यह शेर तो आपने सुना ही होगा ‘खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले, खुदा बंदे से पूछे बता तेरी रजा क्या है! इस शेर को सही साबित कर दिखाया है. नागपुर जिले के सैयद रियाज अहमद ने.12वीं में फेल होने के बाद उनके शिक्षक ने उनके पिता से कहा था कि आपका बेटा जीरो है और वह जीवन में कुछ नहीं कर पाएगा इसके बाद उन्होंने UPSC में 261 वी रैंक हासिल करके IAS बने. उन्होंने अपनी असफलताओं के बाद भी हार नहीं मानी और अपने सपने को पूरा कर दिखाया है. Your Voice की टीम आज एक और सफलता की कहानी लेकर आए हैं. यह कहानी है साधारण से परिवार से आने वाले सैयद रियाज अहमद ने….
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सैयद एक ऐसे परिवार से आते हैं जहां ना तो उनके माता-पिता शिक्षित है ना ही उनके परिवार में कोई पढ़ा लिखा था. सैयद नागपुर के रहने वाले हैं. सैयद के पिताजी केवल तीसरी कक्षा तक पढ़े हैं वहीं उनकी मां सातवीं कक्षा तक पढ़ी है. हालांकि सैयद के माता-पिता ने अपने बेटे की पढ़ाई में कोई भी कमी नहीं आने दी इसी का नतीजा है कि सैयद और उनके तीनों भाई-बहन पोस्टग्रेजुएट हैं.
12वीं की बोर्ड परीक्षा में हुए थे फेल
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सैयद ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि वह 12वीं की बोर्ड परीक्षा में फेल हो गए थे तब उन्हें बहुत ज्यादा अपमान सहना पड़ा था. 12वीं में फेल होने के बाद उनके पिता को स्कूल में बुलाया गया तब उनके शिक्षक ने उनके पिता से कहा कि आपका बेटा पढ़ाई में जीरो है यह जीवन में कुछ नहीं कर सकता. हालांकि, उनके पिता ने कहा कि वह एक दिन जरूर कुछ बड़ा करेगा. लेकिन इतनी मुश्किल होने के बाद बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. आखिरकार हुआ निरंतर मेहनत करते रहे इसके बाद उन्होंने 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की फिर सैयद ने ग्रेजुएशन और फिर पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की.
आना चाहते थे पॉलिटिक्स में लेकिन चुन लिया UPSC
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सैयद रियाज अहमद बताते हैं कि वह अपने कॉलेज के दिनों से ही राजनीति में काफी रूचि रखते थे. उनका कॉलेज के दिनों से ही मन था कि वह राजनीति ज्वाइन करें और समाज में सुधार लाएं. लेकिन उनके घर वालों ने उसके लिए सपोर्ट नहीं किया आखिरकार सैयद ने UPSC सिविल सेवा परीक्षा देकर IAS बनने का फैसला किया ताकि वह समाज कल्याण के लिए काम कर सके.
5वें प्रयास में में मिली सफलता
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उन्होंने 2013 में यूपीएससी की तैयारी शुरू की और 2014 में अपना पहला अटेम्प्ट दिया. हालांकि उस समय उन्हें कुछ नहीं पता था. ना टेस्ट सीरीज के बारे में, ना तैयारी के अलग-अलग तरीकों के बारे में और वह प्रीलिम्स परीक्षा में ही फेल हो गए. इसके बाद वह कोचिंग के लिए दिल्ली आए और फिर से तैयारी की. दूसरे अटेंप्ट में भी वह प्री क्लियर नहीं कर पाए इस बार सही तैयारी ना होने के कारण और ज्यादा प्रश्न करना जिससे नेगेटिव मार्किंग हो गई और वह कटऑफ क्वालीफाई नहीं कर सके. तीसरे अटेम्प्ट में सैयद ने Pre और मेंस पास कर लिया लेकिन इंटरव्यू नहीं पास कर पाए. उन्होंने अगले अटेम्प्ट के लिए अपनी स्ट्रेटजी में बदलाव किया लेकिन चौथे अटेम्प्ट में मेंस क्लियर नहीं हुआ.
4 बार फेल होने के बावजूद उनके घर वालों ने उन्हें सपोर्ट किया उन्हें हिम्मत दिया. 4 बार फेल होने के बाद सैयद बेहद निराश और दुखी हो गए उन्होंने यूपीएससी की तैयारी छोड़कर कुछ और करने का फैसला लिया. लेकिन उनके पिता उन्हें एक बार आखिरी कोशिश करने को कहा. पांचवें अटेम्प्ट में सैयद ने खूब मेहनत की और उन्होंने खुद को साबित किया 2017 की सिविल सेवा परीक्षा में उन्होंने 261 वी रैंक हासिल की.
सफलता का रास्ता कठिन पर फलदाई
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4 बार असफल होने के बावजूद उन्हें पांचवी प्रयास में जाकर सफलता मिली. उन्होंने अपने संघर्ष के बारे में बात करते हुए कहा कि कई सालों तक असफल होना और फिर से तैयारी करना आसान नहीं होता. लेकिन मन में दृढ़ विश्वास था कि एक ना एक दिन सफलता जरुर मिलेगी. जब कभी हिम्मत हारने लगता तो लोगों के ताने याद आते और फिर मेहनत करने के लिए प्रेरित प्रेरित हो जाता.
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सैयद कहते हैं कि इस दौरान मेरे पिता ने मेरा भरपूर सहयोग किया उन्होंने मुझ पर भरोसा दिखाया. जिससे कि मेरी हिम्मत बनी रही वह कहते हैं अगर पिता ने मेरे ऊपर विश्वास नहीं दिखाया होता तो आज मैं सफल नहीं हो पाता. उम्मीदवारों के लिए सैयद कहते हैं अगर मैं कर सकता हूं तो कोई भी कर सकता है शर्त बस इतनी है कि अपने लक्ष्य पर अडिग रहें और निरंतर प्रयास करते रहे.
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