CA की नौकरी छोड़ खेती कर बने करोड़ों के मालिक, जानिये बिहार के होनहार राजीव बिट्टू की कहानी

भारत देश एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ की अधिकतर आबादी किसानी से अपना और पूरे देश का भरण-पोषण करती है। लेकिन अभी भी किसानी को एक छोटे दर्जे के काम के तौर पर देखा जाता है। स्चूली बच्चों से अगर पूछा जाए की वो अपनी ज़िन्दगी में आगे क्या करना चाहते हैं। तो ज़्यादातर बच्चों का जवाब डॉभाक्टर,इंजिनियर या चार्टर्ड अकाउंटेंट होता है।किसानी कोई नहीं करना चाहता। लोग किसानी या तो मजबूरी में करते हैं या फिर शौक से। लेकिन आज हम आपको बिहार के एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होनें किसानी को अपनी नौकरी के ऊपर तवज्जो दी। उन्होनें अपनी CA की नौकरी छोड़कर खेती की शुरुआत की और अब उनका करोड़ों का टर्न ओवर है।

कौन है राजीव बिट्टू?

राजीव बिट्टू बिहार के गोपालगंज के रहने वाले हैं

 

राजीव बिट्टू बिहार के गोपालगंज के रहने वाले हैं। राजीव के पिता बिहार सरकार के द्वारा निर्मित सिंचाई विभाग में इंजीनियर है। वहीं उनकी मां हाउसवाइफ हैं। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई बिहार में की ।आगे जाकर वो झारखंड पढ़ने चले गए। हजारीबाग के सरकारी हॉस्टल में रहकर उन्होंने पढ़ाई की।फिर वो पढ़ाई के लिए रांची चले गए। उन्होंने आईआईटी की तैयारी की लेकिन उसमें सफल नहीं हो पाए। फिर उन्होंने बीकॉम कोर्स में दाखिला लिया। और उसी वर्ष सीए के लिए भी एनरोलमेंट कर लिया। लेकिन CA की नौकरी छोड़ अब राजीव “अंकुर रूरल एंड ट्राईबल डेवलपमेंट सोसाइटी” के नाम से एनजीओ चलाते हैं।

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किसानों की अहमीयत को समझाने के लिए छोड़ी CA की नौकरी

राजीव बिट्टू बिहार के गोपालगंज के रहने वाले हैं

 

 

राजीव बिट्टू ने रांची में स्थित एक क्लॉक (ओरमांझी) में लीज पर खेती की शुरुआत की है। उन्होंने किसानों की अहमियत को समझाने के लिए सीए की नौकरी को ठुकरा कर खेती करनी शुरू कर दी। आपको बता दें कि साल 2013 में राजीव अपनी बेटी को लेकर बिहार के जिले गोपालगंज आए थे। उनका गांव भी गोपालगंज जिले में ही पड़ता है। जब उनकी बेटी गांव आई तो वह गांव के लोगों को बहुत पसंद करने लगी। उनके साथ बहुत खुश भी रहने लगी। एक अद्भुत नजारा तब देखने को मिला जब उनकी बेटी ने एक किसान की गोद में जाने से मना कर दिया। कारण यह था कि उस किसान के कपड़ों में गंदगी लगी हुई थी। जिससे राजीव की बेटी दूर भाग रही थी। उन्हें इस बात से जोर का झटका लगा और उन्होंने तय किया कि अब वह खेती करेंगे।

आज 32 एकड़ की ज़मीन पर होती है खेती,दोस्तों का भी मिला साथ

राजीव बिट्टू बिहार के गोपालगंज के रहने वाले हैं

 

शिक्षकों,किसानों और आसपास के लोगों से खेती की जानकारी इकट्ठा करने के बाद राजीव जमीन की तलाश में लग गए। रांची से 28 किलोमीटर दूर एक गांव में उन्होंने किसान की जमीन लीज पर ली। शर्त ये थी कि 10 एकड़ की जमीन पर खेती से जो लाभ होगा उसका 33 प्रतिशत किसान को जाएगा। इस पर राजीव ने हामी भर दी।राजीव के दो दोस्तों ने खेती में उनकी काफी मदद की। एक हैं 37 वर्षीय देवराज,वहीं दूसरे 33 वर्षीय शिवकुमार। 32 एकड़ की खेती को राजीव ड्रिप इरिगेशन और मालचिंग की मदद से कर रहे हैं।

जैविक तरीके से की थी खेती की शुरुआत

राजीव बिट्टू बिहार के गोपालगंज के रहने वाले हैं

 

राजीव ने ढाई लाख रुपए खर्च कर जैविक खेती की शुरुआत की। उन्होंने जैविक उर्वरक का इस्तेमाल करके लगभग 7 एकड़ में खरबूज और तरबूज उगाएं। धैर्य और कठिन परिश्रम के बाद उन्हें सफलता मिली और उनका फसल तैयार हो गया। उनकी फसलों की बिक्री ₹19 लाख में हुई । 19 लाख में उन्हें सात से आठ प्रतिशत का मुनाफा हुआ। राजीव का मनोबल बढ़ा और इसके बाद उन्होंने अपने खेतों में लगभग 45 मजदूरों को काम के लिए लगाया। 1 करोड़ के टर्नओवर के लिए उन्होंने 13 एकड़ की जमीन फिर से लीज पर ली और वहां भी खेती शुरू की। मेहनत रंग लाई और उसी खेत से उन्होंने 2016 में 40 से 50 लाख का व्यवसाय किया। इसके बाद उन्होंने कुचु गांव में 3 एकड़ की जमीन लीज पर ली और उसमें सब्जियां उगाई। उनका लक्ष्य पूरा हो चुका था जो कि सालाना 1 करोड टर्नओवर का था।

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