अच्छी पकड़ ना होने के कारण उन्हें इंटरव्यू के दौरान ट्रांसलेटर की जरूरत पड़ी, जिसके बाद उन्होंने 300 में से 201 अंक प्राप्त किया। अपनी इस सफलता का श्रेय मोहम्मद ने अपने अनुशासित जीवन को दिया। उन्होंने कड़ी मेहनत, परिश्रम, अनुशासन और कोशिशों के दम पर ही ये मुकाम हासिल किया है और आज वह नागालैंड के कोहिमा में कार्यरत हैं।

यूं तो शिहाब का जन्म केरल के एक गाँव एडवन्नाप्परा में हुआ था और उनके पिता पान और बांस की टोकरियों की दुकान पर काम करते थे। मगर साल 1991 में किसी बीमारी के कारण शिहाब के पिता कि मौत हो गई जिसके बाद उनकी माँ अपने पांच बच्चों का पालन पोषण करने में बेहद असमर्थ हो गई थी। फिर उन्होंने अपने दिल पर पत्थर रख अपने सारे बच्चों को अनाथालय में डाल दिया।

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वैसे तो किसी भी माँ के लिए अपने बच्चों से दूर रहना बेहद मुश्किल है पर गरीबी के कारण उन्होंने इतना मुश्किल फैसला लिया और बच्चों का पालन पोषण अच्छे से हो इसलिए उन्होंने शिहाब समेत सारे बच्चों को अनाथालय में भेज दिया। आपको बता दें कि उस अनाथालय में शिहाब ने अपने जीवन के दस साल गुजारे। शिहाब वहां एक बुद्धिमान बच्चे के तौर पर जाने जाते थे जिन्हें पढ़ाई हुई हर एक चीज तुरंत समझ आ जाती थी। वैसे तो एक अनाथालय की पढ़ाई और स्कूल की पढ़ाई में बेहद अंतर होता है मगर शिहाब के लिए अनाथालय का जीवन उस जीवन से काफी बेहतर था जो उन्होंने अपने पिता के मौत के बाद देखा था।

एक इंटरव्यू के दौरान शिहाब ने बताया कि उन्होंने अबतक कई तरह के सरकारी एजेंसियों द्वारा आयोजित कुल 21 परीक्षाओं को पास किया है जिनमे वनविभाग, जेल वार्डन और रेलवे टिकट परीक्षक के पदों की परिक्षयाएँ शामिल है। शिहाब ने आगे बताया कि उन्होंने 25 साल की उम्र में ही ये तय कर लिया था कि उन्हें सिविल सेवा में ही जाना है। मगर तबसे लेकर आईएएस अधिकारी बनने तक का उनका सफर आसान नही था। उन्होंने कड़ी मेहनत की मगर शुरुवात के दो परीक्षाओं में असफल रहे। लेकिन बावजूद इसके उन्होंने उम्मीद नही छोड़ी और खूब मेहनत करते गए। फिर जाकर थर्ड एटेम्पट में उन्हें सफलता हासिल हुई।

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