30 जून को हुई थी शादी और अब शहीद हो गए बिहार के बीएसएफ जवान राहुल सिंह, बूढ़े पिता ने दी मुखाग्नि

एक बूढ़े बाप के कंधे पर जवान बेटे की अर्थी उठे इससे बड़ा दुख क्या हो सकता है. सोचिए वह पिता यह बोझ कैसे उठाता होगा. ऐसा एक दुखद मंजर एक पिता ने देखा है छपरा जिले के एकमा के मांझी में सरयू नदी के डूमाई घाट तक BSF जवान राहुल सिंह की अंतिम शहीद यात्रा निकाली गई. शहीद बीएसएफ जवान राहुल सिंह की अंतिम यात्रा के दौरान युवाओं और ग्रामीणों ने ‘जब तक सूरज चांद रहेगा भोला तेरा नाम रहेगा’, ‘भोला भैया अमर रहे’ ‘शहीद जवान अमर रहे’ ‘राहुल अमर रहे’ ‘जय हिंद’ भारत माता की जय! वंदे मातरम के नारे लगाए.

वहीं उनके बूढ़े पिता अपने बेटे की अर्थी को कंधे पर रख रोए चला जा रहा था. यह दुखद मंजर जिसने भी देखा उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े दुखी मन से सब यही कहे जा रहे थे कि भगवान ऐसे दिन किसी को ना दिखाएं.

डुमाईगढ़ घाट पर दिया गया ‘गार्ड ऑफ ऑनर’

छपरा जिले के एकमा के मांझी सरयू नदी के डुमाईगढ़ घाट पर शहीद बीएसएफ जवान राहुल को सम्मान के साथ ‘गॉर्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया. इस दौरान बीएसएफ अधिकारियों और जवानों ने ‘रक्षक राहुल अमर रहे’ भारत माता की जय आदि के नारे लगाए.

शहीद राहुल सिंह के बूढ़े पिता भृगुनाथ सिंह ने अपने कांपते हाथों से बड़े बेटे राहुल की चिता को मुखाग्नि दी. जहां शहीद राहुल का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया. इस मौके पर उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों सहित बिहार पुलिस के कर्मियों और गांव के सैकड़ों लोग मौजूद थे.

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14 दिसंबर को लगी थी गो-ली

BSF के अफसरों ने बताया कि राहुल भारत-बांग्लादेश सीमा पर किशनगंज में तैनात था. 14 दिसंबर को अज्ञात कारणों से राहुल को गोली लग गई थी. जिसकी वजह से वह बेसुध हो गया. उसे इलाज के लिए कोलकाता के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान शुक्रवार को उसकी मौत हो गई.

कोरोना काल में 30 जून को हुई थी शादी

आपको बता दें कि राहुल की शादी करो ना मेरी के दौरान 30 जून को मांझी थाना क्षेत्र के विनोद सिंह की बेटी रागनी के साथ हुई थी. कौन जानता था कि 6 महीने पहले अपने पत्नी के साथ जीने मरने की कसमें खाने वाले राहुल उन्हें सिर्फ 6 महीने में ही छोड़कर चले जाएंगे.

चार भाई व चार बहनों में सबसे बड़ा था राहुल

राहुल अपने माता-पिता का सबसे बड़ा संतान था. उसके तीन छोटे भाई और हैं, वहीं 4 बहनें हैं, जिसमें से तीन की शादी हो चुकी और एक बहन अभी कुंआरी है. राहुल अपने घर के इकलौते कमाने वाले थे. उनके तीनों भाई अभी बेरोजगार हैं. बूढ़े पिता भृगुनाथ सिंह बार बार यही कहते हुए बिलख रहे हैं कि उनका बुढ़ापे का सहारा छिन गया. उसकी ही मदद से पूरे परिवार का भरण-पोषण हो रहा था. वह मेरे घर का एक मात्र कमाने वाला सपूत था जो अब चला गया.

BSF अधिकारी का कहना है

बीएसएफ अधिकारी चितरंजन राय ने कहा कि वह बिहार के आरा के ही रहने वाले हैं. वह छुट्टी पर थे. जानकारी पाकर बाहर से ही चले आए हैं. उन्होंने कहा कि राहुल की गो-ली लगने की विभागीय जांच हो रही है जल्द ही सच्चाई का पता लग जाएगा.

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