पिता ने बेटे को पढ़ाने के लिए बेचा घर, बेटे ने भी रखी लाज पहले ही प्रयास में बना IAS

यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा को सबसे मुश्किल माना जाता है. तीन चरणों में होनी वाली इस परीक्षा को पास करने वाले उम्मीदवार कलेक्टर, एसपी और ग्रेड ए सेवाओं में राजपत्रित अधिकारी बनते हैं. यूपीएससी की परीक्षा पास करने के लिए खूब मेहनत और पढ़ाई करनी पड़ती है ऐसे में यदि कोई यूपीएससी की परीक्षा को पहले ही प्रयास में पास कर ले तो यह मानना पड़ेगा कि उसमें कुछ तो अलग बात है.

ऐसा कर दिखाया है बिहार के गोपालगंज के रहने वाले पेट्रोल पंप पर काम करने वाले के बेटे प्रदीप सिंह ने, उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में सिर्फ 22 वर्ष की उम्र में यूपीएससी में ऑल इंडिया रैंक 93वीं प्राप्त कर लिया था. प्रदीप ने इसके बाद फिर से परीक्षा दी और वे 26वीं Rank लेकर आए आईएएस अफसर के रूप में वे फिलहाल अपने पद पर कार्यरत हैं.

बेटी की पढ़ाई के लिए बेच डाला अपना घर

प्रदीप सिंह के पिता इंदौर में पेट्रोल पंप पर काम कर रहे थे. उनके पिता को जब यह जानकारी मिली कि उनका बेटा आईएस की तैयारी करना चाहता है तो उन्होंने अपने बेटे की ललक देखकर यह ठान लिया कि किसी भी तरीके से वे उसकी तैयारी जरूर करवाएंगे. अपने बेटे प्रदीप की पढ़ाई के लिए उन्होंने अपने प्यारे से मकान को बेच दिया घर बेचकर जो भी पैसे जुटे उन्होंने अपने बेटे को देकर उसे दिल्ली पढ़ने के लिए भेज दिया. प्रदीप सिंह का परिवार आर्थिक रूप से सबल नहीं था.

प्रदीप ने ठान लिया कि मेहनत करेंगे

2017 के जून महीने में प्रदीप दिल्ली चले गए और वहां उन्होंने बाजीराव कोचिंग में अपनी पढ़ाई शुरू कर दी थी. प्रदीप को अपने घर के हालात और आर्थिक स्थिति के बारे में पता था लेकिन इसके बावजूद उनके माता-पिता ने कभी भी घर की आर्थिक स्थिति को प्रदीप की पढ़ाई में बाधक नहीं बनने दिया. जब यह बात प्रदीप को पता चला कि उनके माता-पिता उनके लिए किस तरह से उनकी पढ़ाई के लिए संघर्ष कर रहे हैं तो उन्होंने ठान लिया कि वह इतनी मेहनत करेंगे कि हर हाल में यूपीएससी की सिविल परीक्षा पास करके रहेंगे.

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सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया

प्रदीप कहते हैं कि पोस्ट और कैडर मायने नहीं रखता. जिस काम के लिए हमने मेहनत की है. उसके जरिए बदलाव लाना चाहते है. जो नतीजा सामने आया है, वह दुआ और मेहनत का असर है. मेहनत मैंने की दुआ मेरे माता-पिता, परिजन और चाहने वालों ने की. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, मगर दोनों बेटों को पढ़ने-लिखने का भरपूर अवसर किया. बेटे प्रदीप ने ​प्रशासनिक सेवा जाने में इच्छा जताई तो आर्थिक दिक्कत आ गई थी. बेटे के ख्वाब को पूरा करने के लिए मकान तक बेचना पड़ा, लेकिन अब बेटे ने कामयाब होकर दिखा दिया

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