पटवारी,सब-इंस्‍पेक्‍टर, जेलर ऐसे कई नौकड़ियों को छोड़ बना IAS बना किसान का बेटा

रास्ता भले ही कितना भी कठिन क्यों ना हो, अगर मन में दृढ़ निश्चय और हौसला बुलंद हो तो इंसान कठिन से कठिन रास्तों को भी आसानी से पार कर लेता है और ऐसा ही कुछ कर दिखाया है राजस्थान के प्रेम सुख डेलू ने। 31 साल के प्रेम ने 6 साल के अंदर पटवारी (पटवारी वह सरकारी कर्मचारी जो गांव की जमीन, उपज और लगान आदि का हिसाब-किताब रखता है) से आईपीएस अफसर बनने तक का सफर तय किया और सफलता हासिल की। हालांकि इस छह वर्ष के दौरान प्रेम ने पटवारी से सब-इंस्‍पेक्‍टर, जेलर, प्राइमरी टीचर, कॉलेज का लेक्‍चरर और फिर राज्‍य सरकार का रेवेन्‍यू ऑफिसर बनकर दिखाया। जिसके बाद आज वह गुजरात में आईपीएस अधिकारी के रूप में बहाल हैं।

आप सभी को गुजरात के अमरेली जिले में प्रोबेशनर असिस्‍टेंट सुपरीटेंडेंट ऑफ पुलिस का पद सम्भाल रहे प्रेम की कहानी पढ़ कर ये भरोसा जरूर हो जाएगा कि भले ही रास्तों में कितनी भी मुश्किलें क्यों ना हो, लेकिन अगर आपके मन में कुछ कर जाने की इच्छा हो तो कुछ भी असंभव नही है।

मूल रूप से राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले प्रेम सुख चार भाई बहन हैं और उनमें से वह सबसे छोटे हैं। बचपन से ही सरकारी अफसर बनने की चाह रखने वाले प्रेम ने इतिहास विषय से अपनी एमए की पढ़ाई पूरी की और फिर साल 2010 में पटवारी यानी कि रेवेन्यु अफसर के रूप में जॉब हासिल की। जहां लोग जॉब के मिलने के बाद पढ़ाई छोड़ देते है वही प्रेम ने अपनी पढ़ाई को छोड़ा नही और एक के बाद पांच सरकारी परिक्षयाएँ दी और उनसब में सफल भी रहे। नौकरी करने के बावजूद प्रेम रोज कुल पांच घण्टे पढ़ाई किया करते थे।

एक इंटरव्यू के दौरान प्रेम ने बताया कि उनके घर में पढ़ाई को बेहद महत्व दिया जाता है। यूं तो उनके माता पिता कुछ ज्यादा पढ़े लिखे नही है मगर उन्होंने हमेशा ही अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया हैं। प्रेम ने आगे बताया कि उन्हें पढ़ाई और परीक्षा के लिए प्रेरित करने वाले उनके बड़े भाई है जो कि राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल के तौर पर कार्यरत हैं।

जिस साल प्रेम ने पटवारी की नौकरी हासिल की, उसी साल उन्होंने ना सिर्फ ग्राम सेवक की परीक्षा को पास किया बल्कि असिस्टेंट जेलर के एग्जाम में भी टॉप किया। इसके बाद उन्होंने साल 2011 में प्राइमरी और सेकेंडरी टीचर की परीक्षा पास की। फिर साल 2013 में उन्होंने राजस्‍थान पुलिस में सब-इंस्‍पेक्‍टर और हायर सेकेंडरी में शिक्षक की दो दो परिक्षयाएँ पास की। फिर प्रेम ने उसके अगले साल B. ed परीक्षा पास की और NET क्लियर कर कॉलेज के लेक्चरर बन गए।

इतने सारे परिक्षयाएँ देने के बाद भी प्रेम यही नही रुके। उन्होंने इन सब के बाद राज्य लोक सेवा आयोग की तैयारी शुरू कर दी और फिर एग्जाम दिया। मगर कुछ अंक के कारण उनका यह एग्जाम क्लियर नही हो पाया और फिर उन्हें रेवेन्यू सर्विस मिली। प्रेम ने बताया कि वो कहते है ना कि जो होता है अच्छे के लिए होता है तो बस उन्होंने भी उम्मीद नही छोड़ी और यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी।

जिसके बाद साल 2015 में प्रेम ने हिंदी विषय के साथ यूपीएससी की मुख्य परीक्षा दी और 170वां रैंक प्राप्त किया और फिर साल 2016 में आईपीएस अधिकारी बन गए।प्रेम ने इंटरव्यू के दौरान बताया कि जब उन्होंने अलग अलग स्तर पर सरकारी नौकरी की तो उन्हें उस दौरान समाज को समझने में काफी मदद मिली। असिस्‍टेंट जेलर और सब-इंस्‍पेक्‍टर बनने के बाद उन्होंने यह जाना कि पुलिस कर्मियों को क्या क्या परेशानियां है और रेवेन्यू विभाग में काम करते वक़्त उन्होंने यह जाना कि आखिरकार जमीन और सम्पत्ति से जुड़े मामलों को सुलझाते कैसे हैं।

Manish Kumar

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