चाणक्‍य के अनुसार ऐसे स्वभाव की पत्नी कर देती ज़िंदगी बर्बाद, होती है सबसे बड़ी दुश्मन

आचार्य चाणक्य को को किसी परिचय की जरूरत नहीं है. उनकी नीतियां और ज्ञान हमारे जीवन को सुगम और सरल तो बनाती ही है, साथ ही कई तरह की दिक्कतों से भी बचाती है. आचार्य चाणक्य ने पति और पत्नी के रिश्ते का बहुत ही गहराई से अध्ययन किया था जो मनुष्य के जीवन को प्रभावित करता है. उन्होंने चाणक्य नीति में पति और पत्नी के रिश्ते पर भी गंभीरता से प्रकाश डाला है. पति और पत्नी के बीच रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए चाणक्य नीति में कई महत्वपूर्ण जानकारी दिए हैं. पति-पत्नी भगवान का बनाया हुआ एक अनमोल रिश्ता है. आज हम आपको चाणक्य कुछ ऐसी ही नीतियों के बारे में अवगत कराने जा रहे हैं.

आचार्य चाणक्य की नीति के अनुसार व्यक्ति को अपने जीवन में मित्र और शत्रु सोच समझकर ही बनाना चाहिए. गलत व्यक्ति को मित्र और शत्रु बनाने से आपका जीवन बर्बाद हो सकता है. इसलिए सोच समझकर किसी से मित्रता और शत्रुता करें. साथ ही साथ उन्होंने उन लोगों का भी जिक्र किया जो जीवन में शत्रुओं का काम करते हैं.

चाणक्य नीति के अनुसार बच्चे के पढ़ाने की जिम्मेदारी माता-पिता की होती है. जो माता-पिता अपनी जिम्मेदारी सही से नहीं निभाते हैं वह खुद ही अपने बच्चे के शत्रु बन जाते हैं. उन्हें अच्छी शिक्षा नहीं देते, उन्हें अच्छी बातें नहीं सिखाते तो वह किसी शत्रु से कम नहीं. ऐसे माता-पिता अपने बच्चों का भविष्य बर्बाद कर देते हैं.आचार्य चाणक्य का का मानना है कि जो माता-पिता अपने बच्चे के गलतियों को नजरअंदाज कर देते हैं वह अपने बच्चों के दुश्मन होते हैं. क्योंकि उन्हें जीवन में सही रास्ता नहीं दिखते हैं.

आचार्य चाणक्य का मानना है कि गलत लोगों से मित्रता जीवन पर भारी पड़ सकता है. ऐसे दोस्त किसी शत्रु से कम नहीं होते. इसलिए मित्र का चुनाव बेहद सोच समझ कर करना चाहिए. दोस्ती केवल उन्हीं लोगों से करनी चाहिए जो कि अच्छी सोच वाले हो अच्छी सलाह दे ऐसे लोग ही सच्चे दोस्त साबित होते हैं. गलत सोच वाले दोस्त आपको गलत राह दिखाते हैं और इस राह पर चलकर आप बर्बाद हो जाते हैं.

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पत्नियों के मामले में आचार्य चाणक्य का कहना है कि बहुत सारी पत्नियां ऐसी है जो अपने पति को काबू में रखती है. ऐसे में पति की सोचने की क्षमता खत्म हो जाती है. जो पत्नी अपने पति का सम्मान नहीं करती सदा उन्हें अपने बस में कर-कर रखती है वह किसी दुश्मन से कम नहीं होती.

आचार्य चाणक्य क कहना है कि प्रेम हमेशा अपने बराबर वालों से करो. वही दुश्मन उसी को बनाओ जो तुम से अधिक ताकतवर ना हो और दोस्त उसे बनाओ जो तुमसे ज्यादा ताकतवर हो और समय आने पर तुम्हारी मदद कर सके.

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