कभी दुसरे के होटल मे धोया कर ते थे बर्तन आज खुद के 50 से ज्यादा फूड आउटलेट्स,70 करोड़ का टर्नओवर

कहानी अस्सी के दशक की है, जब लक्ष्मण सिंह नौकरी की तलाश करते करते राजस्थान के उदयपुर से अहमदाबाद आ  गए। बहुत मुश्किलों के बाद उन्हें होटल में बर्तन धोने, टेबल-चेयर साफ करने का काम मिल गया। उन्होंने अन्य होटल का भी रूख किया और वहाँ भी उन्हें यही काम मिला। लंबे समय तक यह काम करते हुए उन्होंने अपने खुद की छोटी सी दुकान खोली, लेकिन बाद में यह भी बिक गई। जिंदगी की मुश्किल दौर से गुजरने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और कोशिश जारी रखी, इसी का नतीजा है कि आज देश भर में उनके 50 से ज्यादा फूड आउटलेट्स हैं और सालाना 70 करोड़ रुपए का कारोबार है। आज उन्होंने एक हजार लोगों को रोजगार दिया, तो आइए जानते गईं खुद्दार लक्ष्मण सिंह के संघर्ष और कामयाबी की कहानी।

9वीं में फेल हुए, छोड़नी पड़ी पढ़ाई

लक्ष्मण सिंह बताते हैं कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय थी, उनके पिता जी रिक्शा चालक थे, जैसे-तैसे गुजर बसर होता था। उन्होंने 9वीं की परीक्षा दी, जिसमें वे फेल हो गए, इसके बाद पढ़ने-लिखने की उम्मीदें टूट गईं। टूटी उम्मीदों के बीच कुछ करने की चाहत अभी बाकी थी, तभी पता चला कि गांव के कुछ लड़के अहमदाबाद में काम करते हैं, उन्होंने उन लड़कों से बातचीत की और उसी की सहायता से उन्हें अहमदाबाद के होटल में काफी मुश्किल के बाद काम मिल गया।

लक्ष्मण सिंह  रियल पेपरिका
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उन्होंने एक साल तक यही साफ सफाई का काम किया इसके बाद एक गेस्ट हाउस को जॉइन किया, जहां देखभाल और मैनेज करने का काम मिल गया, यहाँ भी करीब एक साल तक काम किया। काफी मशक्कत के बाद उन्होंने आखिरकार साल 1997 में एक प्राइवेट कंपनी में काम ढूंढ ही लिया। इस काम में उनका मन लगता था और अच्छी खासी कमाई भी हो रही थी। इस तरह काम करते करते साल 2008 उनके पास कुछ सेविंग्स हो गई , जिससे उन्होंने एक पिज्जे का दुकान खोला। लेकिन इसमें उन्हें उम्मीद के मुताबिक कामयाबी नहीं मिली और उन्हीने करीब दो साल इस दुकान को भी बेच दिया।

साल 2010 में शुरू किया अनलिमिटेड पिज्जा की दुकान

लक्षमण सिंह बताते हैं कि दुकान बेचने के बाद उन्होंने बड़े लेवल पर काम करने की ठानी । साल 2010 में उन्होंने नौकरी छोड़ने के बाद अहमदाबाद में रियल पेपरिका नाम का आउटलेट खोला। कंपनी भी रजिस्टर करा ली और एक नई रणनीति के बिजनेस को सफल करने पर काम शुरू किया। उन्हीने अनलिमिटेड पिज्जा का मॉडल शुरू किया। शुरू में सफलता ना मिलने पर उन्होने दुकान की लोकेशन बदल ली, लेकिन फिर भी कुछ खास नहीं बदला, जिसके बाद उन्होंने फिर से दुकान की लोकेशन बदल ली। इस तरह उन्होने 4 अलग-अलग लोकेशन बदले।

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लक्ष्मण सिंह  रियल पेपरिका

एक हजार से ज्यादा कर्मचारी, 50 से अधिक आउटलेट्स

अथक मेहनत और साहस के बाद आखिरकार उन्हें सफलता का स्वाद चखने को मिला। दुकान जम गई, बड़ी संख्या में ग्राहक आने लगे, इसके बाद उन्होंने अपना मॉडल और पहले से भी अधिक एडवांस किया। अलग-अलग वैराइटी के पिज्जा बनाने लगे और कुछ ही सालों में उनका कारोबार अच्छा खासा चलने लगा, उनके भाई ने भी अपनी नौकरी छोड़कर उनके बिजनेस को जॉइन कर लिया।

लक्ष्मण सिंह  रियल पेपरिका

इसके बाद उन्होने अपने बिजनेस को बढ़ाना शुरू किया और अहमदाबाद के बाद गांधीनगर, भरूच, भवनगर सहित गुजरात के कई शहरों में अपना आउटलेट खोला, अभी देशभर में उनके 50 से ज्यादा आउटलेस्ट हैं। जहां करीब एक हजार लोग काम करके अपनी आजीविका चलाते हैं।

लक्ष्मण ने बताया कि वे अलग-अलग शहरों में फ्रेंचाइजी मॉडल पर अपना आउटलेट शुरू कर रहे हैं। इसमें दो तरह के मॉडल हैं, एक में अलग-अलग वैराइटी के अनलिमिटेड पिज्जा और दूसरे मॉडल में कॉपी, शेक, सॉफ्ट ड्रिंक, पास्ता और सालाद जैसे आइटम्स उपलब्ध कराए जाते हैं।

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