जन्म से अंधी IIITan गोल्ड मेडेलिस्ट को नहीं मिली नौकरी, अपनी कंपनी बना अब अंधे बच्चों की कर रही मदद

जन्म के साथ कई बार लोगों को कुछ ऐसी दिव्यांगता मिलती है, जिसके बाद उनके लिए जीवन का सफर आम लोगों जितना आसान नहीं होता। ऐसे में जब कड़ी मुश्किलों से ये कोई अपना सफर अपने दम पर तय कर रहा हो, तो लोगों के ताने और मजाक ऐसे लोगों के जीवन में रुकावट डालता है। यह कहानी जन्म से अंधी विद्या (IIT Gold Medalist Blind Girl Vidhya) की है, जो बेंगलुरु के ग्रामीण जिले में रहती हैं। उन्होंने अपने शुरुआती पढ़ाई यहीं से की है। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने स्कूल में दाखिला लिया। यहां से उनका मुश्किलों भरा सफर शुरू हुआ और आज वह देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर के लिए एक प्रेरणा है।

Divya Y, photo shoot for 20.20 magazine at Lavelle road in Bengaluru on Friday, November 29, 2019. Photo by Janardhan B K

 

काफी मुश्किलों भरा रहा विद्या का सफर

विद्या ने स्कूल में दाखिला लिया तो उन्हें गणित और विज्ञान विषय में खासा रूचि थी। उन्होंने इन विषयों को चुना तो लोगों ने उनका मजाक भी उड़ाया। कई स्कूलों और शिक्षकों ने विज्ञान की आगे की पढ़ाई जारी रखने से पहले उन्हें कई अलग-अलग तरह की बातें कहीं। विद्या के हर कदम पर उन्होंने कई मुसीबतों का सामना किया, लेकिन अपनी हिम्मत कभी नहीं हारी।

IIT Gold Medalist Blind Girl Vidhya Y

गणित-विज्ञान में बचपन से थी रुचि

लोगों की तानों से निपटने के लिए उन्होंने स्कूल के बाद एक ट्यूटर की मदद लेने का निश्चय किया। विद्या ने अपने प्री-यूनिवर्सिटी में एक ऐच्छिक के रूप में गणित का विकल्प चुना और अच्छे अंको से पास होने के बाद और राज्य की पहली दृष्टिहीन छात्रा बनी, जिसने अच्छे अंको से यह परीक्षा उत्तीर्ण की। विद्या ने कहा कि उन्हें बचपन से ही अच्छे अंको का शौक था। मेरी मां आज भी मुझे बताती है कि मैं बचपन में एक-एक कर राई और चावल के दाने गिना करती थी। स्वभाव में ही गणित और विज्ञान के प्रति मेरा आकर्षण ज्यादा था।

IIT Gold Medalist Blind Girl Vidhya Y

गोल्ड मेडलिस्ट के बावजूद नहीं मिली नौकरी

विद्या ने बताया कि नेत्रहीनों को इन विषयों को पढ़ाने के लिए कोई अलग सामग्री उपलब्ध नहीं थी। पीयूसी के बाद उन्होंने बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन की पढ़ाई की। इसे पूरा करने के बाद उन्होंने आईआईटी बेंगलुरु से डिजिटल सोसाइटी प्रोग्रामिंग में मास्टर प्रोग्राम की पढ़ाई पूरी की। इस कोर्स में उन्होंने गोल्ड मेडल हासिल किया। इसके बावजूद भी उन्हें किसी भी कंपनी ने नौकरी नहीं दी। उन्हें यह सब अपनी जिंदगी में एक बड़े धक्के की तरह लगा।

IIT Gold Medalist Blind Girl Vidhya Y

अवश्यकता बनीं अवसर

इसके बाद उन्होंने अपने इस सबक को अवसर की तरह इस्तेमाल करने का फैसला किया, जिसके बाद वह एक उद्यमी के रूप में उभर कर सामने आईं और उन्होंने अंधे छात्रों के लिए एसडीएम शिक्षा को सुलभ बनाने का फैसला किया। विद्या एक आईटी पेशेवर सुप्रिया डे और संस्थान के प्रोफेसर अमित प्रकाश से मिलकर विजन एंपावर की स्थापना की। ये एक गैर-लाभकारी संगठन है, जिसमें एस.के.एम. विषयों, कंप्यूटेशनल प्रशिक्षण, डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए एक खास मंच तैयार किया गया है।

IIT Gold Medalist Blind Girl Vidhya Y
Image Credit- Social Media

लाखों के लिए प्रेरणा है विद्या

बता दें इसकी शाखा वैं‘वेम्बी टेक्नोलॉजीज’ ने ‘हेक्सिस-अंतरा’ नामक बच्चों के लिए दुनिया का सबसे किफायती ब्रेल पुस्तक पढ़ाने का उपाय तैयार किया है। एम्पावर मौजूदा समय में 6 राज्यों के 30 से अधिक स्कूलों के साथ मिलकर दृष्टिहीन बच्चों का प्रशिक्षण कर रही है। बता दें इस साल 300 से अधिक स्वंयसेवकों की सहायता से 18,000 से अधिक लोगों को इसका लाभ मिल रहा है। विद्या का कहना है कि आने वाले वर्षों के लिए वह देश भर के 100 स्कूलों तक इस योजना को पहुंचाने का लक्ष्य बना रही हैं।

Kavita Tiwari