बिहार की सियासत में तेज हुई हलचल, क्या पलटी मार सकते है जितन राम मांझी!

जीतन राम मांझी कोरोना संक्रमित हैं और वह अस्पताल में अपनी इलाज करवा रहे हैं उनके समर्थकों ठीक होने की दुआएं कर रहे है. हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने राजद नेता तेजस्वी यादव की तारीफ करते हुए उन्हें पुत्र समान और बिहार का युवा नेता कहा है। दरअसल, तेजस्वी यादव ने जीतन राम मांझी के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उनके स्वास्थ्य की कामना करते हुए एक ट्वीट किया था, जिस पर जीतन राम मांझी ने यह जवाब दिया है।

तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा, ‘कोरोना संक्रमण से प्रभावित पूर्व मुख्यमंत्री आदरणीय श्री जीतन राम मांझी जी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूं। ईश्वर से प्रार्थना है कि वो यथाशीघ्र स्वस्थ होकर पुनः सामाजिक जीवन में योगदान देने के लिए उपलब्ध रहें। इस पर जीतन राम मांझी ने जवाब देते हुए तेजस्वी की तारीफ की और लिखा, ‘धन्यवाद पुत्र समान बिहार के युवा नेता तेजस्वी यादव।’

Tweet के निकाले जा रहे हैं सियासी मायने

हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के अध्यक्ष मांझी के इस ट्वीट के बाद सियासी गलियारे में एक बार और हलचल तेज हो गई है जीतन राम मांझी एनडीए सरकार और केंद्र की सियासत में कद और अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने को लेकर ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं. इससे कुछ दिन पहले ही उन्होंने किसान आंदोलन को लेकर आंदोलन करने की बात कही थी.

पाला बदलने में माहिर हैं जीतन राम मांझी

बता दें कि हम पार्टी अब तक तीन बार पाला बदल चुकी है। बिहार चुनाव से पहले जीतन राम मांझी की पार्टी महागठबंधन के साथ थी लेकिन चुनाव से पहले सीटों के तालमेल और कई मुद्दे को लेकर महागठबंधन में बात नहीं बनी तो फिर से पुराने साथी नीतीश और बीजेपी के साथ आ गए. बिहार चुनाव में हम को चार सीटें हासिल हुई थीं। अब जीतन राम मांझी का तेजस्वी यादव को बिहार का युवा नेता कहकर बुलाना किस ओर संकेत दे रहा है, ये तो आने वाला समय ही बताएगा.

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जाने सत्ता का गणित

सियासत में कब क्या हो जाए कोई नहीं कह सकता आपने देखा होगा कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में 2 धुर विरोधी नीतीश और लालू एक साथ आ गए और बिहार में बीजेपी को पटखनी दे दी. कट्टर दुश्मन दिखने बाहर वाले दो दल किसी खास मकसद से एक प्लेटफार्म पर भी आ सकते हैं. बिहार में इस बार एनडीए गठबंधन को सत्ता तो मिली है लेकिन काफी कम बहुमत के साथ सत्ता में है ऐसे में एक भी विधायक के इधर-उधर होने भर से सत्ता का गणित बिगड़ सकता है.

क्या सोचते हैं मांझी?

जीतन राम मांझी के इस ट्वीट को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए उन्होंने हाल ही में किसान आंदोलन को लेकर आंदोलन करने की बात कही थी. वही बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर के शूद्र वाले बयान पर बीजेपी को चेतावनी भी दी थी. मांझी की बातों को सिर्फ सियासी संदर्भ में ही देखना उचित नहीं है. दरअसल मांझी लालू प्रसाद यादव के पहले से प्रशंसक रहे हैं और हाल तक वह महागठबंधन का ही हिस्सा थे.

संभावनाओं का खेल है सियासत

सूबे की सियासत के नीतीश कुमार चाणक्य कहे जाते हैं, मान लिया जाए मुकेश साहनी या मांझी का मन अगर डोलता भी है तो इससे पहले नीतीश कुमार तैयारी कर चुके होंगे क्योंकि बिहार की सियासत के सिरमौर रहने के लिए नीतीश कुमार पूरा जोर लगा देंगे. ऐसे भी केंद्र की मोदी सरकार और देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा का बैक सपोर्ट उन्हें प्राप्त है तो बिहार की सियासत में इतनी जल्दी उलटफेर की संभावना नहीं है. लेकिन कहा जाता है ना की संभावनाओं का खेल है सियासत तो कभी भी कुछ भी हो सकता है.

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