Thursday, December 7, 2023

मां बनाती थी देसी दारू, बेटे से लोग मंगवाते थे नमकीन, एक IAS अफसर बनने की कहानी

अक्सर देखा जाता है कि जिस घर में शराब पिया जाता है उस घर के के बच्चे अक्सर नहीं पढ़ पाते हैं, और जिस घर में शराब बेची जा रही हो और वहां शराबियों का जमघट लगा हो क्या ऐसे घर में कोई बच्चा पढ़ाई कर सकता है? आप भी कहेंगे कि ऐसे माहौल में पढ़ाई करना तो दूर पढ़ाई लिखाई की बात भी करना ठीक नहीं है। लेकिन महाराष्ट्र के धुले जिले के डॉक्टर राजेंद्र ने ऐसे ही घर में रहकर पढ़ाई की और आईएएस बने।

आज हम जिस आईएएस की बात करने जा रहे हैं उनकी कहानी उन लोगों के लिए मिसाल है जो हर चीज के लिए सुविधाएं नहीं होने का जिक्र करते हैं। डॉक्टर राजेंद्र ने अपने जीवन में बेहद ही संघर्ष किया तब जाकर कलेक्टर बने। उन्होंने ऐसे माहौल में रहकर पढ़ाई की जहां पढ़ाई लिखाई की बात करना भी बेमानी है।

इनकी कहानी ऐसी है कि इन के पैदा होने से पहले ही इन्होंने अपने पिता को खो दिया। राजेंद्र का जन्म साल 1988 को महाराष्ट्र के धुले जिले के आदिवासी भील समुदाय में हुआ। उसके बाद उनकी मां ने घर में देसी दारू बनाकर उन्हें पढ़ाया लिखाया और पाला पोसा। राजेंद्र ने भी अपनी मां की मेहनत को व्यर्थ नहीं जाने दिया और इन्होंने अपनी पढ़ाई में खूब मेहनत की और जिसका सपना लाखों युवा देखते हैं इन्होंने वह मुकाम हासिल भी किया।

 
whatsapp channel

एक इंटरव्यू के दौरान आईएएस डॉ राजेंद्र की मां ने कहा कि जब राजेंद्र के पिता का निधन हो गया तो लोगों ने कहा कि तुम्हारे पहले से तीन बच्चे हैं और एक बच्चे को पालना मुश्किल होगा इसलिए गर्भपात करा लो। लेकिन मैंने हार नहीं मारी मैं शराब बनाकर बेचने लगी मेरा बेटा थोड़ा बड़ा हुआ तो वहीं बैठ कर पढ़ता था। लोग इसको नमकीन वगैरा लाने को कहा करते थे। लेकिन मैं मना कर देती थी कि वह नहीं जाएगा वह पढ़ रहा है उसे पढ़ने दो।

डॉ राजेंद्र की मां ने बताया कि एक झोपड़ी में रहकर किसी तरह शराब बेचने का काम करते थे। उसी से जो कमाई होता था घर चलता था और पढ़ाई के लिए किताब वगैरह इसी पैसे से आते थे। मेरा बेटा 24 घंटे मेहनत करता था। वही एक इंटरव्यू के दौरान डॉ राजेंद्र ने खुलासा किया कि बचपन में कुछ शराबी लोग उनके मुंह पर शराब की कुछ बूंदें डाल देते थे।

google news

उन्होंने बताया कि बचपन में जब भी मुझे सर्दी या जुकाम होती थी तो दवाई के बदले मुझे शराब पिलाई जाती थी। जब मैं बड़ा हुआ तो लोगों का ताना हमेशा चुभता लोग कहते थे शराब बेचने वाले का बेटा शराबी ही बेचेगा तभी मैंने ठाणा कि इस बात को मैं गलत साबित कर दूंगा। उन्होंने कहा कि हम लोगों का शराब बेचने का काम था तो पीने वालों का रवैया भी ऐसा था। लोग मुझे अक्सर नमकीन वगैरा लाने को कहा करते थे मैं उस वक्त बच्चा था तो उनकी बातें अक्सर मान लिया करता था उसके बदले लोग मुझे कुछ पैसे भी देते थे।

डॉ राजेंद्र ने बताया कि शराब के पैसे से ही हमारा घर चलता था और इसी पैसे से मेरे लिए किताबें खरीदी जाती और कभी पढ़ाई नहीं रुकी। अपनी मेहनत के बदौलत ही उन्होंने 10वीं 95% अंकों के साथ पास की, 12वीं में 90% लाया। इसके साथ ही 2006 में मेडिकल प्रवेश परीक्षा में बैठा। मुंबई के सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज से MBBS की पढ़ाई की। जहां उन्हें बेस्ट स्टूडेंट के अवॉर्ड से भी नवाजा गया।

जब राजेंद्र ने MBBS की पढ़ाई पूरी कर ली तो उन्होंने समाज सेवा करने का मन बनाया। इसके बाद उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में पहले आईपीएस कैडर मिला फिर अगले प्रयास में साल 2013 में उन्हें आईएस कैडर मिल गया। आपको बता दें कि फिलहाल राजेंद्र महाराष्ट्र के नंदूरबार जिले के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर है। सफलता हासिल करने के बाद उन्होंने अपनी मां को समर्पित एक किताब भी लिखी। आपको बता दें कि डॉ राजेंद्र की शादी हो गई है और उनका एक बच्चा भी है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles