जोधपुर की सड़कों पर झाड़ू लगाने वाली आशा कंडारा कैसे बनी एसडीम? पढ़िए उनके संघर्ष की कहानी

“काबिल बनो, कामयाबी झक मारकर पीछे आएगी”। यह कहावत तो आप सबने सुनी ही होगी। लेकिन इस कहावत को चरितार्थ करने का जुनून लेकर जोधपुर की आशा कंडारा एसडीएम बन गई। आशा कंडारा पहले जोधपुर की सड़कों पर झाड़ू लगाया करती थी। लेकिन उन्होंने दूसरे अफसरों को देखकर मन ही मन ये फैसला किया कि वो भी अफसर बनेगी।अपने हौसले, जज्बे और कड़ी मेहनत से एसडीएम के पद पर आशा आज विराजमान हैं।

जोधपुर नगर निगम में झाड़ू लगाती थी आशा कंडारा

आशा कंडारा

आशा कंडारा जोधपुर के नगर निगम में झाड़ू लगाने का काम करती थी। चेहरे पर दुपट्टा बांध कर और हाथों में झाड़ू लेकर जोधपुर के सड़कों पर झाड़ू लगाते हुए आज आशा एक एसडीएम बन गई है। लेकिन उनका यह सफर आसान नहीं रहा। झाड़ू लगाने के साथ-साथ खाली वक्त में वह किताबें भी पढ़ लिया करती थी। आज उसी मेहनत की वजह से उन्होंने अपनी किस्मत बदल दी है। अब वह राजस्थान प्रशासनिक सेवा में आर एस 2018 में चयनित हो चुकी हैं।

पति से अलगाव के बाद अकेले किया दो बच्चों का पालन पोषण

आशा कंडारा

आशा कंडारा ने इस मुकाम को पाने के लिए अपनी पूरी जिंदगी में काफी संघर्ष किया है। आपको बता दें कि 8 साल पहले ही उन्होंने अपने पति से अलग होने का फैसला लिया था। दरअसल उनके पति से झगड़े के बाद आशा अकेले ही अपने दोनों बच्चों का भरण पोषण किया करती थी। वह नगर निगम में झाड़ू लगाती थी। लेकिन वह नियमित सफाई कर्मचारी के रूप में नियुक्त नहीं हो पाई थी। जिसके लिए उन्होंने 2 साल तक नगर निगम से लड़ाई भी लड़ी। इस के बाद भी कुछ नहीं हुआ। कुछ ही सालों बाद एक साथ दो नौकरियों में उनका चयन हुआ ।पहला नगर निगम की तरफ से सफाई कर्मचारी के रूप में और दूसरा राज्य प्रशासनिक सेवा में उनकी नियुक्ति।

नगर निगम के अफसरों को देखकर जगा अफसर बनने का जुनून

आशा कंडारा

आशा कंडारा के द्वारा एक इंटरव्यू में यह बताया गया कि उन्होंने अपनी कामयाबी का सफर आसानी से नहीं तय किया है। वह दिन में जोधपुर की सड़कों पर स्कूटी से झाड़ू लगाने जाती थी और कुछ किताबें भी लेकर जाती थी। खाली समय मिलने पर वह उन्हीं किताबों को बैठकर पढ़ा करती थी। सड़कों पर झाड़ू लगाने के दौरान ही उन्होंने अपनी पढ़ाई भी पूरी कर ली। स्नातक करने के बाद नगर निगम के अफसरों को देखकर उन्होंने अफसर बनने की ठान ली थी। उन्होंने सिलेबस का पता लगाया और तैयारी में जुट गई। उन्होंने अपने हौसले को बुलंद रखा और कड़ी मेहनत से आज वह इस मुकाम पर है कि अब उन्हें सब सलाम ठोकते हैं। उन्हें देखकर हम सब को यह प्रेरणा मिलती है कि लक्ष्य को पाने के लिए कड़ी मेहनत की जरूरत होती है, बैकग्राउंड की नहीं।

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