Air India के बाद Tata ग्रुप ने खरीदी एक और सरकारी कंपनी, प्राइवेटाइजेशन प्रक्रिया हुई पूरी

टाटा ग्रुप (Tata Group) देश के तमाम प्राइवेट सेक्टर (Private Sector) में अपने पैर पसारने में लगा हुआ है। इस कड़ी में पब्लिक सेक्टर की कंपनी नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड के प्राइवेटाइजेश (Neelachal Ispat Nigam Limited Privatization) न की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद अब इस पर भी टाटा ग्रुप का कंट्रोल होगा। गौरतलब है कि टाटा ग्रुप की कंपनी टीएसएलपी (TSLP) को अब नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड (Neelachal Ispat Nigam Limited) सौंप दी गई है। इसकी जानकारी वित्त मंत्रालय (Finance Ministry on Privatization) की ओर से सोमवार को जारी किए गए एक बयान में साझा की गई।

Tata Group

एक और सरकारी कंपनी हुआ टाटा के अधीन

गौरतलब है कि मौजूदा समय में सरकार के कार्यकाल में संपन्न हुआ यह दूसरा सफल प्राइवेटाइजेशन माना जा रहा है। बता दें इसके पहले एयर इंडिया को भी टाटा ग्रुप में ही अपने हाथों में लेते हुए इसकी कमांडर कमान संभाली थी। वहीं अब NINL के लिए लगाई गई बोलियों में टाटा स्टील लॉग प्रोडक्ट्स यानी टीएसएलपी को जनवरी में इसका विजेता घोषित किया गया था। टाटा ग्रुप की इस स्टील कंपनी ने घाटे में चल रही एनआईएनएल को 12,100 करोड रुपए में बोली लगाते हुए अपने अधीन कर लिया है। बता दे यह बोली 5616.97 करोड़ रुपए के आरक्षित मूल्य से करीब दुगनी बताई जा रही थी।

Tata Company
Tata Company

वित्त मंत्रालय ने जारी किया बयान

वह इस मामले में वित्त मंत्रालय की ओर से जारी बयान में बताया गया कि एनआईएनएल की रणनीतिक निवेश संबंधी सौदा रणनीति खरीदार टीएसएलपी को 93.14% शेयरों के हस्तांतरण होने के साथ ही आज पूरा कर लिया गया है। एनआईएनएल सार्वजनिक क्षेत्र की चार कंपनियों एनएमडीसी, बीएचईएल, मेकॉन और एमएमटीसी के अलावा ओडिशा सरकार की दो इकाइयों ओएमसी और ईपीकॉल का एक संयुक्त उद्यम है। ऐसे में अब यह टाटा ग्रुप इंडस्ट्रीज के अधीन है।

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MMTC

MMTC के पास सबसे ज्यादा हिस्सेदारी

बात इस कंपनी की हिस्सेदारी की करें तो बता दें इस इस्पात कंपनी में एमएमटीसी के पास सार्वजनिक 49.78% की हिस्सेदारी है, जबकि एनएमडीसी के पास 10.10% और बीएचईएल के पास 0.68% और मेकॉन के पास 0.68% की हिस्सेदारी है। मंत्रालय की ओर से जारी बयान में यह भी कहा गया है कि इसके प्राइवेटाइजेशन के समझौते के हिसाब से परिचालन, लेनदार, कर्मचारी और विक्रेताओं के बकाया संबंधी शर्तों को पूरा करने के बाद इस कंपनी में सरकार के पास अब कोई हिस्सेदारी नहीं है। साथ ही इसकी बिक्री से सरकारी खजाने में कोई वृद्धि नहीं होगी।

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