चाय बेचने वाला बना दरोगा, रेलवे स्टेशन पर चाय बेच और घंटो पढ़ाई कर इस तरह बदली अपनी किस्मत

रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने वाले सुकरात सिंह दरोगा (Success Story of Socrates Singh) बन गए हैं। गरीबी, अभाव और हर दिन की जद्दोजहद के बीच उन्होंने एक सपना देखा था, जिसे उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर सच कर दिखाया है। रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने वाले सुकरात के दरोगा (Tea Seller become a police officer) बनते ही उनके परिवार वालों को बधाई देने वालों का तांता लग गया है। सुकरात का कहना है कि उन्होंने दरोगा बनने की ख्वाहिश पाली और इसके लिए मेहनत को सीढ़ी बनाया। वह यूट्यूब और गूगल के सहारे पढ़ाई करते थे। दुकानदारी से जो भी समय मिलता वह सारा समय पढ़ाई में लगा देते और आज उनकी मेहनत की देन है कि वह दरोगा बन पाए हैं।

चाय बेचने वाला बना दरोगा

सुकरात सिंह बिहार के कटिहार रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने का काम करते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और घर में संसाधनों की भी कमी है, लेकिन उनके हौसले मेहनत के साथ बुलंदियों का आसमान छूते हैं। यही वजह है कि आज उन्होंने अपनी कामयाबी का सफर तय किया है। उनकी सीढ़ी में सबसे बड़ा उनका सहारा इंटरनेट बना। इसी के जरिए उन्होंने अपने सिलेबस मार्क को तैयार किया और पढ़ाई की।

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20 साल पहले परिवार ने कटाव में सबकुछ गवां दिया था

सुकरात कटिहार के मेदिनीपुर के रहने वाले हैं। गंगा के कटाव से उनका परिवार अपना घर खेत सब कुछ गवां चुका है। 20 साल पहले सुकरात के पिता कैलाश सिंह ने मनिहारी के रेलवे स्टेशन के पीछे चाय बेचने का काम शुरू किया था और इसी काम से उनके परिवार का गुजर-बसर चलता है। अब बेटे के दरोगा बनने से पिता गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

सुकरात के पिता का कहना है कि वह मनिहारी से 2000 में आए थे। उनका गांव जगह-जगह से कट गया था। उनका घर, द्वार, जमीन सब कुछ उस समय में नष्ट हो गया था। जीवन संघर्ष लगने लगा था और ऐसे में फुटपाथ पर चाय बेचने का ही सहारा बचा था। 20 सालों से परिवार इसी तरीके से गुजर बसर कर रहा था। वहीं अब बेटे ने अपनी मेहनत से अपने भविष्य को खुद संवारा है। वह बेटे की कामयाबी पर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

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