दिल में अगर जूनून हो और हो कुछ कर गुज़रने का जज़्बा ,तो आसमान की ऊंचाई भी कम है. अक्सर हम ये बहाने बनाते हैं कि हमें सुविधा नहीं मिली,इसलिए हम पीछे रह गए. लेकिन कड़ी मेहनत और लगन के सिवा और कुछ भी नहीं चाहिए सफलता हासिल करने के लिए. आज हम आपको एक ऐसे युवा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होनें गरीबी का सामना करते हुए आसमान की बुलंदियों को छू लिया. IAS निरीश राजपूत ने UPSC की परीक्षा में 370वीं रैंक लाकर ये दिखा दिया कि गरीबी आपके सपनों को नहीं छीन सकती है. ज़रुरत है तो लगन,मेहनत और दृढ़ निश्चय की.
कौन हैं IAS निरीश राजपूत ?
मध्य प्रदेश के भिंड ज़िले के महुँ गांव के रहने वाले निरीश एक बेहद ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं.आपको बता दें कि उनके पिता दर्जी का काम करते थे. निरीश का ऐसा कहना है कि उनके घर की आर्थिक स्थिति शुरूआती समय से ही कमज़ोर थी.उनका 5 सदस्यों का परिवार बड़ी मुश्किल से एक ही कमरे में अपना गुज़ारा करता था. घर की आर्थिक स्थिति कमज़ोर होने की वजह से उन्हें पढ़ाई के लिए ज़्यादा सुविधाएं नहीं मिल पाईं थी.
उनकी शुरूआती पढ़ाई गांव के ही एक सरकारी स्कूल से हुई थी. बचपन से ही पढ़ाई में तेज़ होने की वजह से उन्होनें हाईस्कूल और इंटरमीडियट में भी अच्छे अंक हासिल किये थे. आगे की पढ़ाई उन्होनें बहुत मुश्किल हालातों में की.ग्वालियर से उन्होनें बीएससी और एमएससी की पढ़ाई पूरी की. लेकिन इस दौरान वो अखबार बेचकर अपना गुज़र-बसर करते थे. उनका परिवार ये चाहता था कि निरीश IAS अधिकारी बनें. इसके लिए उनके भाइयों ने उनका सहयोग किया. उन्होनें नीरीश की पढ़ाई का सारा खर्चा उठाया. और उन्हें IAS अधिकारी बनाने में भरपूर योगदान दिया.
एक दोस्त की मदद ने दिया साथ तो दूसरे ने दिया धोखा
निरीश ने अपने साक्षात्कार में ये बताया है कि एक बार जब वो अपने एक दोस्त से स्टडी मटेरिअल लेने उत्तराखंड गए,तो उनके साथ क्या हुआ. उस दोस्त ने उन्हें एक कोचिंग संस्थान में पढ़ाने को कहा. दोस्त की बात मानकर पूरे 2 साल तक निरीश मेहनत से उस कोचिंग के बच्चों को पढ़ाते गए. लेकिन जब वो कोचिंग शिखर पर पहुँच गया,तो उनके दोस्त ने उनके साथ धोखा कर दिया. उन्होनें निरीश को कोचिंग से बेइज़्ज़त करके बाहर निकाल दिया.और ये भी कहा की निरीश कभी UPSC की तैयारी नहीं कर सकते हैं.
नीरीश काफी हताश और निराश हुए.लेकिन फिर वो तैयारी के लिए दिल्ली चले गए. वहां उनकी मुलाक़ात अंकित से हुई जो खुद UPSC की तैयारी कर रहा था.अंकित से मदद मांगने पर निरीश को मदद मिली. निरीश अंकित के कमरे में ही रहते थे और उनके ही किताब से पढाई भी करते थे.पैसों की कमी की वजह से वो सेल्फ स्टडी पर ही फोकस करते थे . निरीश ने कहा कि वो रोज़ाना 18 घंटे की पढ़ाई करते थे.
तीसरे प्रयास में मिली सफलता,भाइयों ने किया खूब प्रोत्साहित
लगातार दूसरी बार भी असफल होकर निरीश बहुत निराश हो गए थे.इसी बीच उन्होनें अपने 2 शिक्षक भाइयों से बात की.उन दोनों ने निरीश का हौसला बढ़ाया. और तीसरे प्रयास के लिए निरीश फिर से नई रणनीति के साथ जुट गए. इस बार उन्होनें 370 रैंक के साथ सफलता प्राप्त की. उनके पिता को अपने बेटे की इस कामयाबी पर बहुत गर्व महसूस हुआ.पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने उन्हें इस सफलता के लिए सम्मानित भी किया है.
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