17 महीने से नहीं मिला शहीद के पिता को इंसाफ, छलका दर्द, कहा- इस्तीफा दें नीतीश

बिहार में बढ़ते अपराध को देखकर एक शहीद पुलिसकर्मी के पिता का दर्द छलक उठा. दरअसल 17 महीने पहले इस पिता के पुलिसकर्मी बेटे शहीद हो चुके हैं. सरेआम अपराधियों द्वारा गोली से छलनी कर मिथलेश शाह को मौत के घाट उतार दिया गया था. इनके पिता दशरथ शाह करीब 17 महीने से अपने बेटे को इंसाफ दिलाने का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन आलम यह है कि शहीद के पिता को हर बार पुलिस के चौखट से खाली हाथ लौटना पड़ता है. न्याय के इंतजार में बैठे शहीद पुलिसकर्मी के पिता अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराजगी जता रहे हैं और नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांगा है.

20 अगस्त 2019 को पुलिस और अपराधियों के बीच मुठभेड़ में एसआईटी के सब इंस्पेक्टर मिथलेश शाह और एक कॉन्स्टेबल शहीद हो गया था. शहादत की इबारत को लिखने वाला मिथलेश शाह भोजपुर जिले के पीरोटा गांव के निवासी थे. उनके पिता दशरथ शाह ने बिहार में बढ़ रहे अपराध को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा मांगा है.

शहीद मिथलेश शाह के पिता दशरथ शाह ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि इस समय बिहार सरकार और पुलिस प्रशासन की लापरवाही साफ देखने को मिल रही है. हत्या के बाद कई उच्च अधिकारियों से कई बार मिलने गए लेकिन अभी तक कोई न्याय नहीं मिला. उन्होंने कहा कि पुलिस मुख्यालय गया लेकिन वहां हमारे साथ दुर्व्यवहार किया गया और मुझे पुलिस के चौखट पर से खाली हाथ ही लौटना पड़ा. शहीद पुलिस कर्मी के पिता ने कहा आम लोगों के साथ पुलिस का रवैया जैसा रहता है वैसा ही रवैया हम लोगों के साथ भी किया गया.

दशरथ शाह ने अपने बेटे की मौत के जिम्मेदार नीतीश सरकार को ठहराया उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार कुछ इसलिए नहीं कर रही है. क्योंकि इस मामले में जदयू पार्टी के ही लोग हैं. इस मामले में जिला परिषद चेयरमैन को अभी हाई कोर्ट से बेल भी मिली है.

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उन्होंने कहा कि एसपी से मिलने पर भी कुछ उम्मीद की कि नहीं दिख रही फिलहाल हम लोग डीआईजी मनु महाराज से मिलकर आए हैं. इस बात को मनु महाराज ने चुनौती मानकर जल्द कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया है गौरतलब है कि इस केस में अभी चार सूटर पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं. जो अपराधी पुलिस के गिरफ्त में है उनसे पूछताछ कर रही है.

शहीद एसआईटी के सब इंस्पेक्टर मिथलेश शाह के पिता दशरथ शाह ने कहा कि आज इस मामले को 17 महीने हो चुके हैं लेकिन अभी भी पुलिस प्रशासन के हाथ खाली है. आखिर कब मेरे बेटे के साजिशकर्ता का पता चलेगा कब मेरे बेटे को न्याय मिलेगा? दशरथ शाह बेबसी भरी आंखों में इंसाफ की उम्मीद लेकर बैठे हैं. आगे देखना होगा कि कब लाचार पिता को न्याय मिलेगा या यहीं बुढ़ापे में पुलिस दफ्तरों के चक्कर काट कर दम तोड़ देंगे. अभी तक तो फिलहाल दशरथ शाह को आश्वासन पर आश्वासन ही मिल रहा है लेकिन इंसाफ मिलता नहीं दिख रहा.

आपको बता दें कि शहीद इंस्पेक्टर मिथलेश शाह की छवि एक ईमानदार पुलिसकर्मी की थी. जब छपरा के बनियापुर थाना प्रभारी से पद ट्रांसफर हुआ था तब वहां के ग्रामीणों ने बैंड बाजा और शहीद मिथिलेश को रथ पर बैठा कर अपने नम आंखों से विदाई दी थी. उन गांव वालों को क्या पता था कि मिथिलेश यहां से जाएंगे तो फिर वापस लौट कर कभी नहीं आएंगे. मिथिलेश 2009 में RPF दरोगा पद से रिजाइन मारकर बिहार पुलिस दरोगा में भर्ती हुए थे. आपको बता दें कि शहीद मिथलेश शाह के पिता दशरथ शाह भी आरपीएफ में सब इंस्पेक्टर से रिटायर्ड हैं.

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