कल है भारत बंद, इन दलो का है समर्थन, जाने क्या क्या रहेगा बंद !

किसान आंदोलन की धार तेज करने के लिए यूनियनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद बुलाया है। केंद्र सरकार से पांच राउंड की बातचीत फेल रही है। मंगलवार को होने वाली बंदी को 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का भी समर्थन है। प्रदर्शनकारी किसानों की मूल मांग कृषि क्षेत्र से जुड़े तीनों कानून वापस लेने की है, जिसपर केंद्र सहमत नहीं। हालांकि सरकार कानूनों में कुछ संशोधन के लिए राजी है मगर किसान नेता अड़े हुए हैं। किसानों का आंदोलन मुख्‍य रूप से दिल्‍ली-एनसीआर में केंद्र‍ित था, लेकिन अब यह राष्‍ट्रव्‍यापी होता जा रहा है। उत्‍तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और महाराष्‍ट्र जैसे राज्‍यों के किसानों से भी दिल्‍ली आने की अपील की गई है।

इन दलों ने भारत बंद का किया है समर्थन

ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमिटी के बैनर तले बुलाए गए भारत बंद में देशभर के 400 से ज्‍यादा किसान संगठन शामिल हैं. कांग्रेस के अलावा दूसरे राजनीतिक दलों ने भी उसे समर्थन दिया है. ये पार्टियां समर्थन में…. कांग्रेस, शिअद, लिप, आप, तृणमूल कांग्रेस, भाकपा, शिवसेना, माकपा, टीआरएस, डीएमके, एमडीएमके, वीसीके, आईजेके, एमएमके, आई यूएमएल, केएनएमएनके के अलावा जेएंडके के पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन, नेकां, पीडीपी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स मूवमेंट ने भी बंद का समर्थन किया है.

जाने क्या क्या रहेगा बंद

मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा के किसानों ने 10 दिन पहले दिल्‍ली की तरफ कूच किया था। किसानों को आंदोलन के लिए दिल्‍ली में जगह दी गई मगर वह बॉर्डर पर ही डट गए। अब धीरे-धीरे देश के बाकी हिस्‍सों से भी किसान दिल्‍ली पहुंच गए हैं। दिल्‍ली-एनसीआर को पंजाब, हरियाणा और अन्‍य राज्‍यों से जोड़ने वाले अधिकतर रास्‍ते बंद हैं। भारत बंद के दिन, ऐसी स्थिति देशभर में देखने को मिल सकती है। रेल सेवाओं को भी प्रभावित करने की कोशिश होगी

सरकार का रुख साफ कृषि कानून वापस नहीं होगी- चौधरी

केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि नए कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया जाएगा हालांकि इसमें संशोधन किया जा सकता है। कृषि सुधार कानूनों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच अभी भी मतभेद है। कई दौर की चर्चा होने के बाद भी समाधान नहीं निकला है। किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का एलान किया है। केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि सरकार ने जो कानून पास किए हैं, वो किसानों को आजादी देते हैं। सरकार ने हमेशा कहा कि किसानों को यह अधिकार होना चाहिए कि वह अपनी फसल जहां चाहें बेच सकें। स्वामीनाथन आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में किसानों के हित में यही सिफारिश की है। चौधरी ने कहा कि मैं नहीं समझता कि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए। जरूरी हुआ तो कानून में कुछ संशोधन किए जाएंगे।

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आंदोलन को और तेज करना होगा

तीनों कानून वापस लेने होंगे. अगर यह कानून वापस नहीं होगा, तो हम कोई समझौता नहीं करेंगे. सब मिलकर आओ आंदोलन करो. मोदी जी किसानों की मन की बात सुनिए. हम अपने आंदोलन को आगे मजबूती के साथ बढाएंगे. ये बिल कार्पोरेट सेक्टर के लिये बनाया गया है.

किसान नेता ने कहा कि अगले दो दिन मे ये आदोलन पूरे देश मे फैलने वाला है. अब वापस जाने का कोई रास्ता नहीं है. अंबानी आडानी वाला कानून मोदी सरकार को वापस लेना होगा. हजारों किसान अगले दो दिन मे दिल्ली को घरने के लिये आएंगे. बाजार मंडी बंद रहेगी, रास्ते जाम होंगे. मजदूर सगठन भी हमारे साथ हैं. ये बंद बहुत बडे पैमाने पर आगे जायेगा. तीन कानून और बिजली बिल सरकार वापस ले. ये किसानों का आंदोलन नहीं देश की जनता का आदोलन है.

बॉक्सर विजेंदर सिंह करेंगे अवार्ड वापसी

कुंडली बॉर्डर पहुंचे बॉक्सर विजेंदर सिंह ने कहा अगर कानूनों को वापस नहीं लिया तो वह राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार लौटा देंगे। पंजाब से 30 के करीब खिलाड़ियों की सूची तैयार है, जो सोमवार को दिल्ली पहुंचकर राष्ट्रपति को अवाॅर्ड वापस करेंगे।

अवॉर्ड वापसी करने वालों में ये

विजेंदर सिंह, खेल रत्न अवाॅर्ड, बॉक्सिंग, हरियाणा करतार सिंह, पद्मश्री, पूर्व आईजी व रेसलर, पंजाब अजीतपाल, द्रोणाचार्य अवाॅर्डी, हॉकी खिलाड़ी पंजाब राजबीर कौर, अर्जुन अवाॅर्डी, हॉकी, पंजाब गुरमेल सिंह, ध्यानचंद अवाॅर्डी, हॉकी, पंजाब प्यारा सिंह, नेशनल अवाॅर्डी रेसलिंग, पंजाब कौर सिंह, अर्जुन अवाॅर्डी, पंजाब

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