बॉलीवुड की चकाचौंध में हर कोई आना चाहता है इसके लिए हर कोई अपनी किस्मत दांव पर लगा देता है। इसमें कुछ सफल होते है तो किन्ही को असफलता भी हाथ लगती है। आज ऐसे ही कुछ बॉलीवुड कलाकारों के बारे में बात करेंगे जिन्होंने बॉलीवुड में अपना किस्मत चमकाने के लिए अपनी सरकारी नौकरी तक दांव पर लगा दिया था।
देव आनंद
मशहूर अभिनेता देव आनंद फिल्मों में आने से पहले मुंबई के सेंसर बोर्ड में क्लर्क की नौकरी किया करते थे। देव आनंद काम की तलाश में मुंबई आये और उन्होंने मिलट्री सेंसर ऑफिस में 165 रुपये प्रति माह के वेतन पर काम की शुरुआत की। कहां जाता है कि जब देव आनंद माया नगरी मुंबई पहुंचे तो उनके पास केवल 30 रुपये थे और रुकने के लिए यहां पर कोई ठिकाना नहीं था तो उन्होंने शुरुआती दिनों में रेलवे स्टेशन के पास ही एक सस्ते से होटल में किराए पर कमरा लेकर रहने लगे।
राजकुमार
दिवंगत अभिनेता राजकुमार ने अपने दमदार डायलॉग और बेहतरीन एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं। इनका असली नाम कुलभूषण पंडित है. इन्हें लोग प्यार से ‘जानी’ भी पुकारते हैं। आपको बता दें कि राजकुमार मुंबई मे सब इंस्पेक्टर के पद पर नौकरी ज्वाइन की थी। हालांकि 1952 में सरकारी नौकरी को अलविदा कर इन्होंने बॉलीवुड इंडस्ट्री में कदम रखा।
शिवाजी सातम
टीवी शो सीआईडी में एसीपी का किरदार निभाने वाले शिवाजी सातम फिल्मों में आने से पहले बैंक में कैशियर हुआ करते थे। इन्होंने अनिल कपूर, संजय दत्त, नाना पाटेकर और रानी मुखर्जी जैसे कई कलाकारों के साथ काम किया। इन्होंने अपने करियर की शुरुआत की फिल्म पेस्तोनजी से की। सीआईडी मे एसीपी का किरदार लोगों के बीच काफी फेमस हैं।
अमरीश पुरी
दिवंगत अभिनेता अमरीश पुरी ने फिल्मों में करियर बनाने से पहले कर्मचारी बीमा निगम में क्लर्क की थी। जिसे छोड़कर वो अभिनय की दुनिया में आये। अमरीश पुरी ने अपने फिल्मी करियर में करीब 400 फिल्में की इनमे ज़्यादातर उन्होंने विलन का ही किरदार निभाया। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत फिल्म ‘रेशमा और शेरा’ से की थी। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अमरीश पुरी ने दिलजले, दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे, मिस्टर इंडिया, कोयला, करण अर्जुन और नायक जैसी फिल्मों में काम किया है।
जॉनी वॉकर
अभिनेता जॉनी वॉकर को शायद ही कोई भूल सकता है। उनका असली नाम बदरुद्दीन काजी था। उन्होंने अपने कॉमिक अंदाज और एक्टिंग से दर्शकों को खूब हंसाया था। आपको बता दें कि उनके पिता मजदूरी किया करते थे परंतु फैक्ट्री के बंद होने के बाद जॉनी वॉकर अपने परिवार के साथ मुंबई आ गए थे। मुंबई में उन्हें बस कंडक्टर की नौकरी मिली। इसके लिए जॉनी को हर महीने 26 रुपये मिलता था। एक सफर के दौरान फिल्म निर्देशक गुरुदत्त की नजर जॉनी वॉकर पडी उस समय वह फिल्म बाजी की तैयारी कर रहे थे। गुरुदत्त के सामने जॉनी वॉकर ने शराबी की एक्टिंग की जो उन्हें काफी पसंद आया उसके बाद उनकी गाड़ी वहीं से निकल पड़ी। जॉनी वॉकर का एक डायलॉग “मैं बोलूंगा तो बोलोगी बोलता है” लोगों के बीच काफी फेमस हैं।
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